पूर्व जज का दावा- बेल के लिए 40 करोड़ रुपए दे रहे थे, हाई कोर्ट रजिस्ट्रार ने दिया था ऑफर
जज टी पट्टाभी रामा राव और हाई कोर्ट के एक न्यायिक अधिकारी खनन कारोबारी को जमानत देने के लिए घूस लेने के आरोप में फंस गए थे।

पूर्व सीबीआई स्पेशल जज बी नागा मारुति सर्मा सोमवार को एंटी करप्शन ब्यूरो कोर्ट के प्रिंसिपल जज के सामने चर्चित कैश फॉर बेल (जमानत के लिए घूस) केस में पेश हुए। पूर्व जज ने दावा किया कि खनन कारोबारी जी जर्नादन रेड्डी को जमानत पर छोड़ने के लिए उन्हें 40 करोड़ रुपये की पेशकश हुई थी।
बता दें कि बाद में सर्मा की जगह लेने वाले जज टी पट्टाभी रामा राव और हाई कोर्ट के एक न्यायिक अधिकारी खनन कारोबारी को जमानत देने के लिए घूस लेने के आरोप में फंस गए थे। आरोप है कि अप्रैल 2012 में इस कथित घूस का ऑफर तत्कालीन आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार (इन्वायरीज) के लक्ष्मी नरसिम्हा राव ने रेड्डी के लोगों के कहने पर दिया। खनन कारोबारी उस वक्त चंचलगुड़ा जेल में बंद थे। उन्हें अवैध खनन मामले में सीबीआई ने सितंबर 2011 में अरेस्ट किया था।
टीओआई में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, गवाह के तौर पर पेश सर्मा ने कोर्ट के समक्ष कहा, ‘मैंने उसी वक्त प्रस्ताव खारिज कर दिया और मैं रजिस्ट्रार के घर से बाहर निकल गया।’ बता दें कि सर्मा ने बाद में अपने समक्ष लंबित रेड्डी की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। मामले की सुनवाई कर रहा एसीबी स्पेशल कोर्ट हैदराबाद ने अगली सुनवाई की तारीख अब 13 सितंबर तय की है। मुमकिन है कि उस दिन रेड्डी के वकील सर्मा को क्रॉस एग्जामिन करें।
जिस वक्त सर्मा यह बयान दे रहे थे, कोर्ट रूम में रेड्डी खुद मौजूद थे। सर्मा ने बताया कि वह हैदराबाद के सीबीआई कोर्ट में स्पेशल जज के तौर पर अप्रैल 2011 में नियुक्त हुए थे। पूर्व जज के मुताबिक, अप्रैल 2012 के तीसरे हफ्ते में हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार लक्ष्मी नरसिम्हा राव ने उन्हें फोन पर कॉल किया और मिलने की इच्छा जाहिर की। उन्होंने आगे बताया कि चूंकि रजिस्ट्रार उनके सीनियर थे और उनसे ज्यादा उच्च पद पर आसीन थे, इसलिए सर्मा ने फैसला किया कि वह खुद रजिस्ट्रार के घर जाएंगे। 18 अप्रैल 2012 को वह रजिस्ट्रार के घर पहुंचे।
पूर्व जज ने बताया कि आम बातचीत के बाद नरसिम्हा राव ने जर्नादन रेड्डी की जमानत से जुड़ा ‘प्रस्ताव’ उनके सामने रखा। पूर्व जज के मुताबिक, उन्होंने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया और कहा कि कानून के रास्ते से हट जाना उनके लिए मौत के समान है। इसी के बाद रजिस्ट्रार ने बताया कि रेड्डी के लोग इस मदद के बदले 40 करोड़ रुपये देने के लिए तैयार हैं। पूर्व जज ने कहा कि उन्होंने यह ऑफर सिरे से खारिज कर दिया और वहां से चले आए।
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