राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के दरियागंज से कांग्रेस निगम पार्षद यासमीन किदवई ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि फासीवादी ताकतों के खिलाफ अपनी बात कहने के लिए चेहरा छिपाने की जरुरत नहीं है। कांग्रेस पार्षद ने दरअसल रविवार (5 जनवरी, 2020) को जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में नकाबपोशों अराजक तत्वों द्वारा छात्रों और शिक्षकों को बुरी तरह पीटे जाने पर सरकार के प्रति नाराजगी जाहिर की है।। इस हमले में जेएनयू छात्र संघ की अध्यक्ष सहित 28 लोग घायल हुए। किदवई ने जामिया यूनिवर्सिटी और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) के छात्रों के साथ भी एकजुटता दिखाई।

कांग्रेस नेता किदवई ने ट्विटर पर एक वीडियो भी शेयर किया है। इसमें उन्होंने कहा कि उनका नाम यासमीन किदवई है। वो दरियागंज से कांग्रेस पार्षद हैं। उन्होंने कहा कि वो वीडियो इसलिए शेयर कर रही हैं क्योंकि वो शाहीनबाग की महिला प्रदर्शकारियों के साथ हैं। वो जेएनयू के छात्रों के साथ खड़ी हैं। वो एएमयू के छात्रों के साथ हैं। वो जामिया के छात्रों के साथ हैं। वीडियो में उन्होंने आगे कहा, ‘मैं संविधान के साथ खड़ी हूं। मैं उन सभी के साथ हूं जो शांतिपूर्वक इस देश को फासीवादी ताकतों से बचाने के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं…और मैं जिनके समर्थन में हूं, उनके साथ खड़े होने के लिए मुझे अपना चेहरा छिपाने की जररुत नहीं है। अब बहुत हो गया।’

सुबह 11:40 बजे वीडियो शेयर करने के साथ ही उन्होंने ट्वीट में पीएम मोदी और अमित शाह पर भी निशाना साधा है। ट्वीट में किदवई ने लिखा, ‘पीएम मोदी-अमित शाह मुझे पहचान लीजिए। मैं आपके और आपके उस फासीबाद के खिलाफ हूं जिसका आप प्रतिनिधित्व करते हैं। यह सब कहने के लिए मुझे अपना चेहरा छिपाने की भी जरुरत नहीं।’

उल्लेखनीय है कि पिछले साल दिसंबर में नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे जामिया के छात्रों के साथ पुलिस कार्रवाई की कई वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हुईं। आरोप है कि पुलिस ने लाइब्रेरी और छात्रा हॉस्टल में घुसकर छात्रों के साथ अमानवीय व्यवहार किया, उनके साथ मारपीट की गई। हालांकि तब मामले में प्रशासन ने स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि अराजक तत्व लाइब्रेरी और हॉस्टल में घुस गए थे।

बीते साल 20 दिसंबर को नागरिकता कानून के खिलाफ देशभर में हुए उग्र प्रदर्शन हुए में भाजपा प्रशासित राज्य उत्तर प्रदेश खासा असर देखने को मिला। राज्य के विभिन्न जिलों में हिंसक प्रदर्शन और कथित पुलिस गोलीबारी में डेढ़ दर्जन से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। अलीगढ़ स्थित एएमयू में भी छात्रों के साथ मारपीट के मामले सामने आए।