‘मां, बच्चे को तो कान पकड़ कर हुकुम दे सकती है’, कृषि कानून वापस लेने के लिए PM की मां को किसान का खत
फिरोजपुर जिले में गोलू का मोड़ गांव के हरप्रीत सिंह ने हिंदी में यह जज्बाती खत लिखा है। उन्होंने इसके जरिए कहा है, "यह तीनों कानून वापस होते हैं, तो जीत पूरे देश की होगी। हारेगा कोई नहीं।"

पंजाब के फिरोजपुर से ताल्लुक रखने वाले किसान हरप्रीत सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां हीराबेन को एक खत लिखा है। उन्होंने इसके जरिए गुजारिश की है कि वह (हीराबेन) बेटे को ये तीन कानून वापस लेने के लिए मनाएं। ऐसा इसलिए, क्योंकि वह मां को न नहीं कहेंगे। आपको पूरा देश उन्हें मनाने के लिए धन्यवाद कहेगा।
फिरोजपुर जिले में गोलू का मोढ़ गांव के हरप्रीत सिंह ने हिंदी में यह जज्बाती खत लिखा है। उन्होंने इसके जरिए कहा है, “बड़े भारी मन से यह खत लिख रहा हूं। आपको पता ही होगा कि कृषि कानून के कारण किसान सड़कों पर सोने को मजबूर हैं। बुजुर्ग, बच्चे और महिलाएं भी हैं। सर्दी में वे बीमार हो रहे हैं और कुछ शहीद भी।”
चिट्ठी के अनुसार, “ये काले कानून अडानी, अंबानी और कॉरपोरेट घराने के कहने पर सरकार ने पास किए हैं। किसान इनसे नाखुश हैं। अपने भविष्य को लेकर चिंतित है। हम इन्हें रद्द कराना चाहते हैं।”
सिंह के लेटर में आगे कहा गया- जिस किसान ने देश-दुनिया का पेट भरा, वही अपना हक मांग रहा है। इसी बीच, किसानों की फसलें खराब हो रही हैं। घरवाले भी इंतजार में हैं। ये पूरे देश का आंदोलन है। फिर भी सरकार और कुछ मीडिया इसे आतंकवादी, खालिस्तानी और टुकड़ा-टुकड़ा गैंग कहकर पुकार रहा है। किसान अपनी मर्जी से आंदोलन कर रहा है।
बकौल सिंह, “जिस देश की आजादी में 90 फीसदी शहीद पंजाबी हुए, उन्होंने इस के बदल देश से कुछ नहीं मांगा। शहीद करतार सिंह सराभा 19 साल की उम्र में देश के लिए शहीद हुए थे, जो किसान के बेटे थे। बड़ी आस से खत लिख रहा हूं कि पीएम ने जो कानून पास किए हैं, वह उन्हें वापस लिए जा सकते हैं। कोई भी आदमी किसी को मना कर सकता है, पर मां को नहीं। हमारे यहां लोग मां को रब का दर्जा देते हैं। मुझे लगा कि वे आपका कहना नहीं टालेंगे।”
उन्होंने यह भी कहा- पूरी उम्मीद है कि आप बेटे को कहकर इन काले कानूनों को वापस जरूर करा देंगी। देश आपका धन्यवाद कहेगा। माता जी, मां अपने बच्चे का तो कान पकड़कर हुकुम दे सकते है। यह तीनों कानून वापस होते हैं, तो जीत पूरे देश की होगी। हारेगा कोई नहीं।” यह रही सिंह की हीराबेन को लिखी चिट्ठीः