भारत धीरे-धीरे चीनी साइबर हमलों से जुड़े खतरों की जद में आ गया है। कई स्तर पर भारत की साइबर सुरक्षा को मजबूत उपाय किए जाने की जरूरत महसूस की जा रही है। हाल में अमेरिकी साइबर सुरक्षा फर्म ‘रिकार्डेड फ्यूचर’ ने खुलासा किया कि चीनी सरकार द्वारा प्रायोजित हैकर्स ने लद्दाख में भारत की बिजली ग्रिड को निशाना बनाया था। कई और महत्त्वपूर्ण संस्थानों पर साइबर हमले किए।
रिपोर्ट के मुताबिक, बिजली ग्रिड को लगातार निशाना बनाना चीन की साइबर जासूसी मुहिम का हिस्सा रहा है। इस घुसपैठ के जरिए चीन के हैकर्स ने क्या हासिल किया- इस बारे में तकनीकी जानकारियां नहीं मिली हैं। लेकिन यह स्पष्ट है कि बीते एक दशक से भी ज्यादा समय से चीन व्यवस्थित रूप से भारत के खिलाफ आक्रामक साइबर कारगुजारियों को अंजाम देता आ रहा है।
‘रिकार्डेड फ्यूचर’ के मुताबिक, हालांकि इस मामले में भारत अकेला नहीं है। नीदरलैंड्स, ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया और अमेरिका जैसे कई देश और वोडाफोन एवं और माइक्रोसाफ्ट जैसी कारोबारी कंपनियों ने चीन लारा व्यापारिक समेत तमाम संवेदनशील डेटा चुराने की करतूतों का खुलासा किया है।
दरअसल, चीन वैश्विक स्तर पर सघन रूप से हैकिंग से जुड़ी गतिविधियों को अंजाम देता है। इस कवायद के जरिए वह स्वास्थ्य और दूरसंचार क्षेत्र, बुनियादी ढांचे से जुड़ी जरूरी सेवाओं के प्रदाताओं और उद्यमों को साफ्टवेयर सेवा मुहैया कराने वालों को निशाना बनाता है। इसके जरिए वह बौद्धिक संपदा और तमाम गोपनीय सूचनाओं की चोरी करता है। विदेशी ठिकानों को निशाना बनाने की इन हरकतों से आगे चलकर खुफिया सूचनाएं इकट्ठा करने, हमला करने या गतिविधियों को प्रभावित करने को लेकर बेशकीमती सुराग हासिल होते हैं।
साइबर जासूसी के मकसद से हैकिंग की अब तक की सबसे बड़ी और सबसे ताजा हरकत माइक्रोसाफ्ट एक्सचेंज सर्वर में हुई घुसपैठ है। मार्च 2021 में राज्यसत्ता लारा प्रायोजित हैफ्नियम हैकिंग समूह ने इस करतूत को अंजाम दिया था। इसने माइक्रोसाफ्ट की ईमेल साफ्टवेयर से जुड़ी कमजोरियों का फायदा उठाते हुए तमाम दूसरे ठिकानों के अलावा अमेरिकी सरकार के विभागों, रक्षा से जुड़े ठेकेदारों, पालिसी थिंक टैंकों और संक्रामक बीमारियों से जुड़े शोधकर्ताओं को निशाना बनाया था।
चीन ने अपनी साइबर जासूसी मुहिम के लिए न केवल साइबर हमलों बल्कि विदेशों में अपने कारोबारी ठेकों और गतिविधियों तक का इस्तेमाल किया है। टेलीकाम नेटवर्क और फाइबर आप्टिक संचार से जुड़े बुनियादी साजो-सामान मुहैया कराने वाली चीनी कंपनियां उसकी इस मुहिम का अहम हिस्सा हैं।
चीन ने अपनी साइबर जासूसी मुहिम के लिए न केवल साइबर हमलों बल्कि विदेशों में अपने कारोबारी ठेकों और गतिविधियों तक का इस्तेमाल किया है। टेलीकाम नेटवर्क और फाइबर आप्टिक संचार से जुड़े बुनियादी साजो-सामान मुहैया कराने वाली चीनी कंपनियां उसकी इस मुहिम का अहम हिस्सा हैं। इनमें चाइना टेलीकाम, हुआवेई और जेडटीई शामिल हैं।
चीन इन स्रोतों से जुटाई गई जानकारियों को अपनी घरेलू विनिर्माण क्षमताओं को बढ़ावा देने, पश्चिमी जगत के लोकप्रिय ब्रांड या उत्पादों की सस्ती नकल तैयार करने में इस्तेमाल करता है। इससे वह प्रतिस्पर्धी बढ़त हासिल करता है। चीन द्वारा अमेरिकी एफ-35 स्टील्थ लड़ाकू विमानों से जुड़े डेटा की चोरी किए जाने की मिसाल जगजाहिर है।
अक्तूबर 2020 में बत्ती गुल होने की बड़ी घटना सामने आई थी। मुंबई के एक बड़े हिस्से की बिजली चली गई थी। इससे उपनगरीय रेल सेवाओं और अस्पतालों पर असर पड़ा था। महीनों बाद रिकार्डेड फ्यूचर ने बताया था कि चीन से जुड़े हैकरों के समूह रेड एको ने भारत के बिजली क्षेत्र में घुसपैठ की थी। बिजली क्षेत्र के अलावा चीनी हैकर्स ने भारत के दो बंदरगाहों और रेलवे से जुड़े बुनियादी ढांचों के कुछ हिस्सों को भी निशाना बनाया था।