फांसी की सजा के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ ने अटार्नी जनरल ऑफ इंडिया आर वेंकटरमानी से पूछा कि जब कैदी को फंदे पर लटकाया जाता है तब वहां डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के साथ जेल सुपरिटेंडेंट मौजूद होते हैं। उन लोगों से बात करके पता करिए कि कैदी को उस समय किस तरह का दर्द होता है। इस बारे में और भी जो रिपोर्ट मौजूद हैं वो भी खंगालिए। वेंकटरमानी ने सुप्रीम कोर्ट से कुछ समय की मोहलत मांगकर कहा कि वो जल्द ही इस मामले में एक समग्र अध्ययन रिपोर्ट लेकर पेश होते हैं।
दरअसल एक एडवोकेट ऋषि मलहोत्रा ने एक जनहित याचिका दायर करके सुप्रीम कोर्ट से दरखास्त की है कि वो इस बात को देखे कि क्या फांसी की सजा के बजाए किसी कम दर्दनाक तरीके से कैदी को मारा जा सकता है। उनका कहना था कि फांसी की सजा कैदी की गरिमा को ठेस पहुंचाती है। उनका कहना था कि दुनिया के कई दूसरे देश फांसी की सजा से किनारा कर चुके हैं, क्योंकि इसमें कैदी को बेहद खौफनाक दर्द होता है। अमेरिका के 36 सूबे इस सजा को खत्म कर चुके हैं। उन्होंने कुछ मामलों का हवाला देकर बताया कि कई बार कैदी को दो-तीन दिन तक लटकाना पड़ता है।
वकील बोला- कैदी को फांसी के बजाए दूसरे तरीके से मौत दी जाए
मलहोत्रा का कहना था कि हमारी आर्मी भी मौत की सजा के तौर पर दो विकल्प देती है। इसमें सजायाफ्ता को हक होता है कि वो या तो फांसी पर लटके, या फिर गोली खाने का विकल्प अपनाए। हमारी सीआरपीसी में ये प्रावधान नहीं हैं। फांसी पर लटकाना न तो मानवता के दृष्टिकोण से ठीक है और न ही ये तेज रफ्तार मौत है। आधे घंटे तक कैदी को फंदे पर लटकाने के बाद डॉक्टर चेक करता है कि कैदी मरा कि नहीं।
जनहित याचिका पर बहस के बाद सीजेआई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने सिलसिलेवार उन तरीकों का विश्लेषण किया जो दूसरे देश में अमल में लाए जा रहे हैं। जस्टिस नरसिम्हा का कहना था कि हम कैदी की गरिमा पर बहस नहीं करने जा रहे। न ही हम इस बात पर बात करेंगे कि कैदी को कम से कम दर्दनाक मौत कैसे दी जाए। उनका कहना था कि हम देखेंगे कि साइंस क्या विकल्प उपलब्ध कराती है। जानलेवा इंजेक्शन पर उनका कहना था कि खुद अमेरिका भी इसे ठीक नहीं मानता।
सीजेआई चंद्रचूड़ बोले- लेथल इंजेक्शन पर अमेरिका में भी विरोध
सीजेआई चंद्रचूड़ का कहना था कि जानलेवा इंजेक्शन को लेकर कई अमेरिकी मैगजींस भी रिपोर्ट दे चुकी हैं कि ये ठीक नहीं है। उनका कहना था कि ये दर्दनाक भी होता है। गोली मारने के तरीके पर उनका कहना था कि ये बर्बर है। उनका कहना था कि हम सरकार को ये नहीं कह सकते कि वो कौन सा तरीके अमल में लाए। लेकिन हम उन तरीकों पर जरूर विचार करेंगे जो फांसी की सजा से कम दर्दनाक हो सकते हैं। उसके बाद उन्होंने वेंकटरमानी से कहा कि वो डीएम, जेल सुपरिटेंडेंट से बात करके पता लगाएं कि फांसी की सजा में किस तरह का दर्द होता है। उन्होंने वेंकटरमानी से कहा कि वो अगले हफ्ते तक पूरी रिपोर्ट लेकर आएं। उसके बाद हम इस मसले पर विचार के लिए एक एक्सपर्ट कमेटी बनाने का आदेश देंगे।