फिर लौट आए लॉकडाउन जैसे हालात, जा रहीं नौकरियां, गांव की तरफ लौटने लगे लोग
शब्बीर गाजियाबाद में गाड़ियां सुधारने का काम करते थे। लेकिन उन्हें वहां से निकाल दिया गया। शब्बीर दिल्ली के कड़कड़डूमा में रहते हैं, नौकरी चले जाने की वजह से अब वे अपने छह लोगों के परिवार को नहीं पाल सकते, ना ही मकान का किराया दे सकते हैं। इसलिए वे उन्हें घर वापस छोड़ आए।

देश में कोरोना का संक्रमण एक बार फिर तेजी से फैल रहा है। इसके चलते कई राज्यों में फिर लॉकडाउन जैसे हालात लौट आए हैं। प्रवासी मजदूर गांव की तरफ लौटने लगे हैं और लोगों की नौकरियां जा रही हैं। इस साल फरवरी में, मोहम्मद शब्बीर अंसारी अपने परिवार के साथ वापस अपने घर झारखंड के गिरीडीह आए थे। शब्बीर अंसारी अपने परिवार को वहां छोड़ दिल्ली लौट आए थे।
शब्बीर गाजियाबाद में गाड़ियां सुधारने का काम करते थे। लेकिन उन्हें वहां से निकाल दिया गया। शब्बीर दिल्ली के कड़कड़डूमा में रहते हैं, नौकरी चले जाने की वजह से अब वे अपने छह लोगों के परिवार को नहीं पाल सकते, ना ही मकान का किराया दे सकते हैं। इसलिए वे उन्हें घर वापस छोड़ आए। अपनी पत्नी से फोन पर बात करते हुए शब्बीर ने बताया कि उन्हें मार्च में मिली नई नौकरी से भी निकाल दिया गया है। वे ओला के लिए काम कर रहे थे लेकिन कार के मालिक ने उन्हें अब कोई और काम देखने को कहा है।
24 साल के अंसारी ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा “मामले फिर से बढ़ रहे हैं और मैं बेरोजगार हो गया हूं। अगर ऐसा ही चलता रहा तो मैं 10 दिन के भीतर वापस झारखंड चला जाऊंगा।” नाहिद परवीन ने कहा “हमने पहले लॉकडाउन के दौरान झारखंड सरकार से मदद मांगी थी। लेकिन उन्होने कुछ नहीं किया।
परवीन ने कहा “मुझे अपने पति के साथ दिल्ली में ही रहना चाहती हूं। कौन अपने पति से दूर रहना चाहेगा, अभी अभी तो इस शहर को समझना शुरू किया था। क्या हिसाब है, क्या किताब है।” अब वह चाहती है कि शब्बीर जल्दी से जल्दी घर वापस आ जाये। परवीन ने कहा “केवल हम जानते हैं कि पहले लॉकडाउन के दौरान हम किन हालातों से गुजरे थे, हम फिर से ऐसा नहीं चाहते हैं।
झारखंड के संयुक्त श्रम आयुक्त राकेश प्रसाद कहते हैं, ”पुरुष जा रहे हैं लेकिन महिलाएं इस बार इतनी दूर जाने का जोखिम लेने को तैयार नहीं हैं। अगली चुनौती यह देखना है कि इस दूसरी लहर में क्या होता है और इसका कैसे सामना किया जाए।”