नेताजी सुभाष चंद्र बोस को लेकर देश में एक बार फिर से बहस शुरू हो गई है। उनकी 125वीं जयंती के अवसर पर बीजेपी ने जहां कांग्रेस की सरकार के समय उचित सम्मान नहीं मिलने का आरोप लगाया तो वहीं कांग्रेस ने भी इस पर पलटवार किया है। इसी को लेकर जारी एक डिबेट में इतिहासकार ने भी देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू पर गंभीर आरोप लगा दिया, जिसका कांग्रेस प्रवक्ता ने सावरकर और श्यामा प्रसाद मुखर्जी का नाम लेकर विरोध किया।
आजतक पर चल रहे एक डिबेट में इतिहासकार प्रो. मक्खन लाल ने आजादी के समय के ब्रिटिश पीएम का हवाला देते हुए कहा कि क्लीमेंट एटली ने कहा था कि ब्रिटेन ने सुभाष चंद्र बोस और उनकी सेना से डर कर भारत छोड़ा था। उन्होंने कहा कि जिस सम्मान के हकदार नेताजी थे, उन्हें वो नहीं मिला।
प्रो.लाल ने कहा कि पंडित नेहरू ने अपने एक पत्र में बोस को ब्रिटेन का वॉर क्रिमिनल लिखा था। बहुत सारे खजाने आए थे, उसका जवाहर लाल नेहरू ने क्या – क्या किया, नेहरू ने अपना इतिहास लिखवाया था। प्रो. लाल के इन आरोपों पर कांग्रेस प्रवक्ता अभय दुबे ने जोरदार पलटवार किया।
अभय दुबे ने कहा कि आप उन इतिहासकारों से बात कर रहे हैं जो ब्रिटेन सरकार के लोगों का हवाला देकर इतिहास बताने की कोशिश कर रहे हैं। जिनके बारे में प्रो.लाल बात कर रहे हैं उसी इतिहासकार आरसी मजूमदार ने लिखा है कि श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने प्रस्ताव पारित करके भारत छोड़ो आंदोलन को कुचलने की चेष्टा की थी। वॉर क्रिमिनल वाले सवाल पर उन्होंने कहा कि ये झूठ परोसने वाली बात है। सुभाष चंद्र बोस की बेटी ने खुद कई इंटरव्यू में बताया कि किस प्रकार के संबंध थे पंडित नेहरू और नेताजी के बीच। बोस के सैनिकों के मुकदमें नेहरू ने लड़े थे। तब कहां था हिन्दू महासभा और आरएसएस?
कांग्रेस नेता ने कहा कि सुभाष चंद्र बोस के खिलाफ उस समय कोई खड़ा था तो वो सावरकर थे। उन्होंने कहा कि सुभाष चंद्र बोस ने खुद सावरकर और जिन्ना के बारे में लिखा है। जब बोस ब्रिटेन सरकार के खिलाफ सेना तैयार कर रहे थे, तब सावरकर भारत के लोगों को ब्रिटेन की हुकुमत को साथ देने के लिए कह रहे थे।