भारतीय रेलवे (Indian Railways) ने प्रतीक्षा सूची (waiting lists) को ठीक करने के लिए बनाए गए एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence) प्रोग्राम के बड़े पैमाने पर परीक्षण को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। एक नए युग की शुरुआत करते हुए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस संचालित मॉड्यूल (AI-driven module) से रेलवे अपनी वेटिंग लिस्ट को पांच से छह प्रतिशत तक कम करने में सक्षम है।
परीक्षण के समय ज्यादातर यात्रियों के पास कन्फर्म टिकट थे
परीक्षण के अंत में बुकिंग के समय ज्यादातर यात्रियों के पास केवल कन्फर्म टिकट थे। रेलवे की इन-हाउस सॉफ्टवेयर शाखा सेंटर फॉर रेलवे इंफॉर्मेशन सिस्टम (CRIS) द्वारा विकसित, ‘आइडियल ट्रेन प्रोफाइल’ को राजधानी सहित लंबी दूरी की लगभग 200 ट्रेनों की जानकारी के साथ फीड किया गया था।
रेलवे बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “अगर लंबी दूरी की ट्रेन में 60 पड़ाव हैं, तो AI ने 1800 संभावित टिकट संयोजनों के बारे में सीखा है। अगर 10 पड़ाव हैं, तो आम तौर पर लगभग 45 टिकट संयोजन होते हैं और इसी तरह आगे भी होते हैं।”
परीक्षण में शामिल अधिकारियों के अनुसार ‘आदर्श ट्रेन प्रोफाइल’ को एडवांस्ड रिजर्वेशन अवधि की शुरुआत में या ट्रेनों के प्रस्थान से 120 दिन पहले की अवधि में इस मामले में जनवरी के अंत में लाइव किया गया था। परीक्षण में सात क्षेत्रीय रेलवे में यात्री आरक्षण प्रणाली शामिल थी। अधिकारियों ने कहा कि रेलवे मई-जून की छुट्टियों की अवधि से पहले गड़बड़ी का पर्याप्त परीक्षण करने के लिए उत्सुक था, जब कन्फर्म टिकटों की मांग सबसे अधिक होती है।
रेल भवन के प्रबंधकों ने आम तौर पर स्वीकार किया है कि बड़ी संख्या में उपयोगकर्ता रेलवे से केवल इसलिए दूर हो जाते हैं क्योंकि उन्हें कन्फर्म टिकट नहीं मिलता। रेलवे बोर्ड (Railway Board) के अतिरिक्त सदस्य (Commercial) सुनील कुमार गर्ग ने AI trial की शुरुआत में जोनल रेलवे के महाप्रबंधकों को लिखे पत्र में इसकी जानकारी दी। (यह भी पढ़ें: बजट में रेलवे के लिए 35 हाइड्रोजन-ईंधन वाली ट्रेनों को शुरू करने का प्लान लाया जा सकता है।)
अतिरिक्त यात्री ट्रेनों को शुरू करना एक चुनौती- सुनील गर्ग
सुनील गर्ग ने एक पत्र में लिखा, “लंबी दूरी की उच्च श्रेणी की एयरलाइनों और कम दूरी की यात्रा में बसों से बढ़ती प्रतिस्पर्धा चिंता का कारण रही है। आगे कुछ भीड़भाड़ वाले वर्गों में वृद्धि को पूरा करने के लिए अतिरिक्त यात्री ट्रेनों को शुरू करना एक चुनौती रही है। मौजूदा आरक्षित ट्रेनों के राजस्व को बढ़ाने के लिए एक मजबूत यात्री प्रोफ़ाइल प्रबंधन आधारित सीट-कोटा पुनर्वितरण की आवश्यकता काफी समय से महसूस की जा रही थी।”