कृषि कानूनों पर किसान नेता का दावा- सरकार ने कहा कि कुछ ऐसा करो कि दोनों की इज्जत रह जाए
बलवीर सिंह राजेवाल ने दावा किया कि एक बार तो देश के गृह मंत्री अमित शाह ने मुझे मीटिंग में कहा कि आप इन कानूनों में इतने संशोधन करवा लो कि इसमें कुछ बचे ही ना और यह एक तरफ पड़ा रहेगा।

पिछले तीन महीने से भी अधिक समय से देशभर के किसान दिल्ली से सटे सभी सीमाओं पर धरना दे रहे हैं। आंदोलनकारी किसान केंद्र सरकार द्वारा पारित किए गए तीनों कृषि कानून को रद्द करने की मांग कर रहे हैं। किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच 12 दौर से ज्यादा की बातचीत होने के बाद भी अभी तक कोई हल नहीं निकल पाया है। सरकार और किसान संगठनों के बीच अभी तक गतिरोध जारी है। इसी बीच किसान नेता बलवीर सिंह राजेवाल ने दावा किया है कि मीटिंग के दौरान सरकार ने कहा था कि कुछ ऐसा करो जिससे दोनों की इज्जत बची रह जाए।
पंजाबी न्यूज चैनल एबीपी साँझा के एक कार्यक्रम में किसान नेता बलवीर सिंह राजेवाल ने कहा कि हम हमेशा सरकार से बात करने को तैयार हैं और पहले भी तैयार थे। सरकार से हम तीन बार कानून के हर पहलू पर बहस कर चुके हैं। सरकार के प्रतिनिधि हर मीटिंग में इन कानूनों के संशोधन पर राजी हो जाते थे। इसलिए मैंने सरकार से कहा कि अगर आप इतने संशोधन को तैयार हैं तो फिर इन कानूनों को रद्द क्यों नहीं कर देते हैं। इसपर सरकार ने कहा कि कोई ऐसा रास्ता निकालो जिससे हम दोनों की इज्जत बची रह जाए।
आगे बलवीर सिंह राजेवाल ने दावा किया कि एक बार तो देश के गृह मंत्री अमित शाह ने मुझे मीटिंग में कहा कि आप इन कानूनों में इतने संशोधन करवा लो कि इसमें कुछ बचे ही ना और यह एक तरफ पड़ा रहेगा। यह निष्क्रिय हो जाएगा लेकिन इसे वापस लेने को मत कहो। साथ ही राजेवाल ने बताया कि अमित शाह ने आगे कहा कि हमने लेबर लॉ समेत कई कानूनों में बहुत से सुधार किये हैं। अगर हमने कृषि कानून को वापस ले लिया तो फिर लेबर समेत कई संगठनों के लोग बहुत सारे कानून को वापस लेने की मांग करेंगे। इसपर मैंने उन्हें जवाब देते हुए कहा कि अगर आपने इतने पाप किए हैं तो एक बार में ही गंगा नहा लो।
कार्यक्रम में बलवीर सिंह राजेवाल ने कृषि कानून को वापस लेने के एक सवाल के जवाब में कहा कि मैं दिल पर हाथ रख कर कहता हूँ कि सरकार को यह कानून वापस लेना ही पड़ेगा क्योंकि उनके पास कोई दूसरा रास्ता नहीं है। आगे राजेवाल ने कहा कि देश की बदकिस्मती है कि यहाँ का प्रधानमंत्री हमेशा झूठ बोलता है और यह झूठी सरकार है। प्रधानमंत्री कभी प्रेस के सवालों का सामना नहीं कर सकते हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि यह आंदोलन तब तक चलेगा जब तक सरकार इन कानूनों को वापस नहीं ले लेती है चाहे यह 2024 तक ही क्यों ना चले।