बीते 7 महीने भी अधिक समय से कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन जारी है। किसान केंद्र सरकार द्वारा पारित इन कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। गुरुवार को जंतर मंतर पर आयोजित किसान संसद के दौरान भाजपा नेताओं का जिक्र करते हुए स्वराज पार्टी के नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि जब कैमरा ऑफ़ होता है तो तब वे कहने लगते हैं कि पिंड छोड़ो।
गुरुवार को जंतर मंतर पर आयोजित किसान संसद के दौरान समाचार चैनल एनडीटीवी से बातचीत करते हुए योगेंद्र यादव ने कहा कि पहली बार लोकतंत्र के इतिहास में हुआ है कि किसानों और मतदाताओं ने अपना व्हिप लागू किया है। यह एक नायाब विचार है जो इस आंदोलन ने देश को उपहार में दिया है।
आगे योगेंद्र यादव ने केंद्र सरकार का जिक्र करते हुए कहा कि हाथी के दांत खाने के कुछ होते हैं और दिखाने के कुछ होते हैं। जब कैमरा ऑफ़ हो जाता है तब वे कहते हैं कि पिंड छोड़ो, भाई क्या लोगे। मोदी जी के पास भागते हैं और कहते हैं कि मोदी जी इनसे पिंड छुड़वाओ..बहुत नुकसान हो गया..मर जाएंगे। साथ ही उन्होंने एनडीटीवी के पत्रकार से कहा कि जब आप भी कैमरा ऑफ करके बीजेपी वालों की बात सुनते होंगे तो आपको भी पता चलता होगा कि वो क्या कह रहे हैं।
“If they (farmers) are only a handful, then why are 30,000 Police personnel deployed, why is the government scared?”: @_YogendraYadav, National President, Swaraj India at #JantarMantar protest site pic.twitter.com/NCdFCrouPI
— NDTV Videos (@ndtvvideos) July 22, 2021
इस दौरान जब एनडीटीवी के पत्रकार संकेत उपाध्याय ने योगेंद्र यादव से यह कहा कि सरकार अभी भी अपने उसी बयान पर कायम है कि ये मुट्ठी लोग हैं और किसानों का सही प्रतिनिधित्व नहीं कर रहे हैं तो ऐसे में समाधान कैसे निकलेगा। इसके जवाब में योगेंद्र यादव ने कहा कि अगर ये मुट्ठी भर लोग हैं तो आपने पूरी दिल्ली पुलिस क्यों लगा रखी है। 30- 40हजार दिल्ली पुलिस खड़ी है..इन मुट्ठी भर लोगों से क्या डरना है। सरकार इसलिए डर रही है क्योंकि उन्हें पता है कि एक लोग के पीछे हजारों-लाख किसान खड़े हैं।
कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे किसान आज दूसरे दिन जंतर-मंतर पर किसान संसद चलाएंगे। गुरुवार को किसान संसद के पहले दिन करीब 200 किसान दिल्ली की सीमाओं से जंतर मंतर पहुंचे। बता दें कि किसान आंदोलन को 7 महीने से भी अधिक होने के बावजूद अभी तक कोई ठोस समाधान नहीं निकल पाया है। जनवरी महीने के बाद से ही किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच कोई बातचीत नहीं हुई है। केंद्र सरकार ने आखिरी मीटिंग में तीनों कानूनों को डेढ़ साल तक निलंबित करने का प्रस्ताव भी दिया था लेकिन किसान संगठनों ने इसे नामंजूर कर दिया था। प्रदर्शनकारी किसान तीनों कानूनों की वापसी को लेकर अड़े हुए हैं।