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LGBTQI+ के लिए कनवर्जन थेरेपी पर कार्रवाई की मांग, DCW प्रमुख स्वाति मालीवाल ने राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग को जारी किया नोटिस

DCW प्रमुख स्वाति मालीवाल ने राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के अध्यक्ष को नोटिस जारी LGBTQI+ के लिए कनवर्जन थेरेपी के मामले की जांच रिपोर्ट की कॉपी मांगी है।

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DCW Chief Swati Maliwal Case: दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल। (फोटो सोर्स: एक्सप्रेस)

दिल्ली महिला आयोग (DCW) ने राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) को एक नोटिस जारी कर LGBTQI+ समुदाय के लिए अवैध कनवर्ज़न थेरेपी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। इस थेरेपी को ‘वर्ल्ड कांग्रेस ऑफ़ साइकोलॉजिस्ट्स’ के बैनर तले एडवर्टाइज किया जा रहा है। DCW प्रमुख स्वाति मालीवाल ने राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के अध्यक्ष को नोटिस जारी कर मामले की जांच रिपोर्ट की कॉपी मांगी है।

साइकोमैट्रिक डिसऑर्डर पर ट्रेनिंग प्रोग्राम

DCW ने सोशल मीडिया पर चल रहे एक विज्ञापन पर स्वत: संज्ञान लिया, जिसमें दावा किया गया था कि आंध्र प्रदेश के तिरुपति में अपने मुख्यालय के साथ ‘वर्ल्ड कांग्रेस ऑफ साइकोलॉजिस्ट ‘ नामक एक संगठन साइकोमैट्रिक डिसऑर्डर पर तीन महीने का प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। यह ट्रेनिंग प्रोग्राम 10 मार्च को शुरू हुआ था। DCW के एक अधिकारी ने कहा, “संगठन ने 47 विभिन्न विकारों से निपटने के लिए प्रशिक्षण की पेशकश की है और इसमें समलैंगिकता, लेस्बियनिज्म और ट्रांसवेस्टिज्म को शामिल किया है।”

LGBTQIA+ समूह के लोगों के लिए कनवर्ज़न थेरेपी

आयोग ने एनएमसी से पूछा है कि क्या कार्यक्रम अभी चलाया जा रहा है या पहले आयोजित किया गया था और अगर ऐसा है तो संगठन, उसके पदाधिकारियों और प्रशिक्षकों के खिलाफ की गई कार्रवाई की डिटेल्स दी जाए और साथ ही क्या उनके लाइसेंस रद्द किए गए हैं। LGBTQIA+ समूह के लोगों की कनवर्ज़न थेरेपी पर एनएमसी द्वारा जारी दिशा-निर्देशों/सलाहों की एक कॉपी भी मांगी गई है।

समलैंगिकता कोई बीमारी नहीं

महिला आयोग ने कहा, “यह एक स्थापित तथ्य है कि समलैंगिकता, लेस्बियनिज्म और ट्रांसवेस्टिज़्म साइकोमैट्रिक डिसऑर्डर नहीं हैं। 50 साल पहले, अमेरिकन साइकियाट्रिक एसोसिएशन (APA) ने एक प्रस्ताव जारी किया था जिसमें कहा गया था कि समलैंगिकता कोई मानसिक बीमारी या बीमारी नहीं है। कनवर्ज़न थेरेपी नकली वैज्ञानिक प्रथाओं का एक समूह है जो LGBTQIA+ लोगों को उनके यौन अभिविन्यास, लिंग पहचान और लिंग अभिव्यक्ति को बदलने के लिए कहता है।”

आयोग ने आगे मद्रास हाई कोर्ट द्वारा पारित एक फैसले का हवाला दिया और कहा कि LGBTQIA+ लोगों के यौन अभिविन्यास को बदलने या हेट्रोसेक्सुअल या ट्रांसजेंडर लोगों की लिंग पहचान को सिजेंडर में बदलने का कोई भी प्रयास निषिद्ध है। आयोग ने कहा कि इन निर्णयों के बावजूद यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कनवर्ज़न थेरेपी अभी भी प्रचलित है और इस तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

कनवर्ज़न थेरेपी करने वाले पेशेवर के खिलाफ कार्रवाई

आयोग ने कहा, “न्यायालय ने राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग, भारतीय मनश्चिकित्सीय सोसाइटी और भारतीय पुनर्वास परिषद को भी निर्देश दिया था कि ऐसे थेरेपी करने वाले किसी भी संबंधित पेशेवर के खिलाफ कार्रवाई करने या लाइसेंस वापस लेना शामिल है। इस आदेश के अनुसरण में, राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) ने कनवर्ज़न थेरेपी को अवैध घोषित किया और इसे प्रोफेशनल मिसकंडक्ट की श्रेणी में माना और भारतीय चिकित्सा परिषद (पेशेवर आचरण, शिष्टाचार और नैतिकता) विनियम, 2002 के तहत अभ्यास पर प्रतिबंध लगा दिया।”

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First published on: 25-03-2023 at 15:10 IST
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