Farmers Protest HIGHLIGHTS: अकाली दल का दावा- जानबूझकर समझौते की प्रक्रिया को लंबा कर रही केंद्र सरकार, यह किसानों को थकाने की कोशिश
पूर्व कांग्रेस चीफ राहुल गांधी ने मंगलवार को किसानों के आंदोलन पर केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया। ट्वीट कर कहा- सैकड़ों अन्नदाता मैदानों में धरना दे रहे हैं और ‘झूठ’ टीवी पर भाषण! किसान की मेहनत का हम सब पर क़र्ज़ है। ये क़र्ज़ उन्हें न्याय और हक़ देकर ही उतरेगा।

Farmers Protest HIGHLIGHTS: किसान संगठनों से बातचीत के बाद केंद्र सरकार ने उनसे कहा कि वे तीनों कृषि कानूनों को लेकर उन खास मुद्दों को चिह्नित करें जिन पर उनको आपत्ति है। सरकार ने उनसे बुधवार तक बताने को कहा है, ताकि गुरुवार को उस पर बातचीत की जा सके। इस बीच कृषि कानूनों के मुद्दे पर ही भाजपा से अलग होकर चुनाव लड़ रहे शिरोमणी अकाली दल ने भी सरकार और किसानों के बीच बातचीत नाकाम होने पर टिप्पणी की। पार्टी ने कहा कि केंद्र सरकार जानबूझकर समझौते की प्रक्रिया को लंबा करना चाहती है, ताकि किसानों को थकाया जा सके।
गौरतलब है कि अकाली दल पहले ही किसान संगठनों को कमेटी बनाने जैसे वादों से बचने की सलाह दे चुका है। SAD ने कहा कि कमेटी बनाना मुद्दों को टालने जैसा होगा, ताकि किसानों को थकाया जा सके। बता दें कि सरकार के साथ बातचीत में पंजाब के 32 किसान संगठनों के प्रतिनिधि, दो हरियाणा और एआईकेएससीसी के योगेंद्र यादव तथा यूपी के नेताओं ने भाग लिया।
इससे पहले केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के साथ किसानों की बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकल सका है। सरकार ने किसानों के मुद्दों पर विचार के लिए एक समिति बनाने का प्रस्ताव दिया, जिस पर किसान नेताओं ने आगे विचार की बात कही। हालांकि, इस दौरान वे आंदोलन जारी रखेंगे। इस मुद्दे पर गुरुवार (3 दिसंबर) को फिर बातचीत होगी।
इस बीच दिल्ली से लगी सीमाओं पर पुलिस ने सख्ती तेज कर दी है। वाहनों की चेकिंग के चलते बार्डर पर लंबी कतारें लगी हुई हैं। बता दें कि तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन दिल्ली में फिलहाल जारी है। आज उनके आंदोलन का छठा दिन पर हालात जस के तस हैं। किसानों की समस्या का हल नहीं निकल पाया है।
Highlights
योगगुरु बाबा रामदेव ने केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों का समर्थन किया है। हालांकि, उन्होंने कहा कि सरकार को इन पर पहले ही संबंधित लोगों से बातचीत करनी चाहिए थी। रामदेव ने कहा कि इन कानूनों में और सरकार की मंशा भी एमएसपी को खत्म करने की नहीं है। हमने प्रधानमंत्री, केंद्रीय गृह मंत्री और कृषि मंत्री से बात की, पर कभी नहीं लगा कि सरकार की एमएसपी खत्म करने की कोई योजना है।
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने किसान प्रदर्शन पर आम आदमी पार्टी के रवैये पर हैरानी जाहिर की है। उन्होंने कहा कि संकट के दौरान खतरनाक खेती कानूनों को शर्मनाक तरीके से लागू करने की कार्यवाही ने आप द्वारा किसानों के साथ खड़े होने के दावों से पर्दा उठा दिया है। एक तरफ आम आदमी पार्टी संघर्ष कर रहे किसानों का समर्थन करने का दावा कर रही है दूसरी तरफ केजरीवाल सरकार ने दिल्ली में 23 नवंबर को गजट नोटिफिकेशन जारी कर काले कानूनों को लागू कर दिया। यह पार्टी चुनावी एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए राजनीतिक चालें चल रही है।
