ड्रोन तकनीक को लेकर भारत आक्रामक प्रयास कर रहा है। भारत ने अपनी नई ड्रोन नीति तैयार की है, जिसके तहत ड्रोन जैसे तकनीकी उपकरणों के निर्माण और संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए आक्रामक रुख अख्तियार किया जाएगा। इस साल गणतंत्र दिवस के जश्न में इसकी एक झलक देखने को मिली, जब भारत में निर्मित करीब एक हजार ड्रोन रायसीना पहाड़ियों के ऊपर एक साथ उड़ाए गए और लयबद्ध उड़ते ड्रोन से आकाश में भारत का नक्शा और महात्मा गांधी की तस्वीर जैसी कई जटिल आकृतियां तैयार की गईं। इस आयोजन के महज 11 दिन बाद ही भारत सरकार ने विदेश निर्मित ड्रोन पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया। हाल में किसान ड्रोन योजना की घोषणा की गई, जिसके तहत कृषि कार्यों में ड्रोन के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जाएगा।
हाल तक भारत सरकार का रुख ड्रोन को लेकर ऐसा नहीं था। सामान्य ड्रोन रखना भी नियमों के लिहाज से जटिल कवायद थी। हाल के दिनों में सरकार ने न सिर्फ इसके रखने के नियम आसान बनाए हैं, बल्कि अलग-अलग तरीके के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया है। कृषि संबंधी कामों में ड्रोन के इस्तेमाल की छूट और पीएम स्वामित्व योजना के तहत गांवों में लोगों की संपत्तियों के सर्वे के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है। एक लाख से भी ज्यादा गांवों (17 फीसद गांव) में इस तकनीक से भूमि सर्वे किया जा चुका है।
ड्रोन निर्माता नव उद्यम (स्टार्टअप) कंपनी ‘बाटलैब डायनामिक्स’ की संस्थापक सरिता अहलावत के मुताबिक, समूची कवायद के बावजूद ड्रोन को आम दोपहिया जैसा इस्तेमाल करने लायक दौर आने में अभी देरी है। बाटलैब डायनामिक्स ने ही गणतंत्र दिवस पर करतब दिखाने वाले ड्रोन तैयार किए थे। उनका स्टार्टअप दिल्ली आइआइटी के संरक्षण में काम करता है। उनके मुताबिक, भारत का ड्रोन उद्योग अभी ही घरेलू या रक्षा जरूरतें पूरा करने में सक्षम है, लेकिन भारतीय ड्रोन अब भी आयातित चीनी ड्रोन के मुकाबले बेहद महंगे हैं।
यही कारण है कि भारत सरकार ने ड्रोन पर प्रतिबंध लगाया है, पुर्जों के आयात पर नहीं। ड्रोन बनाने के लिए जरूरी मोल्डिंग, माइक्रो कंट्रोलर, डायोड और रजिस्टर जैसी चीजों का निर्माण भारत में ना के बराबर होता है। अच्छे ड्रोन के लिए गुणवत्ता वाली मोटर और लीथियम आयन बैटरी का निर्माण भी भारत में नहीं होता।
केंद्र सरकार ने पिछले साल ड्रोन और उसके पुर्जे बनाने के लिए उत्पादन आधारित एक प्रोत्साहन योजना की शुरुआत की थी। अगले तीन साल में ड्रोन निर्माताओं को 120 करोड़ रुपए की प्रोत्साहन राशि देने की बात भी कही है। सरकार को उम्मीद है कि अगले तीन साल में इस क्षेत्र में 50 अरब रुपए का निवेश होगा और साल 2026 तक ड्रोन क्षेत्र भारत में करीब दो अरब डालर का उद्योग बन जाएगा।
विदेशी ड्रोन पर प्रतिबंध के फैसले की एक वजह सुरक्षा भी है। भारतीय वायुक्षेत्र से चीनी ड्रोन को बाहर रखने की कोशिश है। रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, भारत दुनियाभर में नामी चीन की ड्रोन निर्माता कंपनी- एसजेड डीजेआइ टेक्नोलाजी को सुरक्षा लिहाज से भी रोकना चाहता है। खुफिया एजंसियों की रिपोर्ट है कि इस कंपनी ने हाल में भारत की कुछ रणनीतिक जानकारियों जैसे पुलों और बांधों की स्थिति का ब्यौरा चीनी खुफिया एजंसियों के साथ साझा किए हैं।
हाल में भारतीय कंपनी आइडिया फोर्ज ने भारतीय सेना के साथ सैन्य ड्रोन बनाने के लिए करीब 1.5 अरब रुपए का सौदा किया है। यह कंपनी पहले ही सेना को हजारों ड्रोन की आपूर्ति कर चुकी है। हालांकि ज्यादातर जानकार मानते हैं कि भारत में ड्रोन निर्माण के लिए जरूरी ढांचा तैयार करने और माहौल बनाने में अभी पांच से दस साल और लगेंगे।