कोरोना संकट और लॉकडाउन के बीच पूर्व रक्षा मंत्री और सीनियर कांग्रेसी नेता एके एंटनी ने कहा है कि देश में जमीनी हालत बेहद कठिन हो चुके हैं। अगर केंद्र सरकार ने दखल नहीं दी है और हालात और बदतर हो सकते हैं।
रविवार को समाचार एजेंसी पीटीआई से उन्होंने कहा- लॉकडाउन के चलते गरीबों के आगे संकट आ खड़ा हुआ है। पीएम मोदी इस समय दखल देनी चाहिए, ताकि भुखमरी न हो। बकौल एंटनी, “जमीनी हालात बेहद कठिन हैं। सरकार ने हस्तक्षेप न किया, तो कोरोना से होने वाली मौतों से अधिक आंकड़ा भूख से जाने वाली जानों का होगा।”
उनके अनुसार, लॉकडाउन के चलते इकनॉमी थम सी गई है। अगर समय रहते इसके लिए और व्यवसायों को दोबारा चालू करने के लिए कदम न उठाए गए, तो ‘पूर्ण आर्थिक संकट’ पनप जाएगा।
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एंटनी की ये प्रतिक्रिया प्रधानमंत्री मोदी की उस मीटिंग से ऐन पहले आई है, जिसमें सोमवार को वह सभी मुख्यमंत्रियों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग पर बात करेंगे। माना जा रहा है कि इस दौरान आर्थिक गतिविधियां बढ़ाने पर जोर दिया जा सकता है और लॉकडाउन चरणबद्ध तरीके से हटाने पर चर्चा हो सकती है।
बता दें कि देश में कोविड-19 संक्रमण से मरने वालों की संख्या रविवार को 2,109 हो गई और संक्रमण के कुल मामले बढ़कर 62,939 पर पहुंच गए हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक पिछले 24 घंटे में 128 लोगों की मौत हुई और 3,277 मामले सामने आए हैं।
परीक्षाओं के बजाए सभी छात्रों को पास करें- सिब्बलः वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने रविवार को कहा कि कोरोना वायरस संक्रमण के कारण शिक्षण सत्र 2020-21 पर मंडरा रहे अनिश्चितता के बादल को देखते हुए कक्षा 10 तथा अन्य कक्षाओं के छात्रों को परीक्षाओं के दबाव से बचाने के लिए कक्षा 12 को छोड़ कर अन्य सभी छात्रों को या तो प्रोन्नत करना चाहिए अथवा कोई आंतरिक मूल्यांकन तंत्र बनाया जाना चाहिए।
कांग्रेस नेता ने सुझाव दिया कि स्कूल और विश्वविद्यालय स्तर पर पाठ्यक्रम को कम किया जा सकता है और कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के कारण शिक्षण सत्र 2020-2021 में जो अध्यापन समय नष्ट हुआ है, उसकी भरपाई शिक्षकों और छात्र समुदाय के विशेष प्रयासों से अगले वर्ष की जा सकती है।