‘दिल्ली दंगा में स्पेशल पुलिस कमिशनर का न मानें निर्देश’, हाईकोर्ट का सभी जांच अधिकारियों को आदेश- कानून के मुताबिक करें जांच
स्पेशल पुलिस कमिश्नर प्रवीर रंजन ने सभी जांच अधिकारियों और उनकी निगरानी कर रहे सीनियर अफसरों को भी निर्देश दिया था कि मामले में गिरफ्तारी करते समय पूरी ऐहतियात और सुरक्षा बरती जाय।

दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार (07 अगस्त) को उत्तर-पूर्व दिल्ली में हुए दंगों से जुड़े मामलों में दिल्ली पुलिस के स्पेशल कमिश्नर प्रवीर रंजन के उस आदेश को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने जांच अधिकारियों से हिन्दू समुदाय की भावना आहत होने और हिन्दू युवकों के भड़कने की बात कहकर उनके खिलाफ कार्रवाई से सचेत किया था। कोर्ट ने केस के सभी जांच अधिकारियों से साफ तौर पर कहा कि 8 जुलाई, 2020 को स्पेशल पुलिस कमिश्नर का जारी निर्देश न मानें और कानून सम्मत कार्रवाई करें।
स्पेशल पुलिस कमिशनर के निर्देश के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दी गई थी। स्पेशल पुलिस कमिश्नर ने 8 जुलाई के अपने निर्देश में दिल्ली दंगों से जुड़े सभी जांच अधिकारियों को गिरफ्तारी से पहले लोक अभियोजकों से चर्चा करने के भी निर्देश दिए थे। जस्टिस सुरेश कुमार कैत ने कहा- इलेक्ट्रॉनिक/ प्रिंट मीडिया में इस बाबत कहा गया था कि स्पेशल कमिश्नर के आदेश में कहा गया है कि दंगा प्रभावित क्षेत्रों से “कुछ हिंदू युवाओं” की गिरफ्तारी से “हिंदू समुदाय के बीच नाराजगी की डिग्री” पैदा हुई है – यह पत्र और आदेश के खिलाफ है।
बता दें कि 8 जुलाई के अपने पत्र में स्पेशल पुलिस कमिश्नर प्रवीर रंजन ने सभी जांच अधिकारियों और उनकी निगरानी कर रहे सीनियर अफसरों को भी निर्देश दिया था कि मामले में गिरफ्तारी करते समय पूरी ऐहतियात और सुरक्षा बरती जाय। सीनियर अफसरों को इस बारे में जूनियर अफसरों को गाइड करने का भी निर्देश दिया गया था।
स्पेशल पुलिस कमिश्नर के आदेश को उन दो परिवारों ने कोर्ट में चुनौती दी थी जिनके परिजन फरवरी 2020 के दंगे में मारे गए थे। साहिल परवेज के पिता को उसके घर के आगे ही दंगाइयों ने गोली मार दी थी जबकि मोहम्मद सईद सलमानी के घर में घुसकर दंगाइयों की भीड़ ने उनकी मां की जान ले ली थी। इन दोनों याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट में इंडियन एक्सप्रेस की उस खबर को आधार बनाया था जो 15 जुलाई को छपी थी। उसी खबर में बताया गया था कि दिल्ली के स्पेशल पुलिस कमिशनर ने लिखित निर्देश जांच अधिकारियों और निगरानी कर रहे अफसरों को दिए थे।
सुनवाई के अंतिम दिन जस्टिस कैत ने स्पेशल पुलिस कमिश्नर प्रवीर रंजन से ऐसी सभी चिट्ठियां अदालत को सौंपने के निर्देश दिए थे,जो उन्होंने या उनके बाद के अफसरों ने जूनियर अफसरों को लिखे थे। कोर्ट ने तब लताड़ लगाते पूछा था कि आखिर ऐसी क्या नौबत आ गई थी कि आपको ऐसा पत्र लिखना पड़ा? कोर्ट ने स्पेशल पुलिस कमिश्नर पर तल्ख टिप्पणी भी की थी, “आप सीनियर आईपीएस अफसर हैं, बावजूद आपको नहीं पता कि कौन सा आदेश निर्गत करना है और कौन सा नहीं?”