पंजाब में किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए प्रदेश सरकार ने पराली मैनेजमेंट प्रबंधन के लिए फसल रिड्यूस मैनेजमेंट (CRM) मशीनरी पर 500 करोड़ रुपए खर्च किए गए। मगर सरकार कि यह योजना इस साल कामयाब होती हुई नजर नहीं आई। मंगलवार (12 नंवबर, 2019) को प्रदेश में पराली जलाने के 529 मामले सामने आए। इससे 23 सितंबर से 12 नवंबर तक पराली जलाने के मामलों की संख्या बढ़कर 48,684 तक पहुंच गई है। आंकड़े बताते हैं कि साल के आखिर तक आंकड़ा 49,000 के करीब पहुंचने का अनुमान है।
अंग्रेजी अखबार ने टीओआई ने पांच नवंबर को प्रदेश में पराली जलाने के आंकड़े जिलेवार दिए हैं। इसमें संगरूर जिला टॉप पर रहा, जहां पराली जलाने के 113 मामले दर्ज किए गए। इसी तरह बरनाला (97), भटिंडा (69), फतेहगढ़ साहिब (9), फरीदकोट (15), फिरोजपुर (10), जालंधर (5), लुधियाना (42), मनसा (27), मोगा (27), पटियाला (70), मुक्तसर (12), रूपनगर (1), SAS नगर (3) और तारण तारण में दो मामले दर्ज किए गए।
उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने पंजाब में किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए प्रदेश सरकार को 657 करोड़ रुपए पराली मैनेजमेंट मशीनों की खरीद के लिए मुहैया कराए थे। पिछले साल तत्कालीन दिवंगत वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में फसल अवशेषों के प्रबंधन के लिए विशेष प्रावधान की घोषणा की थी। इसके अलावा जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय संचालन समिति की सिफारिशों के आधार पर दिसंबर 2017 में एक क्षेत्रीय परियोजना के लिए 100 करोड़ रुपए की राशि की भी मंजूरी दी गई।
इसी बीच पराली जलाने की घटनाओं के खिलाफ कार्रवाई कर रहे पंजाब कृषि विभाग के चार सदस्यीय दल का गुस्साए किसानों ने संगरूर जिले में कथित रूप से घेराव किया। हालांकि, अधिकारियों ने इस मामले में कोई भी टिप्पणी करने से इनकार किया है। भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले इन किसानों ने प्रदर्शन भी किया।
दरअसल गांव वालों को पता चल गया था कि विभाग की टीम पराली जलाने पर किसानों के खिलाफ कार्रवाई करने वाली है। यूनियन के नेता मंजीत सिंह ने कहा, ‘हमने अधिकारियों के खिलाफ प्रदर्शन किया।’ हालांकि, उनकी ओर से किसानों को परेशान नहीं करने का आश्वासन मिलने के बाद अधिकारियों को जाने दिया गया।
यूनियन नेता ने दावा किया कि जिन अधिकारियों का घेराव किया गया था उसमें एक मुख्य कृषि अधिकारी रैंक के अफसर भी थे। प्रदर्शन में शामिल किसानों का कहना था कि पराली जलाने को लेकर छोटे और सीमांत किसानों को प्रताड़ित/परेशान किया जा रहा है। (भाषा इनपुट सहित)

