Delhi Violence: हिंसा प्रभावित इलाकों को छोड़ कर जा रहे मुस्लिम परिवार; दंगा पीड़ितों ने सुनाई दर्द भरी कहानी
Delhi Violence, Delhi Protest Today News: बेकाबू भीड़ ने मकानों, दुकानों, वाहनों, एक पेट्रोल पम्प को फूंक दिया तथा स्थानीय निवासियों और पुलिसर्किमयों पर पथराव किया।

Delhi Violence, Delhi Protest Today News: उत्तर-पूर्वी दिल्ली में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) विरोधी और समर्थक समूहों के बीच हुई हिंसा और साम्प्रदायिक झड़पों में 34 लोग मारे जा चुके हैं और 200 से अधिक लोग घायल हो गए हैं। दंगों से सबसे ज्यादा प्रभावित जाफराबाद, मौजपुर, बाबरपुर, यमुना विहार, भजनपुरा, चांदबाग, शिव विहार इलाके रहे। बेकाबू भीड़ ने मकानों, दुकानों, वाहनों, एक पेट्रोल पम्प को फूंक दिया और स्थानीय निवासियों और पुलिसर्किमयों पर पथराव किया।
स्थानीय निवासियों में भय का माहौल है और वह सुरक्षित ठिकानों की तरफ बढ़ रहे हैं। मुस्लिम परिवार हिंसा प्रभावित इलाकों को छोड़ कर जा रहे हैं। पीड़ितों ने खुद के ऊपर आए इस संकट को बयां किया है और हिंसा की कहानी सुनाई है। आपबीती बयां करते सिहर उठे मोहम्मद आसिफ ने बताया कि कैसे उनके मकान मालिक ने उन्हें घर से निकाल दिया और दंगाइयों की उन्मादी भीड़ ने लोहे की छड़ों से उनकी ऐसे पिटाई की कि उन्हें गंभीर चोटे आ गई। उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर के रहने वाले 20 साल के आसिफ ने बताया कि मकान मालिक के मंगलवार सुबह उन्हें घर से निकाल देने के बाद हमले से उनका बच पाना मुश्किल ही था।
उन्होंने कहा, ‘‘भीड़ ने मुझ पर हमला किया क्योंकि मुझे सड़क पर छोड़ दिया गया था। मैं उत्तर प्रेदश से हूं, मेरे मकान मालिक ने मुझे घर से निकाल दिया था और मेरे पास जाने के लिए कोई जगह नहीं थी।’’ जीटीबी अस्पताल में मुंह पर खून के धब्बे लगे डरे सहमे बैठे आसिफ के सिर और एक पैर पर पट्टियां बंधी थी। उसके एक हाथ में भी चोट आई है। उन्होंने कहा, ‘‘मैंने शाहजहांपुर में अपने घर वालों को बता दिया है और वे मुझे लेने आ रहे हैं।’’
आसिफ कोट बनाने वाली एक छोटी इकाई में काम करता है और उत्तर पूर्वी दिल्ली के घोंडा चौक पर रहता था। वहीं हिंसा का शिकार हुए सुमित कुमार बघेल (28) ने बताया कि कैसे उनके भाई एक जलती इमारत की चपेट में आ गए और खुद कैसे सड़कों पर पथराव का शिकार हुए। अस्पताल में फर्श पर बैठे बघेल ने उस भयानक मंजर को याद करते हुए कहा, ‘‘मेरा भाई दुर्घटनावश एक जलती इमारत की चेपट में आ गया और झुलस गया। बाकियों ने उसकी मदद की और हम उसे अस्पताल लाए।’’
सुमित के पैर में भी पथराव के दौरान चोटे आई हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मेरा भाई यहां भर्ती है। हमारे आस पड़ोस में कभी ऐसी हिंसा नहीं हुई, हमने ईद और दिवाली हमेशा साथ मनाई है। दिल्ली में यह क्या हो रहा है।’’ इस दौरान कई परिवार अपने रिश्तेदारों के शव लेने के लिए शवगृह के बाहर भी खड़े नजर आए। उत्तर-पूर्वी दिल्ली में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को लेकर हुई साम्प्रदायिक हिंसा में अभी तक 34 लोगों की जान जा चुकी है।
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(भाषा इनपुट्स के साथ)
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