वहीं, कुछ निर्दलीय प्रत्याशियों ने दावा किया है कि दोनों मुख्य पार्टियों की ओर से उनसे संपर्क किया जा रहा है। हिमाचल प्रदेश में सरकार बनाने के लिए किसी भी दल को कम से कम 35 विधायकों का समर्थन चाहिए, लेकिन सोमवार को जारी सर्वेक्षण के पूर्वानुमानों के मुताबिक कांग्रेस और भाजपा इस जादुई आंकड़े को प्राप्त करने में चुनौती का सामना कर सकते हैं।
हालांकि, मतों की गिनती आठ दिसंबर को होगी। सर्वेक्षणों में भाजपा को 24 से 41 सीटें मिलने का पूर्वानुमान लगाया गया है जबकि कांग्रेस के खाते में 20 से 40 सीटें आने की संभावना जताई गई है। करीबी मुकाबला होने की वजह से निर्दलीय की भूमिका अहम होगी और इनमें से कुछ ने दावा किया है कि दोनों पार्टियां उनके लगातार संपर्क में हैं।
भाजपा से टिकट नहीं मिलने पर बगावत कर बतौर निर्दलीय चुनावी मैदान में उतरे केएल ठाकुर और मनोहर धीमान ने कहा कि दोनों दलों ने उनसे संपर्क किया है, लेकिन वे अपने पत्ते आधिकारिक रूप से नतीजे घोषित किए जाने के बाद खोलेंगे। अन्य निर्दलीय प्रत्याशी राम सिंह ने कहा कि वह बागी नहीं हैं बल्कि जनता के उम्मीदवार हैं और आठ दिसंबर को नतीजे आने के बाद फैसला करेंगे कि किसे समर्थन करना है।
उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में कुल 91 निर्दलीय अपनी किस्मत आजमा रहे हैं, जिनमें से करीब दो दर्जन बागी प्रत्याशी है। ये उम्मीदवार पार्टियों से टिकट न मिलने पर बतौर निर्दलीय उम्मीदवार खड़े हुए और उनके द्वारा वोट काटे जाने के आसार हैं। राजनीतिक दल हालांकि उन उम्मीदवारों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं जिनकी जीतने की संभावना अधिक है। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही बहुमत साबित करने के लिए और सदस्यों की जरूरत पड़ने पर उन्हें अपने पाले में लाने की कोशिश कर रही हैं।
एन ठाकुर (नालागढ़), मनोहर धीमान (इंदोरा), राम सिंह (कुल्लू), राजू (अरकी), होशियार सिंह (देहरा), इंदु वर्मा (थियोग) और संजय पराशर (जसवन प्रागपुर) उन निर्दलीय उम्मीदवारों में शामिल हैं जिनके जीतने की संभावना है। हालांकि, सार्वजनिक रूप से दोनों पार्टियां स्पष्ट बहुमत हासिल करने का दावा कर रही हैं।
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि हमें स्पष्ट बहुमत मिलेगा और हम सरकार बनाएंगे। निर्दलियों का स्वागत है अगर वे सरकार से जुड़ना चाहते हैं, सामान्य प्रक्रिया के तहत बाकी निर्दलीय प्रत्याशी संपर्क में हैं। वहीं, नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने दावा किया कि कांग्रेस बहुमत हासिल करेगी। उन्होंने कहा कि पार्टी निर्दलीय प्रत्याशियों के संपर्क में हैं।
गौरतलब है कि पूर्व के कई चुनावों में भी निर्दलीय विधायकों ने अहम भूमिका निभाई थी। वर्ष 1982 में कांग्रेस ने 68 सदस्यीय विधानसभा में 31 सीटें हासिल की थीं और निर्दलीयों की मदद से सरकार बनाई थी। उक्त चुनाव में भाजपा और जनता दल को क्रमश: 29 और दो सीटों पर जीत मिली थी और छह सीटें निर्दलियों को मिली थीं।