वन रैंक वन पेंशन से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने केंद्र सरकार को सीधे तौर पर चेतावनी दे डाली। सीजेआई ने केंद्र की तरफ से पेश अटार्नी जनरल आर वेंकटरमानी से कहा कि मिस्टर अटार्नी- ध्यान रहे कि डिफेंस मिनिस्ट्री कानून को अपने हाथ में लेने की कोशिश भी न करे। उन्होंने कहा कि पहले डिफेंस सेक्रेट्री को कोर्ट में आने दीजिए। पहले वो खुद आकर बताएंगे कि उन्होंने 20 जनवरी 2023 को जारी किया अपना नोटिफिकेशन वापस ले लिया है। उसके बाद हम आपकी दलील सुनेंगे। सीजेआई का कहना था कि वो नोटिफिकेशन हमारे फैसले के खिलाफ है। हम उसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं करने जा रहे हैं। आप सरकार को बता दें कि किसी भी तरह से कानून से खिलवाड़ न करे।
सीजेआई सुनवाई के दौरान बेहद तल्ख दिखे। उनका सरकार से सवाल था कि आप कब पूर्व सैनिकों को सारे पैसे का भुगतान करेंगे। आखिर ये पेंशन है। अटार्नी जनरल ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि 31 मार्च से पहले पहली किश्त जारी कर दी जाएगी।
सरकार के पास दूसरे कामों के लिए पैसा है पर पेंशनर्स के लिए नहीं- बोले पूर्व सैनिकों के वकील
सीनियर एडवोकेट एच अहमदी ने कहा कि सरकार एक्सटेंशन के लिए चार आवेदन दे चुकी है। अब वो फिर से एक्सटेंशन मांग रहे हैं। वो मामले को 2024 तक खींचना चाहते हैं। उनका कहना था कि ये बहुत ज्यादा गलत है। सरकार के पास दूसरे कामों के लिए पैसा है लेकिन पूर्व सैनिकों की पेंशन के लिए पैसा नहीं है। चार लाख पेंशनर्स अभी तक मर चुके हैं।
वन रैंक वन पेंशन के मामले में बकाया एरियर पर अटार्नी जनरल ने सीजेआई की बेंच के सामने कहा कि 28 लाख आवेदनों में से 7 लाख को निपटाया जा चुका है। उनका कहना था कि ऑपरेशनल दुश्वारियां हैं। उनकी बात को सुनने के बाद सीजेआई ने कहा कि अगले सोमवार तक हमें एक नोट दीजिए। उसमें ये बात लिखी हो कि अभी तक इस मामले में क्या किया जा चुका है और क्या होना बाकी है। आप ये भी बताए कि कम से कम समय के भीतर कैसे सारा पैसा कैसे रिलीज हो सकता है। अटार्नी जनरल ने उन्हें आश्वस्त किया कि वो ऐसा प्रस्ताव कोर्ट के पास जमा कराने जा रहे हैं।
सीजेआई का कहना था कि हमारी चिंता केवल इस बात को लेकर है कि हमारे पूर्व सैनिकों को पैसा मिल जाए। उनका कहना था कि अटार्नी जनरल जो नोट जमा कराए उसमें 75 की उम्र के पार के पूर्व सैनिकों और विधवाओं का खास ख्याल रखा जाना चाहिए। इन लोगों को पैसे की सबसे ज्यादा जरूरत होती है। ये लोग उम्र के उस पड़ाव पर हैं जहां पेंशन ही उनका एकमात्र सहारा है।