किसान आंदोलन: कृषि मंत्री से बोले किसान- आप अपना खाइए, हम अपना खाएंगे, पिछली बैठक में साथ खाया था
तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों के साथ आज सरकार ने सातवें दौर की बातचीत की। जो कि फिर से बेनतीजा रही।

किसान नेताओं ने आज सरकार के मंत्रियों के साथ भोजन करने से मना कर दिया। किसान नेताओं ने सरकार के मंत्रियों से कहा कि आप अपना खाना खाओ, हम अपना खाना खाएंगे। तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों के साथ आज सरकार ने सातवें दौर की बातचीत की। जो कि फिर से बेनतीजा रही। अगले दौर की बातचीत अब 8 जनवरी को होगी।
अब तक किसानों और सरकार के बीच होने वाली वार्ता में लंच की अवधि कहीं न कहीं किसानों और सरकार के बीच की स्थिति को बतलाती आई है। किसानों का सरकार के मंत्रियों के साथ भोजन न करना बताता है कि गतिरोध कायम है। इससे पहले लग रहा था कि बात बन जाएगी जब पिछले हफ्ते केंद्रीय मंत्रियों ने किसानों के साथ भोजन किया था।
कृषि मंत्री तोमर और रेल मंत्री पीयूष गोयल को किसानों ने पिछले हफ्ते अपने साथ खाना खाने का निमंत्रण दिया था। उस समय मंत्री किसानों के साथ रोटी खाते दिखे थे। उस समय ये संदेशा गया था कि सरकार और किसानों के बीच बर्फ पिघल गई है।
हालांकि आज की मीटिंग के बाद गतिरोध खत्म होने के कोई संकेत नहीं मिले। सरकार किसानों की बात सुनना तो चाहती है लेकिन कानून वापिस लेने का सरकार का कोई इरादा नजर नहीं आता है। किसानों की एमएसपी की लीगल गांरटी की मांग के एवज में सरकार सिर्फ लिखित गारंटी देना चाहती है। किसान भी कानून वापसी से कम में राजी नहीं हैं। आज भी कृषि मंत्री तोमर ने उम्मीद जताई की अगली वार्ता में जरूर समस्या का कोई समाधान निकल जाएगा।
हालांकि किसानों और सरकार के बीच बिजली और पराली के मुद्दे पर सहमति तो बन गई है। बता दें कि किसान कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं। सितंबर महीने में संसद से पारित कराए गए कानूनों को लेकर किसानों को शक है कि ये उनके लिए एमएसपी को हमेशा के लिए खत्म कर देगा और किसानों को कॉरपोरेट की दया पर छोड़ देगा।
सरकार का दावा है कि वे नए कानूनों की मदद से बिचौलियों को खत्म कर देगी। सरकार का दावा है कि नया कानून किसानों को कहीं भी उसकी फसल बेचने की इजाजत देता है।