दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन को लेकर मानवाधिकार आयोग ने यूपी राजस्थान, हरियाणा के साथ दिल्ली को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है। किसान आंदोलन से हो रहे आर्थिक नुकसान पर आयोग ने इन सभी राज्यों के मुख्य सचिवों, पुलिस महानिदेशकों के साथ दिल्ली के पुलिस कमिश्नर से एक्शन टेकेन रिपोर्ट भेजने को कहा है।
आयोग के पत्र में कहा गया है कि आरोप है कि आंदोलन की वजह से 9 हजार माइक्रो, मीडियम और बड़ी कंपनियां प्रभावित हैं। परिवहन व्यवस्था भी बुरी तरह से प्रभावित हो रही है। इसकी वजह से बुजुर्ग, दिव्यांगों को यात्रा में कठिनाइयां उठानी पड़ रही हैं। उन्हें गंतव्य तक पहुंचने के लिए लंबे रास्ते का इस्तेमाल करना पड़ रहा है। पत्र में ये भी कहा गया है कि धरने पर बैठे किसान कोरोना नियमों का पालन भी नहीं कर रहे।
हालांकि, आयोग ने अपने पत्र में यह भी कहा कि है कि किसान प्रदर्शन के अधिकार के तहत धरने पर बैठे हैं। वो जिस तरह से शांतिपूर्ण तरीके से अपना आंदोलन चला रहे हैं उसका सम्मान किया जाना चाहिए। आयोग ने इंस्टीट्यूट ऑफ इकोनॉमिक ग्रोथ से आंदोलन के दुष्प्रभावों का अध्ययन करने को कहा है। यह रिपोर्ट 10 अक्टूबर तक तलब की गई है। इसके आलावा नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट, केंद्रीय गृह मंत्रालय, स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ केंद्र सरकार से भी रिपोर्ट मांगी गई हैं।
आयोग ने अपने पत्र में कहा कि एक मानवाधिकार कार्यकर्ता के साथ हुए कथित दुष्कर्म के मामले में डीसी झज्जर ने अभी तक ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं मिली है जिसमें पीड़िता के परिवार को मुआवजा देने की बात हो। आयोग ने डीसी को आदेश दिया है कि 10 अक्टूबर तक स्थिति का ब्योरा भेजें। इसके साथ ही दिल्ली स्कूल ऑफ सोशळ वर्क, दिल्ली विवि को कहा गया है कि आंदोलन के दुष्प्रभावों पर अध्ययन कर रिपोर्ट भेजें।
गौरतलब है कि पिछले नौ माह से चल रहे किसान आंदोलन के विरोध में आवाजे सुनाई देने लगी हैं। किसान आंदोलन और उनकी मांगों का अब तक समर्थन करते आ रहे पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह का रुख अब बदला हुआ नजर आ रहा है। सोमवार को अमरिंदर सिंह ने किसानों से अपील करते हुए कहा कि यदि उन्हें आंदोलन ही करना है तो पंजाब की बजाय दिल्ली और हरियाणा में जाएं। सीएम ने कहा कि इसके चलते राज्य को आर्थिक नुकसान हो रहा है।