Covid-19 Vaccine: पुणे में रूस की वैक्सीन के दूसरे चरण का ट्रायल शुरू
Coronavirus Covid-19 Vaccine: आपको बता दें कि वैक्सीन 'इमरजेंसी अप्रूवल'? के लिए फॉर्मा कंपनी क्लिनिकल ट्रायल डेटा देते हैं। आपात स्थितियों में इस्तेमाल की अनुमति मांगते हैं।

Coronavirus (Covid-19) Vaccine : कोरोना का प्रकोप अभी खत्म नहीं हुआ है। इस बीच देश में वैक्सीन के मोर्चे पर एक खुशखबरी सामने आई हैं। अमेरिकी दवा कंपनी फाइजर ने कोरोना वैक्सीनेशन के लिए भारत से आपात इस्तेमाल की इजाज़त मांगी है। भारत में कोरोना वैक्सीनेशन की मंजूरी मांगने वाली पहली कंपनी फाइजर बन गई है। हालांकि जानकार ये कह रहे हैं कि भारत में फाइजर वैक्सीन का इस्तेमाल इतना आसान नहीं है, वहीं ब्रिटेन ने फाइजर वैक्सीन को मंजूरी दे दी है।
आपको बता दें कि वैक्सीन ‘इमरजेंसी अप्रूवल’? के लिए फॉर्मा कंपनी क्लिनिकल ट्रायल डेटा देते हैं। आपात स्थितियों में इस्तेमाल की अनुमति मांगते हैं। इसके लिए 2 चरणों में आवेदन आगे बढ़ाया जाता है। पहले विशेषज्ञों की समिति विचार करती है और फिर एपेक्स समिति के पास जाता है। इस समिति में स्वास्थ्य मंत्रालय के विभागों के सचिव होते हैं।
दुनियाभर की कई कंपनियां अपनी वैक्सीन को जल्द से जल्द लॉन्च करने की कोशिश में हैं। इस बीच Pfizer सबसे आगे निकलते हुए इसी हफ्ते से ब्रिटेन में टीका उपलब्ध कराएगी। बताया गया है कि मंगलवार से ही कंपनी की कोरोना वैक्सीन उपलब्ध होगी। गौरतलब है कि फाइजर दुनिया में पहली कंपनी है, जिसकी वैक्सीन को किसी देश में मंजूरी मिली है। फाइजर वैक्सीन को ब्रिटेन के बाद हाल ही में बहरीन ने भी आपात इस्तेमाल की इजाजत दे दी है।
बता दें कि भारत में अब तक Pfizer के साथ-साथ ऑक्सफोर्ड-एस्ट्रा जेनेका और रूस का गामालेया इंस्टीट्यूट वैक्सीन के लिए भारत की सप्लाई चेन इस्तेमाल करने में दिलचस्पी दिखा चुकी हैं।
Highlights
भारत में रूस की कोरोना वैक्सीन स्पुतनिक-5 (Sputnik V) का दूसरे चरण का ट्रायल शुरू हो गया है। पुणे के नोबल हॉस्पिटल (Noble Hospital) में यह ट्रायल किया जा रहा है। हॉस्पिटल में 17 लोगों को यह टीका लगाया गया है। इन सभी लोगों को डॉक्टरों की निगरानी में रखा गया है। हॉस्पिटल प्रशासन ने बताया कि वैक्सीन के ट्रायल (Clinical trial) में ट्रायल प्रोटोकॉल का पूरी तरह से पालन किया जा रहा है। जिन लोगों को यह वैक्सीन दी गई है, उनकी उम्र 18 साल से ज्यादा है और वे पूरी तरह से स्वस्थ हैं।
एसोचैम ने वित्त मंत्रालय को दिए बजट-पूर्व ज्ञापन में कहा है कि वैज्ञानिक अनुसंधान से संबद्ध इनकम टैक्स कानून की धारा 35 में कोविड-19 से जुड़े शोध को भी शामिल किया जाना चाहिए। एसोचैम ने सुझाव दिया है, ''करदाताओं को कोविड-19 के वैक्सीन या इलाज की खोज के लिए प्रोत्साहित करने और अन्य मूल दवाओं की जरूरतों को पूरा करने के लिए शोध पर खर्च की जाने वाली राशि के एवज में 200 फीसदी विशेष कटौती का प्रावधान किया जाना चाहिए।'
'स्पूतनिक वी' विकसित करने वाले वैज्ञानिकों का मानना है कि यह 95 प्रतिशत प्रभावी है और इसका कोई बड़ा दुष्प्रभाव नहीं है। हालांकि, सकारात्मक परिणाम के बावजूद टीके का सामूहिक परीक्षण अभी भी जारी है। हजारों लोगों ने टीकाकरण के लिए पंजीकरण किया है। रूस ने दावा किया कि 'स्पुतनिक वी' दुनिया का पहला पंजीकृत कोरोना टीका है, क्योंकि सरकार ने अगस्त की शुरुआत में इसे मंजूरी दे दी थी।