केंद्र ने कहा कि 5 सदस्यीय कमेटी बनाई जाए। इसमें केंद्र और किसानों के प्रतिनिधियों के अलावा एक्सपर्ट शामिल हों। किसानों की कानून को खत्म करने की मांग खारिज कर दी। कहा कि कानूनों से जुड़ी खास परेशानियों को बुधवार तक बताएं ताकि 3 दिसंबर को होने वाली मीटिंग में इस पर चर्चा हो सके। हालांकि, किसानों ने कमेटी बनाने की सिफारिश खारिज कर दी और कहा कि पहले भी ऐसी कमेटियां बनाई गईं, पर कोई नतीजा हासिल नहीं हो सका। जब तक मांगें पूरी नहीं हो जाती हैं, पूरे देश में आंदोलन और तेज किया जाएगा।
पंजाब में जारी किसान आंदोलन का रेलवे पर असर जारी है। बताया गया है कि उत्तर रेलवे ने चार ट्रेनों को रद्द कर दिया है। इनमें अमृतसर-अजमेर, डिब्रुगढ़-अमृतसर, अमृतसर-डिब्रुगढ़, बठिंडा-वाराणसी-बठिंडा और कुछ अन्य एक्सप्रेस और सुपरफास्ट ट्रेनें शामिल हैं। इसके अलावा कुछ अन्य ट्रेनों के रूट डायवर्ट किए गए हैं और कुछ के स्टेशन बदले गए हैं।
योग गुरु बाबा रामदेव ने कृषि कानूनों को लेकर जागरूकता के अभाव पर केंद्र सरकार की खिंचाई की। उन्होंने कहा कि वे स्वयं एक किसान हैं और केंद्र के तीनों कृषि कानून किसानों के भविष्य से जुड़े हैं। लेकिन केंद्र सरकार ने कानून बनाने से पहले किसानों को इन कानूनों के बारे में जागरूक नहीं किया, जिसका खामियाजा अब सरकार भुगत रही है।
मंगलवार को हरियाणा के आढ़तियों ने दिल्ली में प्रदर्शन कर रहे किसानों के समर्थन में एक दिन की सांकेतिक हड़ताल की। गौरतलब है कि हाल ही में केंद्र की ओर से लाए गए कृषि कानून में आढ़तियों की भूमिका को खत्म कर दिया गया है। पंजाब के किसान और राजनेता इन आढ़तियों के समर्थन में भी आवाज उठा रहे हैं।
उधर दिल्ली की सीमा पर जैसे-जैसे फोर्स बढ़ रही है किसान संगठन अलर्ट हो गए हैं। प्रदर्शन को तेज करने के लिए किसान अब और ज्यादा प्रदर्शनकारियों को जुटाने की कोशिश में हैं।
गौरतलब है कि पंचायतों ने अपील की है कि किसानों के हर एक परिवार से कम से कम एक सदस्य दिल्ली भेजा जाए ताकि प्रदर्शनकारी किसानों का हौसला बढ़ाया जा सके।
वहीं पंजाब और हरियाणा की पंचायतों की अपील पर सैकड़ों किसान लोगों से राशन, दवा और जरूरत के अन्य सामान इकट्ठा कर रहे हैं। इन सामानों को ट्रैक्टरों पर लादा जा रहा है जो बुधवार से दिल्ली के लिए रवाना होने शुरू होंगे।
किसानों के आंदोलन मेें पहुंचने के साथ ही दिल्ली के बाजारों की चिंता बढ़ गई है। वैसे, केंद्र सरकार और किसानों के प्रतिनिधिमंडल के बीच बातचीत की शुरुआत होने के साथ वे आशांवित हैंं कि आंदोलन खत्म होने का रास्ता निकलेगा और दिल्ली में आवागमन पहले की तरह बहाल हो जाएगी।
वहीं, AAP के सौरभ भारद्वाज ने कहा है- जिस तैयारी से किसान आए हैं, वो सोच कर आए हैं कि केंद्र सरकार इनकी बात आसानी से नहीं मानेगी। उनके पास 6 महीने का तेल, गैस, आटा, दाल, चावल हैं। वे इन तीनों क़ानूनों को वापस कराकर अपने घर जाएंगे। सरकार को इनसे खुले मन से बातचीत करनी चाहिए।
