भारतीय सेना में भर्ती की नई योजना ‘अग्निपथ’ को लेकर सियासी घमासान छिड़ा हुआ है। कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दल इस योजना को वापस लेने की मांग पर अड़े हुए हैं। इस मुद्दे पर टीवी डिबेट्स के दौरान भी भाजपा और कांग्रेस के नेताओं के बीच तीखी बहस देखने को मिली है। इसी तरह की एक डिबेट के दौरान कांग्रेस के प्रवक्ता ने कहा कि अग्निपथ योजना को वापस लेना पड़ेगा, रूस में इस माॅडल का हाल यूक्रेन युद्ध में दिख गया। उन्होंने कहा कि खारकीव और कीव छोड़कर डोनबर्ग में रूसी सेना सिमट गई।
‘न्यूज24’ के डिबेट के दौरान कांग्रेस प्रवक्ता अभय दुबे ने कहा, “ये केवल नौकरी का सवाल नहीं है बल्कि भारत की एकता और अखंडता का सवाल है। ये एक लाख 12 हजार में से 46 हजार की भर्ती कर रहे हैं। सबसे कम जो स्क्वाड है और उसमें मान लीजिए 10 सैनिक हैं। उसमें ये लोग क्या कर रहे हैं- तीन सैनिक पहले से कम कर दिए और तीन सैनिक उसमें अग्निवीर हैं। यानी, जो पूरी तरह ट्रेंड नहीं हैं।”
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, “ये परिणाम अभी हाल ही में भुगतने पड़े हैं रूस में, पहले जब उन्होंने वॉर प्लान किया तो खारकीव और कीव में किया और अब डोनबर्ग में सिमट गए।” उन्होंने कहा कि ये युवाओं के विवेक पर निर्भर करता है लेकिन मैं सरकार से अनुरोध करता हूं कि आप (सरकार) दिवंगत सीडीएस बिपिन रावत जी की भावना का आदर कीजिए।”
वहीं, भाजपा प्रवक्ता गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने कांग्रेस के आरोपों पर कहा कि अग्निपथ देश की बेरोजगारी की समस्या को दूर करने का जरिया नहीं है बल्कि देशहित के लिए लिया गया निर्णय है। उन्होंने कहा कि 10 लाख रोजगार की बात अग्निपथ योजना में सम्मलित नहीं है।
इस दौरान, सपा प्रवक्ता अनुराग भदौरिया ने भी सरकार पर निशाना साधा और कहा कि रिटायर्ड सैनिकों को रोजगार नहीं मिल पाता है तो इन अग्निवीरों का क्या होगा ? सरकार को नौकरी की गारंटी देनी चाहिए।