टीका लगना शुरू होने के साथ ही मॉस्को में शनिवार को 70 टीकाकारण केंद्र खोले गए। डॉक्टरों, शिक्षकों और स्थानीय निकाय के कर्मचारियेां को इसके लिए अपना समय निर्धारित करने के लिए कहा गया है। महापौर सोबयानीन ने बताया कि कुछ ही घंटों में पांच हजार से अधिक लोगों ने पंजीकरण किया है। रूस ने दावा किया कि 'स्पुतनिक वी' दुनिया का पहला पंजीकृत कोरोना टीका है, क्योंकि सरकार ने अगस्त की शुरुआत में इसे मंजूरी दे दी थी। हालांकि रूस कई अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों की रूस के इस कदम की आलोचना करते हुए कहा था कि टीके का परीक्षण उस समय केवल कई दर्जन लोगों पर किया गया था। इस पर राष्ट्रपति पुतिन ने कहा था कि उनकी बेटियों में से एक ने शुरुआती टीका लगवाया था।
रूस की राजधानी मॉस्को में शनिवार को कोविड-19 के टीकाकरण कार्यक्रम की शुरुआत हो गई। यह टीका उन लोगों को सबसे पहले दिया जा रहा है, जिनको संक्रमित होने का खतरा सबसे अधिक है। टीका लगना शुरू होने के साथ ही मॉस्को में शनिवार को 70 टीकाकारण केंद्र खोले गए। डॉक्टरों, शिक्षकों और स्थानीय निकाय के कर्मचारियेां को इसके लिए अपना समय निर्धारित करने के लिए कहा गया है। महापौर सोबयानीन ने बताया कि कुछ ही घंटों में पांच हजार से अधिक लोगों ने पंजीकरण किया है।
गुजरात के सीएम विजय रूपाणी ने कहा, “हम COVID19 वैक्सीन को 4 चरणों में लगाएंगे...पहले चरण में हेल्थकेयर वर्कर्स को, दूसरे चरण में कोरोना योद्धाओं को, तीसरे चरण में 50 वर्ष से ऊपर के लोगों और चौथे चरण में 50 वर्ष से कम उम्र के लोगों को कोरोना का टीका लगाया जाएगा।
फाइजर की वैक्सीन को लेकर कई विशेषज्ञों का कहना है कि इस वैक्सीन के सामने कुछ चुनौतियां भी हैं। जैसे, माइनस 70 डिग्री पर इस टीके को स्टोर करने की आवश्यकता, भारत जैसे देशों में इस वैक्सीन की डिलीवरी के लिए एक बड़ी चुनौती है। खासकर, छोटे कस्बों या शहर से दूर के इलाकों में इस टीके को माइनस 70 डिग्री पर रख पाना, भारतीय प्रशासन के लिए बहुत बड़ी चुनौती होगी। भारत सरकार के वरिष्ठ अधिकारी भी इस बारे में चिंता जाहिर कर चुके हैं।
बता दें कि फाइजर ने उसके कोविड-19 टीके को ब्रिटेन और बहरीन में मंजूरी मिलने के बाद भारत में इमरजेंसी यूज के लिए इसके इस्तेमाल का अनुरोध किया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दवा नियामक को दिए किए गए अपने आवेदन में कंपनी ने देश में टीके के आयात एवं वितरण के संबंध में मंजूरी दिये जाने का अनुरोध किया है। इसके अलावा, दवा एवं क्लीनिकल परीक्षण नियम, 2019 के विशेष प्रावधानों के तहत भारत की आबादी पर क्लीनिकल परीक्षण की छूट दिए जाने का भी अनुरोध किया गिया है।
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक फाइजर ने भारत में अपनी कोरोना वैक्सीन के इस्तेमाल को लेकर भारत सरकार के सामने शर्त रखी है कि अगर वैक्सीन के कारण किसी को गंभीर साइड इफेक्ट होते हैं तो पीड़ितों को मुआवजा देने का भार उस पर न हो। उसकी मांग है कि भारत सरकार ही पीड़ितों को मुआवजा दे और ऐसी स्थिति में फाइजर की कोई भी जिम्मेदारी न हो। हालांकि भारत सरकार फाइजर की इस शर्त को लेकर नाखुश है।
Pfizer के स्टोरेज को लेकर संशय बना हुआ है। Pfizer की वैक्सीन के स्टोरेज के लिए आवश्यक न्यूनतम तापमान माइनस 70 डिग्री सेल्सियस होना जरूरी है। वहीं भारत जैसे देश में इसकी डिलीवरी एक बड़ी चुनौती है, विशेष रूप से छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में जहां ऐसी कोल्ड चेन सुविधाओं को बनाए रखना बहुत मुश्किल होगा।
