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खस्ताहाल अर्थव्यवस्था के खिलाफ कहीं लोग सड़कों पर न आ जाएं, बीजेपी को सता रही चिंता, शाहीनबाग पर बेफिक्र सरकार और पार्टी

केंद्र सरकार और भाजपा शाहीन बाग पर पूरी तरह बेफिक्र नजर आ रही है लेकिन असली चिंता का विषय खास्ताहाल अर्थव्यवस्था है। बीजेपी को चिंता सता रही है कि अर्थव्यवस्था को लेकर लोग कहीं सड़कों पर न उतर आएं।

Narendra Modi
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गृह मंत्री अमित शाह के साथ। (Express photo: Amit Mehra/File)

दिल्ली चुनाव को लेकर की नजरें सीएए-एनपीआर-एनआरसी के विरोध पर गड़ी हुई है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से लेकर दर्जनों सांसद और मंत्री जो चुनाव प्रचार में उतरे हुए हैं, अपनी सभी रैलियों में शाहीन बाग का जिक्र कर रहे हैं। सीएए और एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों पर निशाना साध रहे हैं। केंद्र सरकार और भाजपा शाहीन बाग पर पूरी तरह बेफिक्र नजर आ रही है लेकिन असली चिंता का विषय खास्ताहाल अर्थव्यवस्था है। बीजेपी को चिंता सता रही है कि अर्थव्यवस्था को लेकर लोग कहीं सड़कों पर न उतर आएं। सरकार और पार्टी के कई जिम्मेदार अधिकारी निजी तौर पर उस आर्थिक मंदी को वास्तविक चिंता मानते हैं।

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि इस चिंता को बजट बनाने वाली टीम के सामने रखा गया है। उन्होंने कहा, “सबसे बड़ी आशंका यह है कि अगर विकास नहीं हुआ तो लोग सड़कों पर आ सकते हैं। वर्तमान में कुछ जगहों पर ऐसा दिखा है, जो आगे अन्य जगहों पर भी फैल सकता है।” सूत्रों ने बताया कि एक कैबिनेट मंत्री ने कुछ हफ्तों पहले कैबिनेट की एक बैठक के दौरान कैंपस में विरोध प्रदर्शन के खतरों को बताया था और सरकार का ध्यान आकर्षित किया था।

भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “सीएए-एनपीआर-एनआरसी विरोध से हमारे बेस वोट में एक की भी कमी नहीं आयी है। और न हीं ये विरोध प्रदर्शन विपक्षियों को एक भी वोट का फायदा दिलाने वाले है। इसलिए हम इन विरोधों से राजनीतिक रूप से परेशान नहीं हैं। चिंता का वास्तविक मुद्दा अर्थव्यवस्था का है।”

भाजपा के इस नेता के बयान का एक अन्य नेता ने भी समर्थन किया। उन्होंने कहा, “भाई साहब चिंता की बात सिर्फ अर्थव्यवस्था है। बाकी सब मैनेजेबल है।” हालांकि, भाजपा नेताओं ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि बजट कुछ आत्मविश्वास पैदा कर सकता है और मौजूदा गिरावट को रोक सकता है।

अर्थव्यवस्था से जुड़ा एक मंत्रालय संभाल रहे एक मंत्री दावा करते हैं, “मुझे लगता है कि अर्थव्यवस्था नीचे से ऊपर उठ रही है। नए सेक्टर-आधारित कुछ आंकड़े बताते हैं कि हम एक रिकवरी के रास्ते पर बढ़ चले हैं।” हालांकि उन्होंने इस देश के इकोनॉमिक फंडामेंटल साउंड की और इशारा करते हुए कुछ ज्यादा बताने से इनकार कर दिया। लेकिन, पार्टी के भीतर यह अनिश्चितता बनी हुई है कि क्या बजट एक पर्याप्त पर्याप्त उपकरण है जिससे मंदी पर काबू पाया जा सकता है।

भाजपा नेता ने कहा, “व्यवसायी समुदाय के साथ मेरा थोड़ा बहुत लगाव है। मुझे लगता है कि व्यवसायी निवेश करने से हिचक रहे हैं। वे इस बात से डरे हुए हैं कि अधिकारी आएंगे और उनसे काफी ज्यादा पूछताछ करेंगे।” एक सरकारी अधिकारी ने भी कुछ इसी तरह की बात कही। उन्होंने कहा, “कालेधन का पीछा करने के नाम पर डिटॉक्सिफिकेशन की कवायद लंबे समय से जारी है। शेल कंपनियों पर पर्याप्त कार्रवाई की गई है। यह भरोसा दिलाने की भी जरूरत है कि काफी कुछ किया जा चुका है।”

भाजपा के एक नेता ने कहा, “व्यवसायी समुदाय को एक आश्वासन की आवश्यकता है कि आयकर अधिकारी निवेश को फिर से शुरू करने पर उन्हें परेशान नहीं करेंगे। नोटबंदी और काले धन के खिलाफ कार्रवाई के बाद उन्हें इस आश्वासन की आवश्यकता है। इसके लिए ही हमें जनादेश मिला था।”

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First published on: 31-01-2020 at 07:58 IST
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