ट्रैक्टर परेडः टिकरी पर भी आगबबूला हुए किसान! बोले- महीनों तक यहां बॉर्डर पर बैठने को नहीं आए हैं
एक अन्य प्रदर्शनकारी सुखवीर सिंह ने बताया, "हम इस प्रदर्शन को दो साल तक जारी रख सकते हैं। हमें हमारे समुदाय से समर्थन मिल रहा है। हम सब यहां पर लंगर खा सकते हैं, पर हमें दबाव बनाना होगा। हम यहां पर बैठ नहीं सकते।"

गणतंत्र दिवस पर मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में जिन बॉर्डर्स पर किसानों की ट्रैक्टर परेड एकदम से हिंसक हो गई, उनमें से टिकरी बॉर्डर भी था। तय वक्त के मुताबिक, इसे दोपहर 12 बजे के आस-पास शुरू होना था। पर सुबह करीब नौ बजे ही किसान सिंघु और टिकरी पर पुलिस के लगाए बैरिकेड्स और कंटेनर्स तोड़ते हुए, लांघते हुए और फांदते हुए दिल्ली में दाखिल हो आए। इस बीच, पुलिस को हालत काबू करने के लिए उन पर लाठियां भांजनी पड़ीं। टियर गैस के गोले दागने पड़े।
रैली हिंसक होने से पहले पंजाब से आए एक किसान वरिंदर सिंह ने बताया था, “हम टिकरी पार करने में सक्षम हैं और बगैर किसी दिक्कत के दिल्ली में दाखिल हो सकते हैं…। हम अब लाल किला की ओर बढ़ेंगे और वहीं रुकेंगे। हम महीनों तक टिकरी पर बैठने के लिए नहीं आए हैं।”
एक अन्य प्रदर्शनकारी सुखवीर सिंह ने बताया, “हम इस प्रदर्शन को दो साल तक जारी रख सकते हैं। हमें हमारे समुदाय से समर्थन मिल रहा है। हम सब यहां पर लंगर खा सकते हैं, पर हमें दबाव बनाना होगा। हम यहां पर बैठ नहीं सकते।”
दरअसल, सुबह जो ट्रैक्टर टिकरी बॉर्डर से निकले थे, वे झड़ोदा कलां नामक जगह के पास जाम में फंस गए थे। इंतजार कर के थकने के बाद कुछ किसान सड़क किनारे बैठ गए थे। रैली जब शुरू हुई, तो ट्रैक्टरों के पहले समूह ने दोपहर के आसपास नांगलोई में बैरिकेड्स तोड़ दिए थे, जिसके बाद पुलिस ने उन पर टियरगैस के गोले दागे थे।
नांगलोई फ्लाईओवर के नीचे भी बवाल कट रहा था। पुलिस को कई राउंड में आंसू गैस के गोले दागने पड़े और हल्का-फुल्का लाठीचार्ज करना पड़ा, ताकि प्रदर्शनकारियों को तितर बितर किया जा सके।
तय रूट से अलग होकर मार्च करने की इच्छा इन प्रदर्शनकारियों में तब आई, जब खबर फैली कि गाजीपुर और सिंघु की ओर से आ रहे किसान लाल किला तक पहुंच गए। इस दौरान एक समूह को यह कहते सुना गया कि वह कैसे अपने ट्रैक्टर्स को सेंट्रल दिल्ली की ओर मोड़ें। हालांकि, बहुत सारे फिर भी असल रूट के साथ रहे।
पंजाब से नाता रखने वाले गुलविंदर सिंह ने कहा था- हम नेताओं द्वारा दिए गए रूट को ही फॉलो करेंगे। मुझे नहीं मालूम कि और ट्रैक्टर कहां जा रहे हैं, पर वे जो कर रहे हैं- वह गलत है। यह चीज हमारे आंदोलन को कमजोर करेगी।
शाम चार बजे तो स्थिति बेहद ही खराब थी। प्रदर्शनकारियों का एक समूह पुलिस वाहनों की रूफ (छत) पर चढ़ गया था। उन्होंने इस दौरान खिड़कियों तोड़ दी थीं। इस दौरान प्रदर्शनकारियों के हाथों में पुलिस की लाठियां और शील्ड्स थीं। बठिंडा के गुरजंत सिंह बोले- हमने दो महीने तक शांति से इंतजार किया। आज हम बार-बार लाठी और टियर गैस का सामना किया। हमारा सब्र टूट चुका है। अगर चीजें गड़बड़ा गईं, तो सरकार को दोष देना।