चीन की चार कंपनियां इस वक्त कोरोनावायरस की वैक्सीन बनाने की होड़ में हैं। इनमें निजी कंपनी साइनोवैक, सरकारी कंपनी साइनोफार्म, बीजिंग इंस्टीट्यूट ऑफ बायोलॉजिकल प्रोडक्ट्स और कनाडा के सहयोग से बनाई जा रही कैनसाइनो बायोलॉजिक्स की वैक्सीन अभी तीसरे फेज के ट्रायल में हैं। हालांकि, किसी ने भी अब तक नतीजों की घोषणा नहीं की है। हालांकि, उम्मीद जताई जा रही है कि चारों वैक्सीन जल्द ही अप्रूवल पा सकती हैं।
फैक्ट्री से सिरींज तक वैक्सीन के पहुंचने में तीन चरण -परिवहन (Transportation), भंडारण (Storage) और टीकाकरण (Inoculation)- शामिल हैं। अच्छी बात है कि भारत के इतना सारा इंफ्रास्ट्रक्चर है। स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अफसर ने ‘The Sunday Express’ को बताया, “साल 1984 में जब Universal Immunisation Programme यानी यीआईपी शुरू हुआ था, तब वैक्सीन के लिए भारत ने 26 हजार से अधिक कोल्ड चेन प्वॉइंट्स (टेंप्रेचर ट्रैकर के साथ) का नेटवर्क तैयार किया था। इस बार हमें इस संख्या को बढ़ाना है।” ऐसे में असल चुनौती लॉजिस्टिक्स के स्तर पर होगी, जिसमें वैक्सीन को लाभार्थियों तक ले जाने और फिर ट्रैक करना शामिल होगा। पढ़ें पूरी खबर...
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) के एक नए अध्ययन में सामने आया है कि कोविड-19 महामारी के गंभीर दीर्घकालिक परिणामों के चलते 2030 तक 20 करोड़ 70 लाख और लोग घोर गरीबी की ओर जा सकते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर ऐसा हुआ तो दुनिया भर में बेहद गरीब लोगों की संख्या एक अरब के पार हो जाएगी। अध्ययन में कोविड-19 से उबरने के विभिन्न परिदृश्यों के कारण सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) पर पड़ने वाले असर और महामारी की वजह से अगले दशक तक पड़ने वाले बहुआयामी प्रभावों का आकलन किया गया। पढ़ें पूरी खबर...
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के प्रमुख टेडरोस अदनहोम गेब्रेहेसुस ने कहा है कि उन्हें अमेरिका के तीन पूर्व राष्ट्रपतियों की तरह ही कोरोनावायरस वैक्सीन लगवाने में खुशी होगी। टेडरोस ने रिपोर्टरों से बातचीत के दौरान कहा कि बराक ओबामा, जॉर्ज बुश और बिल क्लिंटन का कैमरे के सामने वैक्सीन लगवाना उनकी प्रतिबद्धता दिखाता है। वे लोगों को प्रभावित कर सकते हैं। मैं भी ऐसा कर के खुश होउंगा।
दुनिया के सभी लोगों के वैक्सिनेशन का काम 2023-24 तक पूरा हो सकता है। ड्यूक यूनिवर्सिटी की रिसर्च में यह बात सामने आई है। रिसर्च में कहा गया है कि इसके लिए निवेश और उत्पादन क्षमता बढ़ानी होगी। इस बीच यूनिसेफ ने अगले साल 100 गरीब देशों में कोरोना वैक्सीन के 200 करोड़ डोज पहुंचाने की बात कही है। इसके लिए 350 एयरलाइंस और फ्रेट कंपनियों से बातचीत की जा रही है।
फाइजर अपनी कोरोना वैक्सीन दुनियाभर में पहुंचाने के लिए चार्टर्ड फ्लाइट्स चला रही है। यूनाइटेड एयरलाइंस के विमानों के जरिए टीके की डोज दुनियाभर में पहुंचाई जा रही हैं। वॉल स्ट्रीट जर्नल ने हाल ही में बताया था कि फाइजर वैक्सीन के पहले बैच को मिशिगन और विसकॉन्सिन के गोदामों में स्टोर करेगी। वहीं, बेल्जियम और जर्मनी में भी इसे स्टोर किया गया है। अगर वैक्सीन को सरकारी मंजूरी मिलती है, तो उसे तेजी से दुनिया के हर हिस्से तक पहुंचाने के लिए चार्टर्ड फ्लाइट्स जरूरी हैं।
ब्रिटेन में Pfizer की कोरोना वैक्सीन को मंजूरी मिल चुकी है। वैक्सीनेशन अगले हफ्ते से शुरू होने की उम्मीद है। यह वैक्सीन बेल्जियम से ब्रिटेन लाई जाएंगी। इनके ट्रांसपोर्टेशन में देरी न हो, इसलिए ब्रिटिश सरकार रॉयल एयरफोर्स के एयरक्राफ्ट्स का इस्तेमाल करने जा रही है। पहली खेप में 8 लाख वैक्सीन आएंगी। रिपोर्ट के मुताबिक, इसके लिए रॉयल एयरफोर्स के एयरक्राफ्ट्स का इस्तेमाल किया जाएगा। मुख्य मिशन एक जनवरी से शुरू किया जाएगा। यूरोपीय देशों के बीच दूरी कम है, लेकिन वक्त कम लगे इसलिए एयर रूट्स को ही चुना गया है।
