कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों पर केंद्र सरकार के राज्यसभा में दिए गए जवाब पर कवि कुमार विश्वास (Kumar Vishvas) ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि नागरिकों की बेचैनी का मर जाना लोकतंत्र का शोकपर्व है। केंद्र सरकार पर बरसते हुए कुमार विश्वास (Kumar Vishvas) ने ट्वीट किया कि मुझें सरकारों-नेताओं की बेशर्मी का दुख नहीं है। उस संवेदनहीनता का तो दीर्घकालिक निजी अनुभव है।मुझे कष्ट उन हजारों फोन करने वालों की खामोशी का है जो उन कठिन दिनों में सिलेंडर/कन्सन्ट्रेटर की एक मिनट की देरी पर दस कॉल करते थे। उन्होंने कहा कि नागरिकों की बेचैनी का मर जाना लोकतंत्र का शोकपर्व है। बताते चलें कि कुमार विश्वास (Kumar Vishvas) व उनकी टीम कोरोना काल में लोगों की मदद करने को लेकर खासी चर्चाओं में रही थी।
उनके इस ट्वीट के जवाब में पत्रकार उमाशंकर सिंह ने कहा कि ऑक्सीजन के लिए फोन करने वालों के अपने या तो दुनिया में नहीं रहे या फिर किसी तरह उनकी जान बच गई। दोनों तरह के लोग इस विपदा से निकल गए हैं। उनको क्या जरुरत है शोर मचाने की? जब तक कि, ईश्वर न करे, फिर ऐसी कोई ज़रुरत पड़े। उनको पता है कि मदद के लिए कुमार विश्वास फिर खड़ा मिलेगा। जवाब में विश्वास ने कहा कि हां खड़े तो थे ही, खड़े भी रहेंगे ही। न मैदान छोड़ेंगे न पीठ दिखाएंगे। इस निर्लज्ज समय में ‘मनुष्य’ बने रहने के लिए इतने जख़्म तो खाने ही होंगे।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मंगलवार को मोदी सरकार द्वारा राज्यसभा में बताया गया कि दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी से किसी की मौत की जानकारी राज्यों की तरफ से नहीं दी गई है। कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल की तरफ से ऑक्सीजन की कमी के चलते होने वालों मौतों को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में केंद्र सरकार ने कहा कि पहली लहर की तुलना में दूसरी लहर में ऑक्सीजन की मांग बढ़ गई थी लेकिन ऑक्सीजन की कमी किसी की मौत की जानकारी राज्यों की तरफ से नहीं दी गई है।
सरकार के इस जवाब से विपक्ष भड़क गया है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने इस मामले पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि कोरोना की दूसरी लहर में लोगों की मौत इसलिए हुईं क्योंकि सरकार ने ऑक्सीजन का निर्यात 700 फीसदी तक बढ़ा दिया था। क्योंकि सरकार ऑक्सीजन को ट्रांसपोर्ट करने वाले टैंकरों की व्यवस्था नहीं कर पाई थी।