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लिव-इन रिलेशन को भारतीय समाज स्वीकार नहीं करता, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा ब्रेक-अप के बाद महिला का अकेले रहना मुश्किल

वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने छात्राओं और कामकाजी महिलाओं के लिए शैक्षणिक संस्थानों और कार्यस्थलों पर पीरियड्स की छुट्टी की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया।

Allahabad High Court |
इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Photo : ANI)

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने हाल ही में कहा कि लिव-इन रिलेशनशिप टूटने के बाद एक महिला के लिए अकेले रहना मुश्किल होता है। कोर्ट ने कहा कि भारतीय समाज बड़े पैमाने पर ऐसे संबंधों को स्वीकार नहीं करता है।

ब्रेक-अप के बाद महिला का अकेले रहना मुश्किल- इलाहाबाद हाई कोर्ट

अपनी शादीशुदा लिव-इन पार्टनर से रेप के आरोपी शख्स को जमानत देते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि लिव-इन रिलेशनशिप टूटने के बाद एक महिला के लिए अकेले रहना मुश्किल होता है। यह मानते हुए कि भारतीय समाज बड़े पैमाने पर ऐसे संबंधों को स्वीकार नहीं करता है। अदालत ने कहा कि ऐसे में एक महिला के पास अपने लिव-इन पार्टनर के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता है जैसा कि वर्तमान मामले में हुआ है।

लिव-इन पार्टनर के शादी से इनकार का मामला

जस्टिस सिद्धार्थ की पीठ ने आदित्य राज वर्मा की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की जिसे 24 नवंबर 2022 को अपने लिव-इन पार्टनर से शादी करने के अपने वादे से मुकरने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। इस मामले में पीड़िता एक विवाहित महिला है, जिसका कहना है कि आदित्य राज वर्मा उसके साथ पिछले डेढ़ साल से रह रहा था और वह उसके साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कारण गर्भवती हो गई थी। हालांकि, आदित्य ने उससे शादी करने से इनकार कर दिया।

महिला ने यह भी आरोप लगाया गया कि शख्स ने उसकी अश्लील तस्वीरें उसके पति को भेजीं और इसलिए पति ने उसे अपने साथ रखने से मना कर दिया। दूसरी ओर, आवेदक ने न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया कि पीड़िता बालिग है और उसने स्वेच्छा से ऐसे संबंध के परिणाम को समझते हुए लिव-इन संबंध में रहना स्वीकार किया। साथ ही शख्स ने कहा कि ऐसा कोई मामला नहीं है कि संबंध विवाह के वादे से शुरू हुआ। दोनों पक्ष की दलीलों को सुनने के बाद अदालत ने कहा कि यह एक ऐसा मामला है जहां लिव-इन रिलेशनशिप के विनाशकारी परिणाम सामने आए हैं।

अपराध की प्रकृति, साक्ष्य, अभियुक्त की मिलीभगत और आवेदक के वकील द्वारा किए गए तर्कों को सही पाने और आरोपी पक्ष के मामले की अनदेखी करते हुए पुलिस द्वारा की गई एकतरफा जांच को ध्यान में रखते हुए हाई कोर्ट ने आरोपी को जमानत दे दी।

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First published on: 24-02-2023 at 14:29 IST
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