कोरोना वैक्सीन पर देश के लिए अच्छी खबर है। पुणे में स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) अगले एक हफ्ते में कोवीशील्ड के इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए अप्लाई करेंगे। कंपनी के CEO अदार पूनावाला ने पिछले हफ्ते ही वैक्सीन की तैयारी के बारे में बताया था। बता दें कि भारत में पांच वैक्सीन पर काम चल रहा है। इनमें से पुणे-बेस्ड सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) कोवीशील्ड बना रहा है। कोवीशील्ड को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका ने मिलकर बनाया है। यह वैक्सीन इस समय भारत में आखिरी स्टेज के ट्रायल में है।
देश में कोरोना वैक्सीन की सप्लाई जल्द ही शुरू होने की खबरों के बीच दिल्ली और हैदराबाद एयरपोर्ट ने इसके ट्रांसपोर्टेशन के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं। दिल्ली और हैदराबाद एयरपोर्ट के पास देश की सबसे बड़ी कार्गो सर्विस भी है। यही कारण है कि इन्हें वैक्सीन के ट्रांसपोर्टेशन के हिसाब से बड़ा सेंटर माना जा रहा है। ज्यादातर फार्मा कंपनियों के हैदराबाद में होने की वजह से यहां के एयरपोर्ट के पास पहले से सभी सुविधाएं मौजूद हैं।
भारत में कोरोना को लेकर कोविन (Co-WiN) नाम का एक विशेष सॉफ्टवेयर बनाया गया है। जिसमें कोरोना वैक्सीन के लाभार्थी, वैक्सीन के उपलब्ध स्टॉक और स्टोरेज, बाकी बचे हुए लाभार्थियों से जुड़ी रियल टाइम जानकारी रहेगी। इसे रोजाना हर एक तय समय पर अपडेट किया जाएगा। अभी हेल्थ केयर वर्कर्स के आंकड़े जुटाने का काम चल रहा है। वहीं 8 दिसंबर तक जुटाए गए ये सभी आंकड़े 'कोविन' पर अपलोड कर दिए जाएंगे। यह जानकारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में आयोजित सर्वदलीय बैठक में दी।
वैश्विक विशेषज्ञों के विश्लेषण के मुताबिक भारत 1.6 अरब खुराक के साथ दुनिया में कोविड-19 टीके का सबसे बड़ा खरीदार होगा। वैज्ञानिकों का कहना है कि इतने टीके से 80 करोड़ लोगों या आबादी के 60 प्रतिशत हिस्से का टीकाकरण हो जाएगा और ‘हर्ड इम्युनिटी’ विकसित करने के लिए भी इतनी संख्या पर्याप्त होगी। अमेरिका की ड्यूक यूनिवर्सिटी के ग्लोबल हेल्थ इनोवेशन सेंटर के मुताबिक भारत ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका के टीके की 50 करोड़ खुराक, अमेरिकी कंपनी नोवावैक्स से एक अरब खुराक और रूस के गमालेया रिसर्च इंस्टीट्यूट से 10 करोड़ खुराक खरीदने वाला है। हर दो सप्ताह पर अद्यतन किए जाने वाले ‘लॉन्च एंड स्केल स्पीडोमीटर’ विश्लेषण से पता चलता है कि भारत ने तीनों टीके की 1.6 अरब खुराक खरीदने की पुष्टि की है।
भारत में कोरोनवायरस केसों की संख्या लगातार आठवें दिन 40 हजार के नीचे बनी है। पिछले 24 घंटे में देश में कोरोना के 36 हजार 11 नए मामले सामने आए। वहीं, 482 लोगों की मौत हुई। इसी के साथ देश में सक्रमितों का कुल आंकड़ा अब 96 लाख 44 हजार के पार हो गया है, जबकि मृतकों की संख्या 1.40 लाख है। अब तक कुल 91 लाख 792 हजार लोग डिस्चार्ज हो चुके हैं।
हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के कोरोना वैक्सीन के ट्रायल में शामिल रहने के बावजूद संक्रमित होने के मामले में स्वास्थ्य मंत्रालय का भी बयान आया है। मंत्रालय ने कहा है कि कोवैक्सिन दो खुराक वाली कोरोना वैक्सीन है। वैक्सीन की दूसरी खुराक लेने के बाद कुछ दिनों के गुजरने के बाद ही इंसान में संक्रमण के खिलाफ एंटीबॉडी का निर्माण होता है। यह दो खुराक वाला टीका है। मंत्री अनिल विज ने वैक्सीन की केवल एक खुराक ली है। बता दें कि कोवैक्सिन के निर्माण में हैदराबाद की भारत बायोटेक के साथ आईसीएमआर भी शामिल है।
सबसे पहले कोरोना वैक्सीन बनाने का ऐलान कर के दुनिया को चौंकाने वाले रूस में आखिरकार वैक्सिनेशन कार्यक्रम शुरू कर दिया गया है। राजधानी माॅस्को में कोरोनावायरस से बचाव के लिए वैक्सीनेशन प्रक्रिया शुरू हो गई। सबसे पहले कोरोना वैक्सीन उन्हें दी जा रही है जिनके संक्रमित होने का खतरा सबसे ज्यादा है। रूस स्वदेशी वैक्सीन स्पूतनिक-वी का इस्तेमाल कर रहा है। इस पहले मास इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम में हेल्थ वर्कर्स और शिक्षकों में प्राथमिकता वाली श्रेणी में रखा गया है।
ब्रिटेन में कोरोना वैक्सीन के लिए सबसे पहले मंजूरी पाने वाली Pfizer अगले हफ्ते तक कोरोना टीका बाजार में उपलब्ध करा सकती है। बताया गया है कि पहले इन वैक्सीन को हॉस्पिटल में मुहैया कराया जाएगा। इसके बाद ही इन्हें क्लीनिक और खुले बाजार में सेल के लिए उतारा जाएगा। सरकारी की योजना के मुताबिक, सबसे पहले नेशनल हेल्थ सर्विस (एनएचएस) के कर्मचारियों, फ्रंटलाइन वर्कर्स और 80 साल के ऊपर के बुजुर्गों को इस वैक्सीन की डोज दी जाएगी।
उत्तर प्रदेश में कोरोना के अब तक 2 करोड़ टेस्ट किए जा चुके हैं। इस लिहाज से यूपी देश में यह पहला राज्य है जहां 2 करोड़ से ज्यादा लोगों की जांच हो चुकी है। इनमें 2.60% यानी 5 लाख 53 हजार 12 लोग संक्रमित पाए गए हैं। राहत की बात है कि इन संक्रमितों में 5 लाख 22 हजार 867 लोग ठीक हो चुके हैं। 22 हजार 245 मरीजों का इलाज चल रहा है। संक्रमण से जान गंवाने वालों की संख्या 7900 हो गई है।
एक विश्लेषण के मुताबिक, अग्रिम खरीदार के तौर पर कोविड-19 टीका खरीदारों के मामले में भारत 1.6 अरब डोज के साथ सबसे ऊपर है। इसके बाद यूरोपीय संघ है जो 1.58 अरब खुराक खरीदेगा। संक्रमण से सबसे ज्यादा प्रभावित अमेरिका एक अरब से ज्यादा खुराक की खरीदारी पर मुहर लगा चुका है।
भारत में अगले साल जनवरी तक कोरोनावायरस वैक्सीन लॉन्च होने की संभावना है। भारत बायोटेक की कोवैक्सिन और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) द्वारा विकसित की जा रही ऑक्सफोर्ड-एस्ट्रा जेनेका की कोविशील्ड अभी देश में सबसे आगे हैं। माना जा रहा है कि इन दोनों टीकों के लिए आपात मंजूरी मांगी जाएगी। ऐसे में ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DGCI) अगर चाहे तो वैक्सीन को लगभग तुरंत ही इस्तेमाल की मंजूरी दे सकता है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, भारत की इमरजेंसी प्रयोग के दिशानिर्देश में भी यह कही गई है।
फाइजर इंडिया ने भारत में उसके कोविड-19 टीके के आपातकालीन उपयोग की मंजूरी के लिए चार दिसंबर को डीजीसीआई के समक्ष आवेदन किया है। ब्रिटेन ने बुधवार को फाइजर के कोविड-19 टीके को आपातकालीन उपयोग के लिए अस्थायी मंजूरी प्रदान की थी। ब्रिटेन के बाद बहरीन शुक्रवार को दुनिया का दूसरा देश बन गया है जिसने दवा निर्माता कंपनी फाइजर और उसके जर्मन सहयोगी बायोएनटेक द्वारा विकसित कोविड-19 टीके के आपात इस्तेमाल की औपचारिक मंजूरी दी है।
