लंबा खिंचेगा आंदोलन? 48वें दिन बोले किसान- न मानी सरकार, तो लोहड़ी क्या होली भी यहीं मनाएंगे
वहीं, भारतीय किसान यूनियन (BKU) के राजवीर सिंह जादौन ने कहा, "हम कोर्ट से अपेक्षा करेंगे कि कानूनों को खत्म करने का आदेश दे और MSP पर कानून बने।"

तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली से लगी कई सीमाओं पर किसान आंदोलन पर अड़े हैं। मंगलवार को सिंघु बॉर्डर पर किसानों के विरोध-प्रदर्शन को 48 दिन पूरे हो गए। केंद्र और किसानों के बीच अब तक कई दौर की बातचीत हुई। अब सुप्रीम कोर्ट की भी इस मामले में एंट्री हो चुकी है, मगर सरकार के साथ अन्नदाता अपने-अपने स्टैंड पर कायम हैं।
न तो सरकार झुक रही है और न ही किसान मांगों को लेकर टस से मस हो रहे हैं। किसानों के रवैये से अब ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि ये आंदोलन लंबा खिंच सकता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि कुछ किसानों का कहना है कि अगर सरकार ने उनकी मांगें न मानी तो लोहड़ी क्या, वे होली भी यहीं (आंदोलनस्थल पर) मनाएंगे।
समाचार एजेंसी ANI से बातचीत में सिंघु बॉर्डर पर एक प्रदर्शनकारी ने बताया, “अगर सरकार नहीं मानी तो लोहड़ी तो क्या हम होली भी यहीं मनाएंगे। हम सरकार से कहना चाहते हैं कि किसानों की तरफ ध्यान दे। यहां 51-52 लोग मर गए सरकार को उनकी फिक्र नहीं है।”
इसी बीच, टिकरी बॉर्डर पर विरोध प्रदर्शन में शामिल एक प्रदर्शनकारी ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट से तो उम्मीद है मगर सरकार से उम्मीद नहीं है क्योंकि अगर सरकार चाहती तो यह फैसला अब तक हो गया होता।” वहीं, भारतीय किसान यूनियन (BKU) के राजवीर सिंह जादौन ने कहा, “हम कोर्ट से अपेक्षा करेंगे कि कानूनों को खत्म करने का आदेश दे और MSP पर कानून बने।”
कृषि कानून वापस लो- राहुल ने दोहराई मांगः उधर, पूर्व Congress चीफ राहुल गांधी ने ट्वीट कर मंगलवार को कहा- सरकार की सत्याग्रही किसानों को इधर-उधर की बातों में उलझाने की हर कोशिश बेकार है। अन्नदाता सरकार के इरादों को समझता है; उनकी माँग साफ़ है। कृषि-विरोधी क़ानून वापस लो, बस!
‘BJP-JJP सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाएगी कांग्रेस’: वरिष्ठ कांग्रेसी नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने सोमवार को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से कहा कि करनाल जैसे कार्यक्रम के आयोजन के बजाय वह नए कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए केंद्र को मनाएं। एक सवाल के जवाब में पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा में भाजपा-जजपा सरकार के खिलाफ कांग्रेस अविश्वास प्रस्ताव लाएगी। आंदोलनकारी किसानों ने रविवार को करनाल के कैमला गांव में ‘किसान महापंचायत’ के स्थल पर तोड़फोड़ की थी जहां खट्टर तीनों विवादस्पद केंद्रीय कृषि कानूनों का ‘‘फायदा’’ बताने वाले थे।
केंद्र-किसानों की बात की प्रक्रिया से SC निराशः सुप्रीम कोर्ट ने तीन कृषि कानूनों को लेकर किसानों के विरोध प्रदर्शन से निबटने के तरीके पर सोमवार को केन्द्र को आड़े हाथ लिया। कहा कि किसानों के साथ उसकी बातचीत के तरीके से वह ‘बहुत निराश’ है। न्यायालय ने कहा कि इस विवाद का समाधान खोजने के लिये वह अब एक समिति गठित करेगा। इस बीच, कृषि मंत्रालय ने न्यायालय में हलफनामा दायर कर सरकार की तरफ से किसानों के साथ बातचीत के लिये किये गए प्रयासों का उल्लेख किया। वहीं, दिल्ली पुलिस की तरफ से न्यायालय में याचिका दायर कर किसानों को 26 जनवरी की प्रस्तावित ‘ट्रैक्टर रैली’ या किसी भी तरह के मार्च पर रोक लगाने का आदेश देने का अनुरोध किया गया है। (PTI-Bhasha इनपुट्स के साथ)