Demonetization in SC: नरेंद्र मोदी सरकार के नोटबंदी फैसले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान सीनियर एडवोकेट पी चिदंबरम ने तीखा हमला बोला। उनका कहना था कि सरकार कहती है कि कालेधन को बाहर निकालने के लिए उसने नोटबंदी जैसा कदम उठाया। लेकिन दो हजार का नोट शुरू करने के बाद तो कालेधन को स्टोर करना ज्यादा आसान हो गया है। उन्होंने दिवंगत दिग्गज वकील राम जेठमलानी से जुड़े एक केस का उदाहरण दिया। उस दौरान जेठमलानी ने अपने दावे को सही साबित करने के लिए कहा था कि एक सूटकेस में 1 करोड़ रुपये आ सकते हैं। चिदंबरम का कहना था कि दो हजार का नोट आने के बाद जेठमलानी को 1 करोड़ रखने के लिए आधा सूटकेस ही बहुत होता।
हर्षद मेहता मामले में आया था सूटकेस का जिक्र
हर्षद मेहता स्कैम में तत्कालीन पीएम नरसिंह राव को एक करोड़ रुपए की रिश्वत सूटकेस में दने का आरोप लगा था। हालांकि बचाव पक्ष ने दलील दी कि इतनी बड़ी राशि का एक सूटकेस में आना संभव ही नहीं। राम जेठमलानी ने कोर्ट से एक दिन का समय मांगा और अगली तारीख पर जब वो आए तो उनके हाथ में एक सूटकेस था। उनका कहना था कि बैग में एक करोड़ रुपए आसानी से आ सकते हैं। जज ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा था कि आपको एक करोड़ रुपए कोर्ट में लाने की क्या जरूरत थी? आप ऐसे ही कह सकते थे कि यह संभव है। रामजेठमलानी की दलील थी कि कोर्ट दलीलों से ज्यादा सबूतों पर यकीन करती है।
जो 2016 में हुआ वो आगे न हो, ये कोर्ट देखे
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान चिदंबरम ने कहा कि 2016 में मोदी सरकार का नोटबंदी का फैसला सरासर गलत था। उनका कहना था कि जो कुछ भी उस दौरान हुआ वो हो चुका है। कोर्ट को देखना होगा कि इस तरह का फैसला फिर से न हो। उनका कहना था कि सरकार दलील दे रही है कि आतंकवाद, ड्रग ट्रैफेकिंग और कालेधन को काबू करने के लिए ये फैसला लिया गया था। लेकिन ड्रग्स का कारोबार बदस्तूर जारी है। उनका कहना था कि सरकार ने जो हलफनामा अपने बचाव में दिया है वो हास्यास्पद है। उनका कहना था कि इसमें कहीं कोई जिक्र नहीं है कि नोटबंदी का फैसला लेते वक्त कौन मौजूद था और कौन नहीं। रिजर्व बैंक का क्या रोल था। जो मीटिंग हुई उसका कोरम पूरा था भी या नहीं। उनका कहना था कि हलफनामे के मुताबिक सब कुछ 2 घंटे में हो गया।
चिदंबरम का कहना था कि सरकार ने ये फैसले लेने से पहले पुराने और नए नोटों के बारे में कुछ नहीं सोचा। किसी भी डेटा को नहीं जुटाया गया। उनका कहना था कि नोटबंदी का फैसला क्या 24 घंटे के भीतर लिया जा सकता है। ये फैसला लेने से पहले सरकार को पूरा प्लान तैयार करना था। सीक्रेसी अहम है पर ऐसे फैसले में कुछ तो नीतिगत होना था। उनका कहना था कि पिछली दफा सरकार से नोटबंदी से जुड़े दस्तावेज मांगे गए थे। लेकिन अभी तक कोर्ट को कुछ भी नहीं दिया गया। उनका कहना था कि रिजर्व बैंक 1978 में भी नोटबंदी के फैसले के खिलाफ था। इसके गवर्नर आईजी पटेल का जिक्र करते हुए उन्होंने ये बात रही। उन्होंने रिजर्व बैंक के पहले भारतीय गवर्नर चिंतामन द्वारकानाथ देशमुख का जिक्र कर कहा कि इसी वजह से सेपरेट एक्ट लाया गया था।