कोरोना-काल में 11 धनकुबेरों की कमाई दस साल तक स्वास्थ्य मंत्रालय चलाने के लिए काफ़ी, अप्रिल में हर घंटे 1.70 लाख लोगों की रोजी गई: ऑक्सफैम
The Inequality Virus नाम की रिपोर्ट में पाया गया है कि जहां एक तरफ महामारी के चलते अर्थव्यवस्था ठप हो गई, लाखों गरीब भारतीयों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा, वहीं इस दौरान भारत के सबसे अमीर अरबपतियों ने अपनी संपत्ति में 35 फीसदी की बढ़ोतरी की है।

ऑक्सफैम की एक नई रिपोर्ट में पाया गया है कि कोविड 19 महामारी ने भारत और दुनिया भर में मौजूदा असमानताओं को गहरा किया है। The Inequality Virus नाम की रिपोर्ट में पाया गया है कि जहां एक तरफ महामारी के चलते अर्थव्यवस्था ठप हो गई, लाखों गरीब भारतीयों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा, वहीं इस दौरान भारत के सबसे अमीर अरबपतियों ने अपनी संपत्ति में 35 फीसदी की बढ़ोतरी की।
रिपोर्ट में कहा गया है, “भारतीय अरबपतियों की संपत्ति लॉकडाउन के दौरान 35 प्रतिशत बढ़ी और 2009 के बाद से 90.9 बिलियन डॉलर की रैंकिंग में भारत अमेरिका, चीन, जर्मनी, रूस और फ्रांस के बाद दुनिया में छठे स्थान पर रहा।” ऑक्सफैम की गणना के अनुसार, मार्च के बाद से भारत सरकार ने लॉकडाउन की घोषणा की, यह संभवतः दुनिया का सबसे सख्त लॉकडाउन था। इस दौरान भारत के शीर्ष 100 अरबपतियों ने 12.97 ट्रिलियन रुपये की वृद्धि देखी।
यह इतना पैसा है कि अगर 138 मिलियन गरीबों के बीच यह बांट दिया जाये तो हर एक के हिस्से में 94,045 रुपय आएंगे। वहीं अप्रैल 2020 के महीने में हर घंटे 170,000 लोगों ने अपनी नौकरी गवाई। ऑक्सफैम की रिपोर्ट में कहा गया है कि महामारी के दौरान भारत के शीर्ष 11 अरबपतियों की संपत्ति में जितनी वृद्धि हुए है उससे NREGS योजना या स्वास्थ्य मंत्रालय को 10 साल तक चलाया जा सकता है।
लॉकडाउन के दौरान सबसे ज्यादा मार इनफॉर्मल सेक्टर पर पड़ी थी। महामारी के चलते 122 मिलियन नौकरियों का नुकसान हुआ जिसमें 75 प्रतिशत इनफॉर्मल सेक्टर से थी। फॉर्मल सेक्टर के लोगों ने घर से काम करना शुरू कर दिया था लेकिन इनफॉर्मल सेक्टर के पास ऐसा कोई विकल्प नहीं था, जिसके चलते उन्हें काफी नुकसान हुआ। 40-50 मिलियन प्रवासी मजदूर, जो आमतौर पर निर्माण स्थलों, कारखानों आदि में काम करते थे, उन्हें सबसे ज्यादा नुकसान हुआ।
महामारी ने स्वास्थ्य और शिक्षा की असमानताओं को भी जन्म दिया। कोविड 19 के चलते धीरे-धीरे सब कुछ ऑनलाइन हो गया। जैसे-जैसे शिक्षा ऑनलाइन हुई, भरता में लोगों के बीच डिजिटल विभाजन हो गया। एक तरफ बाईजूस (वर्तमान में 10.8 बिलियन डॉलर का मूल्य) और अनएकडेमी (1.45 बिलियन डॉलर का मूल्य) जैसी कंपनियां की तेजी से वृद्धि हुई, वहीं दूसरी तरफ, केवल 20 प्रतिशत गरीब परिवारों में से मात्र 3 प्रतिशत परिवारों के पास कंप्यूटर था। वहीं मात्र 9 फीसदी लोगों के पास इंटरनेट पहुंचा।