दिल्ली में गाजीपुर-गाजियाबाद बॉर्डर पर किसानों के प्रदर्शन में Bhim Army चीफ चंद्रशेखर आजाद भी शामिल हो गए हैं। इसी बीच, पंजाब के मंत्री भारत भूषण आशु बोले हैं कि केंद्र सरकार को चाहिए कि खुले दिल से किसानों मांगों पर विचार करें और उन्हें मानें।
किसानों के आंदोलन को देखते हुए पुलिस ने दिल्ली से लगी सीमाओं पर चेकिंग बढ़ा दी है। मंगलवार को हरियाणा और यूपी की ओर जाने वाली कई सड़कों पर वाहनों की लंबी कतारें लगी हुई थीं। दिल्ली पुलिस ने सिंघू, टिकरी और चिल्ला सीमाओं को यातायात के लिए बंद रखा और किसानों के विरोध को देखते हुए अन्य स्थानों पर चेकिंग बढ़ा दी है।
केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ किसान लंबे आंदोलन की तैयारी के साथ आए हैं। वे अपने साथ जरूरत के सभी सामान साथ लाए हैं। किसानों के पास राशन, कपड़ों के साथ ही एंबुलेंस और डॉक्टर भी हैं।
सरकार ने मंगलवार को नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों द्वारा उठाए गए मुद्दों पर गौर करने के लिए एक समिति गठित करने की पेशकश की है। सरकार की ओर से तीन केंद्रीय मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों ने आंदोलनरत 35 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों से मुलाकात के दौरान यह प्रस्ताव रखा।
हमारा आंदोलन जारी रहेगा। सरकार से कुछ लेकर जाएंगे। सरकार अगर शांति चाहती है तो लोगों का मुद्दा हल करे। हम मुलाकात के लिए परसों फिर आएंगे : दिल्ली में केंद्रीय कृषि मंत्री से मुलाकात के बाद किसान प्रतिनिधिमंडल के सदस्य चंदा सिंह
दिल्ली सरकार ने तीन केंद्रीय कृषि कानूनों में से एक की अधिसूचना जारी कर दी है जबकि बाकी दो अन्य पर विचार किया जा रहा है। अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। दिल्ली सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) कानून, 2020 को 23 नवंबर को अधिसूचित किया गया था।
सरकार ने किसानों से कहा, "आप अपने संगठन के 4-5 लोगों के नाम दीजिए। सरकार अपने प्रतिनिधियों और कृषि विशेषज्ञों के साथ मिलकर एक कमेटी बनाएगी और कृषि कानूनों पर विचार करेगी।"
दिल्ली के विज्ञान भवन में सरकार और किसान नेताओं के बीच वार्ता चल रही है। इसमें सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) और कृषि उपज बाजार समिति (APMC) अधिनियम पर किसान नेताओं को एक विस्तृत जानकारी दे रही है।
पद्मश्री और अर्जुन अवॉर्ड सम्मानित सहित कई पूर्व खिलाड़ियों ने कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों का समर्थन करते हुए कहा कि दिल्ली कूच के दौरान प्रदर्शनकारियों के खिलाफ ‘बल’ प्रयोग के विरोध में वे अपना पुरस्कार लौटाएंगे। इन खिलाड़ियों में पद्मश्री और अर्जुन अवॉर्ड विजेता पहलवान करतार सिंह, अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित बास्केटबॉल खिलाड़ी सज्जन सिंह चीमा और अर्जुन अवॉर्ड से ही सम्मानित हॉकी खिलाड़ी राजबीर कौर शामिल हैं।
बिल्किस दादी ने कहा, हम किसानों की बेटी हैं। हम आज किसानों के विरोध का समर्थन करेंगे। हम आज अपनी आवाज उठाएंगे। सरकार को हमें सुनना होगा।
दिल्ली पुलिस ने सिंघु सीमा (दिल्ली-हरियाणा बार्डर) पर किसानों के विरोध प्रदर्शन में शामिल होने जा रहीं शाहीन बाग वाली आंदोलनकारी बिल्किस दादी को हिरासत में लिया।
