इस साल फरवरी में हुए दिल्ली दंगों को लेकर पुलिस की सप्लीमेंटरी चार्जशीट (पूरक आरोपपत्र) में सीपीआई (एम) नेता सीताराम येचुरी, स्वराज अभियान के योगेन्द्र यादव, अर्थशास्त्री जयति घोष, दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अपूर्वानंद और फिल्मकार राहुल रॉय का नाम शामिल है। हालांकि दिल्ली पुलिस ने इन पांचों लोगों को दिल्ली दंगे का आरोपी नहीं बनाया है। हालांकि इन पांचों पर दंगा भड़काने का आरोप लगा है।
इस पर भाजपा प्रवक्ता टॉम वडक्कल ने कहा है कि इन पांचों के खिलाफ दिल्ली पुलिस को दंगे के आरोपियों से पूछताछ में अहम सबूत मिले हैं। उन्होंने कहा कि इन लोगों ने लोगों को भड़काया और उनका ब्रेनवॉश किया। टॉम वडक्कल के अनुसार, इन पांचों लोगों ने कहा कि सीएए कानून मुस्लिमों के विरुद्ध है, जबकि ऐसा नहीं है और इसी मानसिकता के चलते दंगे हुए।
वहीं विपक्षी नेताओं का कहना है कि सरकार दंगों को लेकर लोगों का ध्यान भटकाने के लिए ऐसा कर रही है। लोगों को भड़काने वाले कपिल मिश्रा जैसे नेता अभी भी खुले घूम रहे हैं। वहीं टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने सवाल उठाते हुए कहा है कि “दिल्ली दंगों की चार्जशीट कपिल मिश्रा के नाम पर चुप है लेकिन इसमें सीताराम येचुरी और योगेन्द्र यादव जैसे लोगों के नाम शामिल हैं। अब शायद भाजपा सरकार इतिहास फिर से लिखेगी और कहेगी कि नेहरू ने गुजरात दंगे कराए।”
बता दें कि दिल्ली दंगों के दौरान हुई हिंसा के मामले में पुलिस ने पिंजड़ा तोड़ संगठन की देवांगना कालिता, नताशा नरवाल और गुलिफ्शा फातिमा को हिरासत में लिया था। इन्हीं से हुई पूछताछ में उक्त पांच लोगों के नाम सामने आए हैं।
पुलिस के अनुसार, देवांगना कालिता और नताशा नरवाल ने दिल्ली दंगों में अपनी संलिप्तता की बात स्वीकार की है और सीएए विरोधी प्रदर्शन करने के लिए अपूर्वानंद, राहुल रॉय और जयति घोष को अपना मार्गदर्शक बताया है।
वहीं फातिमा ने कथित तौर पर सीपीआई (एम) महासचिव सीताराम येचुकी, भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर, योगेन्द्र यादव, वकील महमूद पारचा और उमर खालिद पर हिंसा के साजिशकर्ताओं की मदद करने की जानकारी दी है।