अवमानना केस में वकील और एक्टिविस्ट को सजा के बाद ‘Swaraj Abhiyan’ के योगेंद्र यादव ने अभियान छेड़ दिया है। सोमवार को दिल्ली के प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में Campaign for Judicial Accountability and Reform (CJAR) और अपने संगठन की ओर से संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उन्होंने दो बड़े ऐलान किए। यादव ने कहा कि हम देश व्यापी फंड बनाना चाहते हैं, इसलिए हम चाहते हैं कि हर व्यक्ति इस फंड में एक रुपया दे। हम इसकी शुरुआत आज से ही कर रहे हैं।
यादव प्रशांत भूषण केस के संदर्भ में बोले- हार जीत का सवाल नहीं है। हर नागरिक चाहता है कि सुप्रीम कोर्ट जीते। उसकी जीत में हमारी जीत है। अगर कोर्ट कमजोर होता और हारता दिखता है, तब यह देश हारता है। ऐसा कोई नहीं चाहता है। कोई भी लोकतंत्र इस बुनियाद पर चलता है कि लोक और तंत्र में संवाद चलता रहे, पर आज यह प्रक्रिया में एक खिड़की और खुली है। हमें उम्मीद है कि यह दरवाजे में तब्दील होगी।
उनके मुताबिक, “यह मामला सिर्फ प्रशांत भूषण का नहीं था। वह खुद कहते हैं कि देश में सैकड़ों-हजारों लोग हैं, जो उनसे कठिन हालात में रहकर संर्घष करते हैं, हमने पिछले एक महीने वे आवाजें सुनीं। पूरे देश से। वे लोग खड़े हुए। हमारे-आपके जैसे नागरिक आगे आए कि ये आंदोलन जारी रहना चाहिए। ये आवाज इस देश में लोकतंत्र को बचाने की आवाज है।”
उन्होंने आगे कहा, “CJAR और Swaraj Abhiyan की ओर से देश के तमाम संगठनों से अपील करता हूं कि हम सब एक-एक रुपया इकट्ठा करते हैं। प्रशांत भूषण के लिए नहीं, बल्कि उन गुमनाम कार्यकर्ताओं के लिए, जो इस देश में अभिव्यक्ति की आजादी का संघर्ष करते हैं। पता नहीं कितनी पीड़ा सहते हैं। जेल में रहते हैं। ट्रायल तक नहीं शुरू होता है। उनके लिए एक नेशनल फंड क्रिएट किया जाए। रुपी वन, एवरी वन। एक रुपया हर कोई दे इस देश के तमाम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के सिपाहियों के लिए।”
Let ‘Re 1’ be a national movement#satyamevjayate #PrashantBhushan
— Yogendra Yadav (@_YogendraYadav) August 31, 2020
बकौल यादव, “हम देशव्यापी फंड बनाना चाहते हैं, इसलिए हम हर किसी से एक रुपया चाहते हैं। लोग एक रुपया दें, जो कि वन रुपी, वन पर्सन फंड में जाएगा। हम इसके अलावा दो सितंबर से दो अक्टूबर, 2020 के बीच पूरे देश में सभी संगठनों, आंदोलनों और लोगों से ‘फ्रीडम ऑफ कॉन्शियस’ का जश्न मनाने के लिए कहेंगे। लोग इसके तहत अलग-अलग तरीके से कार्यक्रम करा सकते हैं। मुशायरे और कविता पाठ करा सकते हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि कॉन्शियस ऑफ फ्रीडम हमारे लोकतंत्र को मजबूत करता है।”
पीसी में यादव के साथ भूषण भी मौजूद थे। उन्होंने दो बड़े ऐलानों के बाद पत्रकारों के सवाल भी लिए। उन्होंने कहा- मेरे ट्वीट्स का मकसद सुप्रीम कोर्ट और चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया का अपमान करना नहीं था। मैं फाइल रिव्यू का अधिकार सुरक्षित रखता हूं और कोर्ट द्वारा निर्देशित जुर्माना देने का प्रस्ताव करता हूं।
बता दें कि सप्रीम कोर्ट ने न्यायपालिका के प्रति अपमानजनक ट्वीट करने के कारण आपराधिक अवमानना के दोषी अधिवक्ता प्रशांत भूषण को सोमवार को सजा सुनाते हुये उन पर एक रुपया का सांकेतिक जुर्माना लगाया। जस्टिस अरूण मिश्रा, जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस कृष्ण मुरारी की तीन सदस्यीय बेंच ने भूषण को सजा सुनाई। साथ ही कहा- जुर्माने की एक रुपया की राशि 15 सितंबर तक जमा नहीं करने पर उन्हें तीन महीने की कैद भुगतनी होगी और तीन साल के लिये वकालत करने पर प्रतिबंध रहेगा।