कृषि बिलों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों के मुद्दों को लेकर दिल्ली के विज्ञान बैठक में शुरू हो चुकी है। बैठक से पहले कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, हम उनके मुद्दे सुलझाने पर चर्चा करेंगे। उनकी बात सुनने के बाद सरकार इनका हल निकालेगी। मीटिंग में तोमर के साथ रेल मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्य मंत्री सोम प्रकाश (जो पंजाब से सांसद हैं) भी मौजूद हैं।
प्रदर्शनकारी किसानों के प्रतिनिधियों के साथ मंगलवार को होने वाली बैठक से कुछ घंटे पहले केंद्रीय मंत्रियों राजनाथ सिंह और अमित शाह तथा भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा एवं अन्य ने इस विषय पर देर तक विचार-विमर्श किया। केंद्र सरकार ने प्रदर्शन कर रहे सभी 32 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ अपराह्न तीन बजे यहां विज्ञान भवन में बैठक बुलाई है। राजनाथ सिंह, अमित शाह ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रेल मंत्री पीयूष गोयल के साथ तीन घंटे से अधिक समय तक केंद्र के तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन के मुद्दे पर मंथन किया। दिल्ली के सिंघु और टिकरी बार्डर पर विशेष रूप से पंजाब और हरियाणा के किसानों का शांतिपूर्ण प्रदर्शन जारी है। शुक्रवार की हिंसा के बाद यहां से किसी तरह की अप्रिय घटना की कोई खबर नहीं है। सोमवार को गाजीपुर सीमा पर भी बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी जमा हो गये।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को एक बार फिर विपक्षी दलों पर नए कृषि कानूनों को लेकर किसानों को ''बरगलाने'' और ''नए हथकंडे'' अपनाने का आरोप लगाया। वहीं, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि लाए गए नए कृषि कानून केवल प्रधानमंत्री के ''दो-तीन मित्रों'' के फायदे के लिए हैं। इस आरोप-प्रत्यारोप के बीच मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्लीवासियों से प्रदर्शनकारी किसानों की सहायता का अनुरोध किया।
नए कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ हो रहे प्रदर्शनों के बीच प्रधानमंत्री मोदी ने सोमवार को कहा कि ‘‘छल का इतिहास रखने वाले लोग’’ नए ‘‘ट्रेंड’’के तहत पिछले कुछ समय से सरकार के फैसले पर भ्रम फैला रहे हैं। प्रधानमंत्री ने अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी के खजूरी गांव में एक कार्यक्रम में कहा, ''पहले सरकार का कोई फैसला अगर किसी को पसंद नहीं आता था तो उसका विरोध होता था लेकिन बीते कुछ समय से हमें नया ट्रेंड देखने को मिल रहा है। अब विरोध का आधार फैसला नहीं, बल्कि भ्रम और आशंकाएं फैलाकर उनको आधार बनाया जा रहा है।''
किसानों को आशंका है कि इन कानूनों के कारण न्यूनतम समर्थन मूल्य समाप्त हो जाएगा। तोमर ने सोमवार को ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा था, ‘‘ कोविड-19 और ठंड के मद्देनजर, हमने किसान संगठनों के नेताओं को पूर्वनिर्धारित तीन दिसम्बर की बैठक से पहले चर्चा के लिए आमंत्रित किया है।’’ उन्होंने बताया कि अब यह बैठक एक दिसम्बर को राष्ट्रीय राजधानी स्थित विज्ञान भवन में अपराह्न तीन बजे बुलायी गयी है।
नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमा पर प्रदर्शन कर रहे किसानों ने केन्द्र का वार्ता का प्रस्ताव स्वीकार करने का फैसला किया है। कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने सोमवार को कोविड-19 और ठंड का हवाला देते हुए किसान संगठनों के नेताओं को तीन दिसम्बर की बजाय मंगलवार को ही बातचीत के लिए बुलाया था। किसान नेता बलजीत सिंह महल ने कहा, ‘‘ हमारी बैठक में, हमने केन्द्र का आज दोपहर तीन बजे बातचीत करने का प्रस्ताव स्वीकार करने का फैसला किया है। प्रदर्शन कर रहे किसानों के प्रतिनिधि केन्द्रीय मंत्रियों से मुलाकात करेंगे।’’ केन्द्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ हजारों किसान दिल्ली से लगे सीमा बिंदुओं पर मंगलवार को लगातार छठे दिन डटे हैं।
गाजियबाद में यूपी गेट पर आजाद समाज पार्टी के कार्यकर्ता जुटने शुरू हुए, भीम आर्मी चीफ के आने की आशंका हुई तेज, किसानों को समर्थन देगे।
केंद्र सरकार द्वारा पारित तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे किसान आंदोलन में हिस्सा लेने के लिए बुंदेलखंड़ के करीब 500 किसान निजी साधनों से बृहस्पतिवार को दिल्ली कूच करेंगे। यह जानकारी एक किसान संगठन के पदाधिकारी ने दी। बुंदेलखंड किसान यूनियन (बीकेयू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष विमल शर्मा ने मंगलवार को 'पीटीआई-भाषा' से कहा कि केंद्र सरकार द्वारा बनाये गए नए तीन कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन में हिस्सा लेने के लिए बांदा, चित्रकूट, महोबा, हमीरपुर, जालौन, झांसी और ललितपुर जिले से करीब 500 किसान निजी वाहनों से राशन, पानी और जरूरी चीजों के साथ बृहस्पतिवार को दिल्ली कूच करेंगे और कृषि कानून वापस होने के बाद ही लौटेंगे। उन्होंने बताया कि दिल्ली कूच की तैयारी पूरी हो चुकी है। सभी जिला इकाइयों को शांतिपूर्ण ढंग से आंदोलन में भाग लेने के निर्देश दिए गए हैं।
केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने केंद्र सरकार से मंगलवार को अपील की कि वह नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमा पर प्रदर्शन कर रहे किसानों की बात ‘‘सुने’’ और मैत्रीपूर्ण तरीके से मामले को सुलझाए। विजयन ने एक ट्वीट में किसानों को देश का ‘‘जीवन आधार’’ बताया और कहा कि यह उनके साथ खड़े रहने का समय है। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘ यह किसानों के साथ खड़े रहने का समय है। हम भारत सरकार से अपील करते हैं कि वह विरोध कर रहे किसानों की बात सुने और मामले को मैत्रीपूर्ण तरीके से सुलझाए।’’ विजयन ने कहा, ‘‘हमारे पूरे देश को इस मामले पर एकजुट होने की आवश्यकता है, क्योंकि किसान इस देश के जीवन का आधार हैं।’’
इसी बीच, यूपी के पूर्व सीएम और सपा नेता अखिलेश यादव ने कहा है कि आय दोगुनी करने का जुमला देकर कृषि क़ानून की आड़ में किसानों की ज़मीन हड़पने का जो षडयंत्र है वो हम खेती-किसानी करनेवाले अच्छे से समझते है. हम अपने किसान भाइयों के साथ हमेशा की तरह संघर्षरत हैं, जिससे एमएसपी, मंडी व कृषि की सुरक्षा करनेवाली संरचना बची-बनी रहे। भाजपा अब ख़त्म!
