दिल्ली में दिसंबर 2020 से जस्टिस रेवा खेत्रपाल की सेवानिवृति के बाद लोकायुक्त का पद रिक्त है। 31 अगस्त 2021 तक दिल्ली लोकायुक्त कार्यालय में 252 जांच के मामले लंबित हैं। इनमें से 109 शिकायतें खेत्रपाल की सेवानिवृति के बाद आई हैं। इसमें दिल्ली के विधायकों के खिलाफ 87 मामले भी शामिल हैं।
सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त जानकारी के आधार पर न्यूज़लॉन्ड्री में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक औसतन हर महीने लगभग 10 मामले लोकायुक्त कार्यालय में आए। लेकिन लोकायुक्त पद खाली रहने के कारण इनपर कार्रवाई नहीं हो पाई। लोकायुक्त का पद खाली होने की दशा में आने वाले मामलों में जांच तो हो सकती है पर फैसला नहीं सुनाया जा सकता। ऐसा इसलिए क्योंकि दिल्ली लोकायुक्त एक्ट के तहत किसी भी शिकायत पर फैसला लेने का आखिरी अधिकार लोकायुक्त के पास ही होता है।
दिल्ली में सिर्फ लोकायुक्त ही नहीं बल्कि उनके पर्सनल प्राइवेट सेक्रेटरी का पद भी रिक्त पड़ा हुआ है। दरअसल लोकायुक्त के ना रहने पर पूरे संगठन की अहमियत कम होती है। यह ठीक वैसे ही है जैसे दफ्तर तो खुलेगा लेकिन कोई अहम फैसला नहीं हो सकेगा।
वहीं अब लोकायुक्त की नियुक्ति को लेकर दिल्ली भाजपा प्रवक्ता पीएस कपूर ने उपराज्यपाल अनिल बैजल से आग्रह किया है कि दिल्ली में लोकायुक्त की नियुक्ति करने के लिए केजरीवाल सरकार को निर्देश दें।
कपूर ने कहा कि पिछले साल दिसंबर से ही लोकायुक्त का पद खाली पड़ा है। मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल इस पद को भरने में अपनी रुचि नहीं दिखा रहे हैं। जबकि सरकार के प्रशासन में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए लोकायुक्त आवश्यक है।
उन्होंने दावा किया कि लोकायुक्त कार्यालय में दिल्ली सरकार और आम आदमी पार्टी (आप) के विधायकों से जुड़े कई मामले में लंबित पड़े हैं। लोकायुक्त नहीं होने की वजह से इन मामलों की सुनवाई में देरी हो रही है।
केजरीवाल सरकार को लेकर कूपर ने कहा कि, जो पार्टी पारदर्शिता बनाए रखने के नाम पर सत्ता में आई उसने सत्ता हासिल करने के कुछ दिन बाद ही अपनी पार्टी के आंतरिक लोकपाल को खत्म कर दिया। सरकार दिल्ली में लोकायुक्त की नियुक्ति नहीं कर रही थी लेकिन भाजपा के दबाव पर रेवा खेत्रपाल को लोकायुक्त बनाया गया था। अब यह पद दिसंबर 2020 से खाली है।