महिला दिवस से पहले 40 हजार औरतें दिल्ली को रवाना, किसान आंदोलन में लेंगी हिस्सा; बॉर्डर पर कार्यक्रमों का भी करेंगी संचालन
किसान संगठनों ने कहा कि 8 मार्च को आंदोलन में महिलाओं की ज्यादा से ज्यादा मौजूदगी दर्ज कराने के लिए पंजाब में ट्रैक्टर मार्च आयोजित कराए गए हैं।

केंद्र के तीन विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के प्रदर्शनों को 100 से ज्यादा दिन हो चुके हैं। किसान नेता पहले ही ऐलान कर चुके हैं कि उनका आंदोलन खत्म नहीं होने जा रहा और वे मजबूती से बढ़ रहे हैं। आंदोलन में बीते कई दिनों से बड़ी संख्या में महिला किसान भी पहुंच रही हैं। अब किसान संगठनों ने फैसला किया है कि आठ मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर इस आंदोलन में महिलाओं के योगदान के प्रतीक के तौर पर पुरुष प्रदर्शन स्थलों की कमान और प्रबंधन महिलाओं के हाथों में सौंपेंगे।
क्रांतिकारी किसान संघ के अवतार सिंह मेहमा ने कहा, “मंच प्रबंधन सिर्फ महिलाओं द्वारा किया जाएगा। इसके अलावा उस दिन किसान आंदोलन के लिये प्रवक्ता भी महिलाएं ही होंगी।” किसान संगठनों ने कहा कि 8 मार्च को आंदोलन में महिलाओं की ज्यादा से ज्यादा मौजूदगी दर्ज कराने के लिए पंजाब में ट्रैक्टर मार्च आयोजित कराए गए हैं। ज्यादातर महिलाएं दिल्ली स्थित आंदोलनस्थल के लिए रविवार सुबह ही निकल गईं।
भारतीय किसान यूनियन (उग्रहण) के महासचिव सुखदेव सिंह कोकरीकालन ने बताया कि महिलाएं 600 मिनी बसों, 115 ट्रक-कैंटर औऱ 200 छोटी गाड़ियों से निकली हैं। हजारों महिलाएं रविवार रात तक टिकरी बॉर्डर पहुंच जाएंगी। बता दें कि बीकेयू-उग्रहण के पास सभी किसान संगठनों में सबसे बड़ा महिला विंग है। दूसरी तरफ भारतीय किसान यूनियन (दाकौंदा) के महासचिव जगमोहन सिंह ने कहा कि जब महिलाएं स्टेज पर कार्यक्रम करेगी, तबह हमारी एक वरिष्ठ टीम स्टेजों के पास ही रहेगी।
महिला दिवस के बाद घरों को लौट जाएंगी महिलाएं: बताया गया है कि ज्यादातर महिलाएं फिलहाल अपने बच्चों के फाइनल एग्जाम में व्यस्त हैं। इसलिए ज्यादातर महिलाएं 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर प्रदर्शन में हिस्सा लेने के बाद 9 मार्च को पंजाब लौट जाएंगी। इसके अलावा कुछ महिलाएं अपनी मर्जी से प्रदर्शनस्थल पर रुक भी सकती हैं।
किसान आंदोलन के लंबे चलने के आसार: बीते करीब तीन महीनों से दिल्ली की तीन सीमाओं सिंघु, टिकरी और गाजीपुर में बड़ी संख्या में देश के विभिन्न हिस्सों से आए किसान डटे हुए हैं। इन किसानों में मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान शामिल हैं। भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के राकेश टिकैत ने कहा कि जब तक जरूरत होगी वे प्रदर्शन जारी रखने के लिये तैयार हैं।