पूर्व कांग्रेस चीफ राहुल गांधी ने मंगलवार को किसानों के आंदोलन पर केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया। ट्वीट कर कहा- सैकड़ों अन्नदाता मैदानों में धरना दे रहे हैं और ‘झूठ’ टीवी पर भाषण! किसान की मेहनत का हम सब पर क़र्ज़ है। ये क़र्ज़ उन्हें न्याय और हक़ देकर ही उतरेगा। न कि उन्हें दुत्कार कर, लाठियां मारकर और आंसू गैस चलाकर। जागिए, अहंकार की कुर्सी से उतरकर सोचिए और किसान का अधिकार दीजिए।
दिल्ली ही नहीं बल्कि कर्नाटक में भी कृषि बिलों को लेकर प्रदर्शन हो रहे हैं। मंगलवार को बेंगलुरू में Congress पार्टी के कार्यकर्ताओं ने केंद्र के लाए तीन नए किसान संबंधी कानूनों को लेकर प्रदर्शन किया। साथ ही तेजी से बढ़ते तेल के दामों को भी इस दौरान मुद्दा बनाया।
नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमा पर प्रदर्शन कर रहे किसानों ने केन्द्र के वार्ता के प्रस्ताव पर चर्चा करने के लिए मंगलवार को एक बैठक बुलाई है। कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने सोमवार को कोविड-19 और ठंड का हवाला देते हुए किसान संगठनों के नेताओं को तीन दिसम्बर की बजाय मंगलवार को ही बातचीत के लिए बुलाया था। किसान नेता बलजीत सिंह महल ने कहा, ‘‘ केन्द्र का प्रस्ताव स्वीकार करें या नहीं, इस पर चर्चा के लिए हम आज एक बैठक कर रहे हैं।’’
केन्द्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ हजारों किसान दिल्ली से लगे सीमा बिंदुओं पर मंगलवार को लगातार छठे दिन डटे हैं। किसानों को आशंका है कि इन कानूनों के कारण न्यूनतम समर्थन मूल्य समाप्त हो जाएगा।
दिल्ली ट्रैफिक पुलिस के मुताबिक, टीकरी बॉर्डर पर किसी भी तरह का ट्रैफिक मूवमेंट बाधित है। हरियाणा के लिए जो बॉर्डर खुले हैं वे- Jharoda, Dhansa, Daurala Jhatikera, Badusari, Kapashera, Rajokri NH8, Bijwasan/Bajghera, Palam Vihar और Dundahera Borders हैं।
दोपहर तीन बजे किसानों की बातचीत से पहले मोदी के मंत्रियों की आपस में बैठक होनी है। इस मीटिंग में राजनाथ सिंह, नरेंद्र सिंह तोमर, पीयूष गोयल और सोम प्रकाश रहेंगे। यह बैठक साढ़े 10 बजे बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा पर होगी, जिसका एजेंडा होगा कि आखिर किसानों को कैसे साधा जाए। कैसे उन्हें कृषि बिलों के मामले पर संतुष्ट किया जाए। इसी बीच, खबर है कि सरकार के बुलावे को लेकर किसान भी एक बैठक करेंगे।
ऑल इंडिया टैक्सी यूनियन ने सोमवार को चेतावनी दी कि अगर नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों की मांगे नहीं मानी गई तो वे हड़ताल पर जाएंगे। युनियन के अध्यक्ष ने इसकी जानकारी दी। यूनियन के अध्यक्ष बलवंत सिंह भुल्लर ने कहा कि वे किसानों की मांगों को पूरा करने के लिए उन्हें दो दिन का समय दे रहे हैं।
भुल्लर ने कहा, ‘‘ हम प्रधानमंत्री और कृषि मंत्री से अपील करते हैं कि वे इन कानूनों को वापस लें। कॉर्पोरेट सेक्टर हमें बर्बाद कर रहा है। अगर दो दिनों के भीतर सरकार इन कानूनों को वापस नहीं लेती है तो हम सड़क से अपने वाहनों को हटा लेंगे। हम देश के सभी चालकों से अपील करते हैं कि वे तीन दिसंबर से वाहन चलाना बंद कर दें।’’
पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने सोमवार को कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के संघर्ष को ‘न्यायपूर्ण’ बताते हुये केंद्र सरकार से सवाल किया कि वह किसानों की आवाज क्यों नहीं सुन रही है और इस मुद्दे पर उसका हठी रवैया क्यों है। सिंह ने दोहराया कि उनकी सरकार इन ‘काले कानूनों’ के खिलाफ किसानों के साथ खड़ी रहेगी। मुख्यमंत्री ने ऐतिहासिक कस्बों सुल्तानपुर लोधी और डेरा बाबा नानक की यात्रा के दौरान अनौपचारिक तौर पर मीडियाकर्मियों से बातचीत के दौरान कहा, ‘‘ जनता की बात सुनना सरकार का काम है । अगर कई राज्यों के किसान इस प्रदर्शन में शामिल हो रहे हैं तो इसका मतलब है कि वे वास्तव में दुखी हैं।’’
- दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आना जारी, पर बाकी लोगों का आवागमन प्रभावित।
- हरियाणा की 130 खाप पंचायतें भी किसान आंदोलन में आज से लेंगी हिस्सा।
- सिंघु बॉर्डर पर कटे हंगामे के सिलसिले में अलीपुर थाने में केस दर्ज।
- आज दोपहर तीन बजे 32 किसान संगठन के प्रतिनिधियों संग केंद्र की बैठक।
- अगर रास्ता नहीं निकलता है, तो संघर्ष गहरा सकता है। दोनों पक्ष की तैयारियां हैं।
राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं के निकट और अधिक प्रदर्शनकारी पहुंच रहे हैं और आंदोलन तेज होता प्रतीत हो रहा है। इसके मद्देनजर दिल्ली पुलिस ने सुरक्षा बंदोबस्त बढ़ा दिए हैं और हरियाणा तथा उत्तर प्रदेश से राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश के सभी बिंदुओं पर अवरोधक लगाए गए हैं। किसानों ने रविवार को घोषणा की थी कि वे आने वाले दिनों में दिल्ली में प्रवेश के पांच रास्तों को जाम करेंगे। वहीं किसानों ने इन कानूनों पर चर्चा करने के लिये केंद्र सरकार की ओर से रखी गई शर्त को मानने से मना कर दिया है और कहा है कि वे निर्णायक लड़ाई के लिए आए हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की है कि वे उनके ‘मन की बात’ को सुनें। सिंघु और टीकरी बॉर्डर दोनों जगह शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन जारी है। यहां पंजाब और हरियाणा के किसान लगातार पांचवें दिन जमा हैं। पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश से और किसानों के पहुंचने से गाजीपुर सीमा पर प्रदर्शनकारियों की संख्या बढ़ गई है।
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों के नेताओं को कोविड-19 महामारी एवं सर्दी का हवाला देते हुये तीन दिसंबर की जगह मंगलवार को बातचीत के लिये आमंत्रित किया है। तोमर ने पीटीआई-भाषा से कहा, ''कोरोना वायरस महामारी एवं सर्दी को ध्यान में रखते हुये हमने किसान यूनियनों के नेताओं को तीन दिसंबर की बैठक से पहले ही चर्चा के लिये आने का न्यौता दिया है।’’ उन्होंने बताया कि अब यह बैठक एक दिसंबर को राष्ट्रीय राजधानी के विज्ञान भवन में दोपहर बाद तीन बजे बुलायी गयी है। उन्होंने बताया कि 13 नवंबर को हुई बैठक में शामिल सभी किसान नेताओं को इस बार भी आमंत्रित किया गया है। बता दें कि हजारों किसान दिल्ली की सीमा पर पिछले पांच दिनों से धरने पर हैं। केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ उनका यह धरना सोमवार को पांचवें दिन में प्रवेश कर गया। इन कानूनों के बारे में किसानों को आशंका है कि इससे न्यूनतम समर्थन मूल्य समाप्त हो जाएगा।
कल वाराणसी में प्रधानमंत्री मोदी ने मंच से प्रदर्शन कर रहे किसानों को संदेश दिया था कि उन्हें भटकाया गया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि अच्छाइयों को छिपाकर उन्हें गलत बातें बता दी गई हैं। पीएम ने दावा किया था कि सरकार गंगाजल जैसी साफ नीयत से काम कर रही है।