किसान आंदोलनः कमेटी बनने से 1-2 माह पहले ही आ गए थे फैसले, राकेश टिकैत बोले- सरकार पर भरोसा, कमेटी पर नहीं
किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि उन्हें सरकार पर भरोसा है लेकिन सुप्रीम कोर्ट की बनाई कमेटी पर नहीं है। उनका कहना है कि कमेटी के सदस्यों ने दो महीने पहले ही अपना फैसला दे दिया था।

कृषि कानूनों को लेकर किसान सड़कों पर धरना दे रहे हैं। सरकार के साथ कई दौर की बातचीत के बाद भी जब हल नहीं निकला तो सुप्रीम कोर्ट ने दख़ल देते हुए चार सदस्यों की एक कमेटी बना दी। हालांकि किसान इस कमेटी की बात मानने को तैयार नहीं हैं। किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि कमेटी तो अपना फैसला पहले ही दे चुकी है।
राकेश टिकैत ने कहा, ‘बात वही है। एमएसपी पर कानून बने। स्वामिनाथ रिपोर्ट पर कानून को लागू करो और तीनों बिल को वापस लो। फिर से सरकार से बात होगी।’ आज किसानों और सरकार के बीच 9वें दौर की बातचीत होनी है। एक तरफ किसान कमेटी को मानने को तैयार नहीं हैं तो दूसरी तरफ सरकार ने इसपर भरोसा जताया है। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, ‘हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं। कमिटी के सामने अपना पक्ष रखा जाएगा।’ उन्होंने बातचीत के जरिए समस्या का हल निकलने की उम्मीद जताई है।
आगे बातचीत होने पर टिकैत ने कहा, ‘हम कमेटी में नहीं जा रहे हैं। कमेटी का फैसला तो पहले ही आ चुका है। एक-दो महीने पहले ही वे लोग फैसला दे चुके हैं। हमें सरकार पर भरोसा है कमिटी पर नहीं क्योंकि कानून तो सरकार ने बनाए हैं।’
सुप्रीम कोर्ट ने चार सदस्यों की कमेटी बनाई थी लेकिन इसमें से एक सदस्य अखिल भारतीय किसान समन्वय समिति के चेयरमैन भूपिंदर सिंह मान ने किनारा कर लिया है। उन्होंने कहा कि आंदोलनकारी किसान कमेटी के समक्ष पेश नहीं होने का ऐलान कर चुके हैं। ऐसे में कमेटी में रहने का कोई मतलब नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट की तरफ से बनाई गई कमिटी में भूपिंदर मान के अलावा शेतकारी संगठन के अध्यक्ष अनिल घनवत, अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति शोध संस्थान दक्षिण एशिया के निदेशक प्रमोद कुमार जोशी और कृषि अर्थशास्त्री आशोक गुलाटी शामिल हैं। अब मान ने कमेटी छोड़ दी है। सुप्रीम कोर्ट ने किसानों से कहा था कि वे कमेटी के समक्ष पेश हों और अपनी दिक्कतें सामने रखें। कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाने के बाद अगले आदेश तक तीनों कानूनों पर रोक लगाई है।