कोरेगांव भीमा मामले में ‘‘हिन्दुत्ववादियों’’ को फंसाने की कोशिश कर रहे हैं पवार: फडणवीस
फडणवीस ने कहा, ‘‘हिंसा पर राकांपा प्रमुख शरद पवार की पहली प्रतिक्रिया यही थी कि इसके पीछे हिन्दुत्ववादियों का हाथ है। लेकिन पुलिस को उनके दावे के समर्थन में कोई सबूत नहीं मिला।’’

भाजपा नेता और पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस ने रविवार को आरोप लगाया कि राकांपा प्रमुख शरद पवार कोई ठोस सबूत नहीं होने के बावजूद कोरेगांव भीमा हिंसा मामले में ‘‘हिन्दुत्ववादियों’’ (हिंदू समर्थकों) को फंसाने की कोशिश कर रहे हैं। महाराष्ट्र विधानसभा में बजट सत्र के शुरू होने से एक दिन पहले फडणवीस ने पत्रकारों से बातचीत में ये आरोप लगाए।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘मेरे कार्यकाल के दौरान राज्य के गृह विभाग ने कोरेगांव भीमा हिंसा मामले में व्यापक जांच की थी।’’ बता दें कि फडणवीस के कार्यकाल के दौरान गृह विभाग का प्रभार भी उनके पास ही था। उन्होंने कहा, ‘‘हिंसा पर राकांपा प्रमुख शरद पवार की पहली प्रतिक्रिया यही थी कि इसके पीछे हिन्दुत्ववादियों का हाथ है। लेकिन पुलिस को उनके दावे के समर्थन में कोई सबूत नहीं मिला।’’
फडणवीस ने आरोप लगाया, ‘‘जांच की समूची प्रक्रिया के दौरान न तो बंबई उच्च न्यायालय और न ही उच्चतम न्यायालय ने आपत्ति जताई। एक अलग एसआईटी की स्थापना के बावजूद पवार कोरेगांव भीमा हिंसा की घटना में हिन्दुत्ववादियों को फंसाना चाहते हैं।’’
पुणे पुलिस के अनुसार 31 दिसंबर, 2017 को माओवादियों ने समर्थन से पुणे में एल्गार परिषद के सम्मेलन में भड़काऊ भाषण दिए गए थे, जिसके कारण अगले दिन जिले में कोरेगांव भीमा युद्ध स्मारक में जातीय हिंसा हुई थी।
दक्षिणपंथी धड़े के नेता मिलिंद एकबोटे और सांभाजी भीड़े कोरेगांव भीमा हिंसा मामले में आरोपी हैं। पुणे पुलिस ने एल्गार परिषद मामले में माओवादियों से संबंध के आरोप में वामपंथी विचारधारा के सामाजिक कार्यकर्ता सुधीर धावले, रोना विल्सन, सुरेंद्र गाडलिंग, महेश राउत, शोमा सेन, अरुण फेरीरा, वरनॉन गोंजाल्विस, सुधा भारद्वाज और वरवर राव को गिरफ्तार किया है।
पवार ने इससे पहले इन गिरफ्तारियों को ‘‘गलत’’ और ‘‘बदला लेने के इरादे से’’ की गई गिरफ्तारी बताया था और पुणे पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई के संबंध में जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) के गठन की मांग की थी।
इस पर पूछे गए सवाल के जवाब में फडणवीस ने कहा, ‘‘महाराष्ट्र पुलिस को इस बात के ठोस सबूत मिले हैं कि शहरी नक्सलवाद का मुद्दा सिर्फ महाराष्ट्र तक सीमित नहीं है। यह देश भर में फैल चुका है। इसलिए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे द्वारा इस मामले को एनआईए को सौंपे जाने का फैसला स्वागत योग्य है।’’
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