दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर एसएआर गिलानी को दिल्ली की सेशन कोर्ट ने कथित राष्ट्रद्रोह के मामले में शनिवार को जमानत दे दी। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश दीपक गर्ग ने गिलानी को 50,000 रूपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि की जमानत पर राहत दी। मामला पिछले महीने प्रेस क्लब में हुए एक कार्यक्रम से संबंधित है।
Read Also: गिलानी के भाई ने पूछा, हम JNU छात्रों का साथ देंगे तो क्या वे मेरे भाई का समर्थन करेंगे?
गिलानी के वकील सतीश टमटा ने उनके लिए जमानत की मांग करते हुए दावा किया कि रिकॉर्ड में ऐसा कुछ भी नहीं है कि गिलानी ने भारत विरोधी नारे लगाए या दूसरों को ऐसा करने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि यह कश्मीर के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए बुद्धिजीवियों की बैठक थी।
Read Also– JNU ROW: जमानत के बाद उमर खालिद ने कहा- अगर आप मुसलमान हैं तो जेल में भर दिया जाएगा
टमटा ने कहा कि आयोजन में ऐसा कुछ भी नहीं था जिसके कारण हिंसा हो क्योंकि उकसावे वाली कोई बात ही नहीं थी। उच्चतम न्यायालय के आदेशानुसार, केवल नारे लगाने भर से ही भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए (राष्ट्रद्रोह) के तहत अपराध नहीं हो जाता।
बहरहाल, दिल्ली पुलिस ने जमानत की अपील का विरोध करते हुए कहा कि कार्यक्रम ‘भारत की आत्मा पर एक हमला था’ और यह ‘अदालत की अवमानना’ थी।
Read Also– JNU Row: देशद्रोह के आरोपी उमर खालिद और अनिर्बान को छह महीने की जमानत
अभियोजन पक्ष ने यह भी कहा कि यह घटना एक दिन पहले जेएनयू में हुए घटनाक्रम का जारी रूप थी। भारतीय प्रेस क्लब के पदाधिकारियों के बयानों के अनुसार, भारत विरोधी नारे लगाए गए और गिलानी भी इसमें शामिल थे। गिलानी ने देश के कानून का उल्लंघन किया है और अपराध गंभीर है।