किसान आंदोलनः CJI की सख़्त टिप्पणी, पैनल के लोग योग्य, बदनाम न करें
समिति को लेकर कई दलों ने आपत्ति जताई थी। जिसके बाद उच्चतम न्यायालय ने सख़्त टिप्पणी करते हुए कहा है कि पैनल के लोग योग्य हैं, उन्हें बदनाम न करें।

सुप्रीम कोर्ट ने कृषि कानूनों पर चर्चा करने के लिए बनाई गई विशेषज्ञों की समिति के पुनर्गठन की मांग करने वाली याचिका पर आज सरकार से जवाब मांगा है। समिति को लेकर कई दलों ने आपत्ति जताई थी। जिसके बाद उच्चतम न्यायालय ने सख़्त टिप्पणी करते हुए कहा है कि पैनल के लोग योग्य हैं, उन्हें बदनाम न करें।
समिति का विरोध करते हुए अकाली दल के साथ-साथ कई विपक्षी दलों का कहना था कि पैनल के सदस्य पहले ही इन क़ानूनों के पक्ष में विचार व्यक्त कर चुके हैं। इसपर शीर्ष अदालत ने पूछा “हमने समिति में विशेषज्ञों को इसलिए नियुक्त किया है क्योंकि हम विशेषज्ञ नहीं हैं। आप समिति के कुछ सदस्यों पर सिर्फ इसलिए सवाल उठा रहे हैं क्योंकि वे कृषि कानूनों पर पहले ही विचार व्यक्त कर चुके हैं?” सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने कहा कि वे कृषि क्षेत्र के सबसे प्रतिभाशाली लोगों में से एक हैं। आप उनपर ऐसे कैसे सवाल खड़े कर सकते हैं।
सीजेआई ने कहा “इस तरह किसी की छवि को खराब करना सही नहीं है। आपको कमेटी के समक्ष पेश नहीं होना, मत हो, लेकिन किसी को इस तरह ब्रांड न करें। मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने कहा “पब्लिक ओपिनियन को लेकर अगर आप किसी की छवि को खराब करेंगे तो कोर्ट सहन नहीं करेगा। कमेटी के सदस्यों को लेकर इस तरफ चर्चा की जा रही है। हम केवल मामले की संवैधानिकता तय करेंगे।
सुनवाई के दौरान प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि किसान संगठन जिनकी तरफ से हम पेश हो रहे हैं वो कमेटी के समक्ष पेश नहीं होंगे। इसपर सीजेआई ने कहा कि कमेटी को हमने फैसला करने का अधिकार नहीं दिया है। आप बिना सोचे समझे बयान देते हैं। किसी ने कुछ कहा तो वह अयोग्य हो गया ? मान ने कानूनों को संशोधित करने के लिए कहा था। आप कह रहे हैं कि वे कानूनों के समर्थन में हैं।
सीजेआई ने कहा “आप इस तरह के लोगों को ब्रांड नहीं कर सकते। लोगों की राय होनी चाहिए। यहां तक कि सबसे अच्छे न्यायाधीशों की भी कुछ राय होती है, जबकि वो दूसरी तरफ निर्णय भी देते हैं।