दवा निर्माता कंपनी फाइजर की भारतीय इकाई ने उसके द्वारा विकसित कोविड-19 टीके के आपातकालीन इस्तेमाल की औपचारिक मंजूरी के लिए भारतीय औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) के समक्ष आवेदन किया है। फाइजर ने उसके कोविड-19 टीके को ब्रिटेन और बहरीन में ऐसी ही मंजूरी मिलने के बाद यह अनुरोध किया है।
अमेरिका की ड्यूक यूनिवर्सिटी के ग्लोबल हेल्थ इनोवेशन सेंटर के मुताबिक भारत ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका के टीके की 50 करोड़ खुराक, अमेरिकी कंपनी नोवावैक्स से एक अरब खुराक और रूस के गमालेया रिसर्च इंस्टीट्यूट से 10 करोड़ खुराक खरीदने वाला है।
रूस में शनिवार को शुरू हुये कोरोना वायरस संक्रमण टीकाकरण के लिये उच्च जोखिम वाले समूहों में शामिल हजारों की संख्या में चिकित्सकों, शिक्षकों एवं अन्य लोगों ने हस्ताक्षर किए हैं। राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने तीन दिन पहले बड़े पैमाने पर कोविड-19 टीकाकरण अभियान शुरू करने का आदेश दिया था । इसके बाद टीकाकरण की शुरूआत हुयी है । हालांकि, रूस में निर्मित इस टीके का जरूरी उन्नत अध्ययन अभी बाकी है जो स्थापित वैज्ञानिक ‘प्रोटोकॉल’ के अनुसार इसकी प्रभावशीलता एवं सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये आवश्यक है।
भारत में वैक्सीन के आपात इस्तेमाल की मंजूरी की प्रक्रिया बिल्कुल यूरोप, ब्रिटेन और अमेरिका की तरह ही है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि किसी भी दवा या टीके की मंजूरी के मामले में ड्रग रेगुलेटर्स में काफी समन्वय है। इसलिए अगर कोई वैक्सीन अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन से मंजूरी पाता है, तो उसे भारत में सीमित आबादी पर टेस्ट कर के ही मंजूरी दी जा सकती है।
केंद्र सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के. विजय राघवन ने शनिवार को कहा कि कामयाब टीके विकसित करने में भारत का असाधारण इतिहास रहा है, जिसने स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को बदल दिया है। इसके लिए उन्होंने चेचक के टीके का हवाला दिया और कहा '' जिसे बहुत चर्चा के बिना उपयोग में लाया गया था।'' एक कार्यक्रम के दौरान ऑनलाइन संबोधन में राघवन ने कहा कि टीका विकसित करने के लिए किए गए भारी निवेश का मतलब बीच का रास्ता अपनाना कतई नहीं है।
रूस में शनिवार को शुरू हुये कोरोना वायरस संक्रमण टीकाकरण के लिये उच्च जोखिम वाले समूहों में शामिल हजारों की संख्या में चिकित्सकों, शिक्षकों एवं अन्य लोगों ने हस्ताक्षर किए हैं। राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने तीन दिन पहले बड़े पैमाने पर कोविड-19 टीकाकरण अभियान शुरू करने का आदेश दिया था । इसके बाद टीकाकरण की शुरूआत हुयी है । हालांकि, रूस में निर्मित इस टीके का जरूरी उन्नत अध्ययन अभी बाकी है जो स्थापित वैज्ञानिक ‘प्रोटोकॉल’ के अनुसार इसकी प्रभावशीलता एवं सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये आवश्यक है।
हैदराबाद, तेलंगाना में कोरोना वायरस संक्रमण के 596 नए मामले सामने आने के बाद राज्य में कोविड-19 मरीजों की संख्या बढ़कर 2.72 लाख हो गई है ,जबकि तीन और लोगों की मौत होने से महामारी में जान गंवाने वालों की संख्या 1,470 पर पहुंच गई है।
