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असम के लोगों पर जैविक हमले की तैयारी कर रहे मुस्लिम- चुनाव से पहले यह अफ़वाह फैलाने में शामिल थे हेमंत बिस्व सरमा- फ़ेसबुक की रिपोर्ट में जिक्र

फेसबुक की लगभग इस तरह की सभी रिपोर्टों ने भारत को जोखिम वाले देशों(ARC) श्रेणी में रखा है। इसके मुताबिक भारत में सोशल मीडिया पोस्ट से सामाजिक हिंसा का जोखिम अन्य देशों से अधिक है।

Himanta Biswa sarma, Assam BJP
असम मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा(फोटो सोर्स: फाइल/PTI)।

करुणजीत सिंह, आशीष आर्यन

पिछले दो वर्षों में फेसबुक की कई आंतरिक रिपोर्ट से सामने आया है कि 2019 के लोकसभा चुनाव अभियान के दौरान “अल्पसंख्यक विरोधी” और “मुस्लिम विरोधी” बयानबाजी से जुड़े पोस्ट पर रेड फ्लैग में वृद्धि देखी गई। बता दें कि फेसबुक पर किसी नफरत फैलाने वाली पोस्ट को रेड फ्लैग दिया जाता है। इस तरह चिन्हित किए जाने का मतलब होता कि उससे खतरे की संभावना है। यूं कहें कि रेड फ्लैग के जरिए लोगों को उससे बचने का संकेत दिया जाता है।

जुलाई 2020 की एक रिपोर्ट में विशेष रूप से उल्लेख किया गया कि पिछले 18 महीनों में इस तरह की पोस्ट में काफी वृद्धि हुई। यह चलन पश्चिम बंगाल सहित आने वाले कई विधानसभा चुनावों में दिखा। ये रिपोर्ट यूनाइटेड स्टेट्स सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (SEC) को बताए गए दस्तावेज़ों का हिस्सा हैं। अमेरिकी कांग्रेस द्वारा प्राप्त संशोधित संस्करणों की समीक्षा द इंडियन एक्सप्रेस सहित वैश्विक समाचार संगठनों द्वारा की गई है।

बता दें कि असम में विधानसभा चुनाव से पहले 2021 में एक आंतरिक रिपोर्ट में दावा किया कि मौजूदा असम के सीएम हेमंत बिस्वा सरमा को भी फेसबुक पर भड़काऊ व अफवाहों को फैलाने के लिए चिह्नित(रेड फ्लैग) किया गया था। इसमें कहा गया था कि मुस्लिम असम के लोगों पर जैविक हमले की तैयारी कर रहे हैं। जिससे उनमें लीवर, किडनी और हृदय से संबंधित रोग पैदा हों।

द इंडियन एक्सप्रेस द्वारा इस बारे में हेमंत बिस्वा सरमा से पूछे जाने पर कि नफरत से भरी पोस्ट में अपने “प्रशंसकों और समर्थकों” की लिप्तता के बारे में जानते हैं? इसपर सरमा ने कहा कि “मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी”। वहीं उनसे जब सवाल किया गया कि क्या फेसबुक ने उनके पेज पर पोस्ट की गई सामग्री को चिन्हित करने के संबंध में संपर्क किया था तो सरमा ने कहा, “मुझसे किसी प्रकार का कोई संपर्क नहीं किया गया था।”

बता दें कि “भारत में सांप्रदायिक संघर्ष” शीर्षक से एक अन्य आंतरिक फेसबुक रिपोर्ट में कहा गया है कि अंग्रेजी, बंगाली और हिंदी में भड़काऊ सामग्री कई बार पोस्ट की गईं। विशेष रूप से दिसंबर 2019 और मार्च 2020 में, नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरोध से मेल खाती है।

बता दें कि लगभग इस तरह की सभी रिपोर्टों ने भारत को जोखिम वाले देशों(ARC) श्रेणी में रखा है। इसके मुताबिक भारत में सोशल मीडिया पोस्ट से सामाजिक हिंसा का जोखिम अन्य देशों से अधिक है।

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First published on: 11-11-2021 at 08:53 IST
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