केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में सुप्रीम कोर्ट से कहा कि कोविड वैक्सीन से होने वाली मौतों के लिए उसे जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। केंद्र का जवाब उस याचिका पर था जिसमें वैक्सीन लेने के बाद दो लड़कियों की मौत हो गई थी। केंद्र ने अपने जवाब में कहा कि वैक्सिनेशन प्रोग्राम के तहत लगाए जा रहे टीके थर्ड पार्टी ने तैयार किए हैं। हमारे अलावा दूसरे देशों ने भी इसका रेगुलेटरी रिव्यू किया है।
सरकार का कहना था कि एक-दो मौतों के लिए उसे जिम्मेदार ठहराना कानूनी तौर पर जायज नहीं है। सरकार का कहना था कि ऐसा कोई दस्तावेज नहीं है कि जो ये साबित करे कि इस तरह की मौतों के लिए वो जिम्मेदार है। मिनिस्ट्री ऑफ हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर ने हलफनामे में कहा कि वैक्सीन लेने की कोई कानूनी बाध्यता नहीं है। कोई भी इसे अपनी इच्छा से ही लेता है।
केंद्र का कहना था कि वैक्सीन को लेकर बहुत सारी जगहों पर काउंसलिंग सेंटर भी हैं। अगर किसी को टीका लगवाने में हिचक है तो वो वहां जाकर सलाह भी ले सकता है। वैक्सीन को पूरी एहतियात के साथ तैयार किया गया है। सरकार ने अपने स्तर पर जांच परख के बाद ही वैक्सीन को मान्यता दी है। केंद्र का कहना था कि हमें दोनों लड़कियों की मौत पर दुख है। लेकिन इस तरह के मामले उंगलियों पर गिने जाने वाले हैं। सरकार की तरफ से कहा गया कि अगर किसी को वैक्सीन से परेशानी होती है तो वो अपने कानूनी अधिकारों का इस्तेमाल करने के लिए स्वतंत्र है।
मामले के मुताबिक 19 और 20 साल की दो लड़कियों की मौत वैक्सीन लगवाने के बाद हुई थी। उनके पिता का कहना है कि कोविशील्ड की वैक्सीन लेने की वजह से दोनों की जान गई। उन्होंने मेडिकल बोर्ड गठित कर जांच करवाने की मांग की थी। पिता ने मुआवजे को लेकर अदालत का दरवाजा खटखटाया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र से जवाब तलब किया था। उसके बाद ही केंद्र ने अपना हलफनामा दाखिल कर जवाब दिया।