भारत में वैक्सीन के आपात इस्तेमाल की मंजूरी की प्रक्रिया बिल्कुल यूरोप, ब्रिटेन और अमेरिका की तरह ही है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि किसी भी दवा या टीके की मंजूरी के मामले में ड्रग रेगुलेटर्स में काफी समन्वय है। इसलिए अगर कोई वैक्सीन अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन से मंजूरी पाता है, तो उसे भारत में सीमित आबादी पर टेस्ट कर के ही मंजूरी दी जा सकती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक टेड्रोस अधानोम घेब्रेयेसस ने कहा कि बिना नए कोष के टीका विकसित करने और पारदर्शी रूप से विकसित करने का डब्ल्यूएचओ का ‘एसीटी-एक्सलेरेटर कार्यक्रम खतरे में हैं। घेब्रेयेसस ने कहा कि टीके की तत्काल बड़े पैमाने पर खरीद और वितरण के जमीनी कार्य के लिए 4.3 अरब डॉलर की जरूरत है, इसके बाद 2021 के लिए 23.9 अरब की जरूरत होगी और यह रकम विश्व के सबसे धनी 20 देशों के समूह की ओर से घोषित पैकेजों में 11 ट्रिलियन के एक फीसदी का आधा है।
फाइजर ने बताया कि बहरीन को टीके की आपूर्ति और खुराकों की संख्या सहित बिक्री का समझौता गुप्त है और विस्तृत टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। बहरीन ने यह नहीं बताया कि उसने टीके की कितनी खुराक खरीदी है और टीकाकरण कब शुरू होगा। गौरतलब है कि बहरीन पहले ही चीन निर्मित टीके ‘साइनोफार्म’ के आपात इस्तेमाल की मंजूरी दे चुका है और अबतक 6,000 लोगों के ये टीके लगाए हैं।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को कोरोना वैक्सीन की उपलब्धता और इसके लिए आवश्यक कोल्ड स्टोरेज श्रृंखला की स्थापना पर विस्तार से चर्चा करते हुए, भंडारण क्षमता बढ़ाने का निर्देश दिया है। मुख्यमंत्री ने अपने सरकारी आवास पर आयोजित बैठक में स्टोरेज क्षमता को 15 दिसंबर तक बढ़ाकर दो लाख 30 हजार लीटर करने तथा जिला और मंडल स्तर पर कोरोना वैक्सीन के भंडारण के लिए कोल्ड स्टोरेज चेन की व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं।
गुजरात के अहमदाबाद में चलाए गए एक विशेष अभियान में बीते चार दिनों में करीब 100 पुलिसकर्मी कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए हैं। संयुक्त पुलिस आयुक्त (प्रशासन) अजय चौधरी ने पीटीआई-भाषा को बताया कि संक्रमित पाए गए दो कांस्टेबलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जबकि अन्य घर में पृथक-वास में हैं। चौधरी ने बताया, ‘‘हमने मंगलवार (एक दिसंबर) से एक अभियान शुरू किया और अहमदाबाद के सभी 14,000 पुलिस कर्मियों की जांच की। रोजाना करीब एक हजार कर्मियों की जांच की जा रही है। अबतक करीब 100 कर्मी संक्रमित पाए गए हैं।"
ब्रिटेन के बाद बहरीन दुनिया का दूसरा देश बन गया है जिसने दवा निर्माता कंपनी फाइजर और उसके जर्मन सहयोगी बायोनटेक द्वारा विकसित कोविड-19 टीके के आपात इस्तेमाल की औपचारिक मंजूरी दी है। बहरीन की सरकारी संवाद एजेंसी ने शुक्रवार रात को इसकी घोषणा की। एजेंसी ने बताया, ‘‘उपलब्ध आंकड़ों के गहन विश्लेषण और समीक्षा के बाद बहरीन के स्वास्थ्य नियामक एजेंसी ने इसके आपात इस्तेमाल की मंजूरी दी है।’’
संयुक्त राष्ट्र के स्वास्थ्य प्रमुख ने शुक्रवार को घोषणा की कि कोरोना वायरस टीके के परीक्षणों के सकारात्मक परिणाम का मतलब है कि ‘दुनिया, महामारी का अंत होने की उम्मीद कर सकती।’ हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि समृद्ध और शक्तिशाली देशों को गरीब और वंचितों को ‘टीके की भगदड़’ में कुचलना नहीं चाहिए। महामारी के विषय पर संयुक्त राष्ट्र महासभा के पहले उच्च स्तरीय सत्र को संबोधित करते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक टेड्रोस अधानोम घेब्रेयेसस ने आगाह किया है कि वायरस को रोका जा सकता है लेकिन ‘आगे का रास्ता अब भी अनिश्चतता से भरा हुआ है’।
दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने शनिवार को हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के जल्द कोविड-19 से उबरने की कामना की। विज कोरोना वायरस से संक्रमित पाये गये हैं। कुछ सप्ताह पहले ही उन्हें कोविड-19 रोधी टीका ‘कोवैक्सीन’ परीक्षण के तहत लगाया गया था। जैन ने उम्मीद जताई कि सरकार टीके के प्रभाव को लेकर जताये जा रहे संदेहों पर ध्यान देगी और यह पूरी तरह सुरक्षित रहेगा।
वैश्विक विशेषज्ञों के विश्लेषण के मुताबिक भारत 1.6 अरब खुराक के साथ दुनिया में कोविड-19 टीके का सबसे बड़ा खरीदार होगा। वैज्ञानिकों का कहना है कि इतने टीके से 80 करोड़ लोगों या आबादी के 60 प्रतिशत हिस्से का टीकाकरण हो जाएगा और ‘हर्ड इम्युनिटी’ विकसित करने के लिए भी इतनी संख्या पर्याप्त होगी। अमेरिका की ड्यूक यूनिवर्सिटी के ग्लोबल हेल्थ इनोवेशन सेंटर के मुताबिक भारत ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका के टीके की 50 करोड़ खुराक, अमेरिकी कंपनी नोवावैक्स से एक अरब खुराक और रूस के गमालेया रिसर्च इंस्टीट्यूट से 10 करोड़ खुराक खरीदने वाला है।
अगर ब्रिटेन में मंजूरी पा चुकी Pfizer भारत के नियामक में आवेदन करे, तो उसे कुछ दिनों या हफ्तों में ही इस्तेमाल की इजाजत मिल सकती है। हालांकि, इसके लिए DGCI का कंपनी के डेटा से संतुष्ट होना जरूरी होगा। अगर रेगुलेटर संतुष्ट नहीं है, तो वह आगे फेज में टेस्टिंग के आदेश भी दे सकता है।
हरियाण के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के कोरोना से प्रभावित मिलने के बाद भारत बायोटेक ने बयान जारी कर स्थिति को स्पष्ट किया है। कंपनी ने कहा कि फेज-3 के ट्रायल हमेशा डबल-ब्लाइंडेड होते हैं और इसमें 50 फीसदी लोगों को वैक्सीन और बाकी 50 फीसदी को प्लेसिबो (नमक का पानी) बिना बताए दिया जाता है। यानी किसी को पता नहीं होता कि वॉलंटियर्स को दवा दी गई या नहीं। इसके अलावा कोवैक्सिन के क्लीनिकल ट्रायल दो डोज पर आधारित हैं, जो कि 28 दिन के अंतराल में लगने हैं। वैक्सीन की क्षमता का अंदाजा दूसरी डोज के 14 दिन बाद पता चलता है। कोवैक्सिन तभी सबसे ज्यादा प्रभावी होगी, जब लोगों को इसके दोनों डोज मिलेंगे।
अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा है कि वह यह सुनिश्चित करेंगे कि टीका नि:शुल्क और सभी के लिए उपलब्ध हो और अगर इस टीका से किसी तरह की दिक्कत होती है तो उससे जुड़ा इलाज भी मुफ्त हो। उन्होंने आगे कहा कि कोरोना वैक्सीन लगवाने के लिए किसी को मजबूर नहीं किया जाएगा, पर इसकी सफलता के बाद लोग खुद ही वैक्सीन लगवाने के लिए आगे आ सकते हैं।
मॉडर्ना की कोरोना वैक्सीन संक्रमण से लड़ने में 94 फीसदी तक प्रभावी पाई गई थी। अब सामने आया है कि इसकी एक डोज के बाद इससे शरीर में 3 महीने तक शक्तिशाली एंटीबॉडी का निर्माण होता है। इस वैक्सीन को विकसित करने में सहयोग करने वाले नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर एलर्जी एंड इंफेक्शियस डिसीज (NIAID) के शोधकर्ताओं ने क्लीनिकल ट्रायल के पहले चरण में शामिल 34 लोगों के रोग प्रतिरोधक तंत्र का अध्ययन कर यह दावा किया है। इसमें युवा और बुजुर्ग दोनों ही शामिल हैं। यह स्टडी न्यू इंग्लैड जर्नल ऑफ मेडिकल साइंस में प्रकाशित भी हुआ है।
कोरोनावायरस वैक्सीन को लेकर भारत के लिए अच्छी खबर है। देश में नई दिल्ली और हैदराबाद एयरपोर्ट पर इसके रखरखाव के लिए कोल्ड स्टोरेज बनाए गए हैं। इस बीच रूस की कोरोना वैक्सीन स्पूतनिक-वी की खेप देश में पहुंच चुकी है। Sputnik-V के ट्रांसपोर्टेशन में तापमान का खास ख्याल रखना जरूरी है इसीलिए वैक्सीन को मॉस्को से दिल्ली लाने के बीच कोल्ड चेन को टूटने नहीं दिया गया।