केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स की एक रिपोर्ट को लेकर कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा पर निशाना साधा है। उन्होंने आरोप लगाया कि यस बैंक के को-फाउंडर राणा कपूर को प्रियंका गांधी की एक पेंटिंग खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ा था। उन्होंने सवाल किया कि कितने पद्म अवॉर्ड और पेंटिंग बेचकर पैसे जुटाए गए हैं।
रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि एक भारतीय बैंकर ने कांग्रेस के एक सदस्य के करीबी रिश्तेदार से राष्ट्रीय पुरस्कारों के लिए रिश्वत के रूप में अधिक मूल्य देकर पेंटिंग खरीदी थीं। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री ने एक बयान में कहा, “कांग्रेस के भ्रष्टाचार का नया मॉडल सामने आया है। अब एफएटीएफ ने एक मामले की केस स्टडी पेश की है, जिसमें दिखाया गया कि कैसे संप्रग सरकार में एक पूर्व केंद्रीय मंत्री ने एक व्यक्ति पर प्रियंका गांधी वाड्रा की औसत पेंटिंग को दो करोड़ रुपये में खरीदने के लिए दबाव डाला।” उन्होंने एफएटीएफ की ‘मनी लॉन्ड्रिंग एंड टेररिस्ट फाइनेंसिंग इन द आर्ट्स एंड द एंटिक्स मार्केट’ नाम की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए ये बातें कहीं। उन्होंने कहा कि यह बहुत शर्म की बात है कि गांधी परिवार के भ्रष्टाचार की कहानी FATF रिपोर्ट का हिस्सा है। राणा कपूर के मामले में ईडी ने आरोप लगाया था कि उन्होंने कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी से एक पेंटिंग खरीदी थी। रिपोर्ट के अनुसार, बैंकर ने स्वार्थ के लिए एक आम सी पेंटिंग महंगे दाम में खरीदी थी। रिपोर्ट में हालांकि बैंकर या नेता का नाम नहीं दिया गया है।
ठाकुर ने कहा, “कांग्रेस के भ्रष्टाचार के एक के बाद एक नए मॉडल सामने आ रहे हैं। कभी नेशनल हेराल्ड, कभी वाड्रा जमीन घोटाला, कभी कोई और। अब एफएटीएफ ने एक केस स्टडी प्रकाशित की है कि कैसे यूपीए सरकार में एक पूर्व केंद्रीय मंत्री ने प्रियंका गांधी वाड्रा की पेंटिंग को 2 करोड़ रुपये में खरीदने के लिए एक व्यक्ति पर दबाव डाला। यह बहुत शर्म की बात है कि गांधी परिवार के भ्रष्टाचार की कहानी को एक केस स्टडी बना कर पूरी दुनिया को बताया जा रहा है, वह भी एक ऐसे संगठन द्वारा जो आतंक के वित्त पोषण को रोकने का काम करता है।”
क्या कहती है रिपोर्ट
ग्लोबल मनी लॉन्ड्रिंग और टेररिस्ट फाइनेंसिंग वॉचडॉग फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स ने अपनी नई रिपोर्ट में एक केस स्टडी को शामिल किया है, जो यस बैंक के पूर्व सीएमडी राणा कपूर के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय के मामले से काफी मिलता-जुलता है। रिपोर्ट में पेंटिंग्स के जरिए मनी लॉन्ड्रिंग का भी जिक्र है। इसमें कहा गया कि 264,000 अमेरिकी डॉलर में उस समय सत्ताधारी राजनीतिक दल के एक सदस्य के करीबी रिश्तेदार से पेंटिग खरीदी गई थी। रिपोर्ट में किसी के नाम का खुलासा नहीं किया गया है, इसमें आरोपी को ‘मिस्टर ए’ कहकर संबोधित किया गया है।
एफएटीएफ ने अपनी रिपोर्ट में मिस्टर ए का उदाहरण देते हुए कहा, “मिस्टर ए एक भारतीय बैंक के प्रबंध निदेशक और सीईओ थे, जिन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान पद का दुरुपयोग किया। उन्होंने जानबूझकर मौजूदा मानदंडों और विनियमों का उल्लंघन करते हुए घाटे में चल रही या नकारात्मक क्रेडिट वाली व्यावसायिक संस्थाओं को 628 मिलियन अमरीकी डालर के बराबर के ऋण स्वीकृत किए।” रिपोर्ट में एक केस स्टडी का भी हवाला दिया गया है, जिसमें यह खुलासा हुआ है कि संदिग्ध ने रिश्वत देने के लिए एक राजनेता के करीबी सहयोगी से 264,000 अमेरिकी डॉलर की कीमत पर बिना किसी वास्तविक मूल्य की पेंटिंग खरीदी थी।
वहीं, ईडी ने अपनी एक चार्जशीट में कहा था कि कपूर ने बताया था कि उन्हें कांग्रेस की प्रियंका गांधी वाड्रा से 2 करोड़ रुपये में एमएफ हुसैन की एक पेंटिंग खरीदने के लिए मजबूर किया गया था। रिपोर्ट में कहा गया कि जांच से पता चला कि पेंटिंग खरीदने के लिए दी गई कीमत कला के लिए नहीं बल्कि प्रतिष्ठित भारतीय पुरस्कार पद्म भूषण को प्रभावित करने के लिए रिश्वत थी।