बिहार चुनाव से पहले चुनाव आयुक्त अशोक लवासा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को अपना इस्तीफा सौंप दिया है। हालांकि राष्ट्रपति ने उनका इस्तीफा स्वीकार किया है या नहीं इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हो पाई है। उन्होंने राष्ट्रपति से 31 अगस्त तक उन्हें पद से मुक्त करने की गुजारिश की है। राष्ट्रपति के प्रेस सचिव ने हमारे सहयोगी अखबार इंडियन एक्सप्रेस से बताया कि उन्हें इस मामले की जानकारी नहीं है।
लवासा 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान चर्चा में आए थे। उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी और पूर्व भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को आचार संहिता के उल्लंघन मामले में क्लीन चीट मिलने का विरोध जताया था। चुनाव के कुछ समय बाद ही लवासा, उनकी पत्नी और उनके बेटे के खिलाफ आयकर विभाग का नोटिस भेजा गया था। लवासा का निर्वाचन आयोग में अपने कार्यकाल में अभी दो साल से अधिक का समय बचा है। वह अक्टूबर 2022 में मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) के रूप में सेवानिवृत्त होते।
बता दें कि जुलाई मध्य में बहुपक्षीय वित्त पोषण एजेंसी एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने एलान किया था कि चुनाव आयुक्त अशोक लवासा को निजी क्षेत्र और सार्वजनिक-निजी साझेदारी के क्षेत्र से जुड़े कामकाज के लिए अपना उपाध्यक्ष नियुक्त किया है। एडीबी ने एक बयान में कहा, ‘‘वह वर्तमान में भारत के चुनाव आयुक्तों में से एक हैं और पूर्व में भारत के केंद्रीय वित्त सचिव, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में सचिव और नागर विमानन मंत्रालय के सचिव सहित कई वरिष्ठ पदों पर कार्य कर चुके हैं।’’ लवासा एडीबी में दिवाकर गुप्ता का स्थान लेंगे जिनका कार्यकाल 31 अगस्त को समाप्त होने जा रहा है।
लवासा के पास ऑस्ट्रेलिया में दक्षिणी क्रॉस विश्वविद्यालय से एमबीए की डिग्री, और मद्रास विश्वविद्यालय से रक्षा और सामरिक अध्ययन में एमफिल डिग्री है। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में बीए आनर्स और अंग्रेजी साहित्य में स्नात्कोत्तर की डिग्री पूरी की है।