आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की जून बैठक में रेपो रेट 0.50 फीसद बढ़ाकर 4.90 फीसद करने का निर्णय किया गया है, ताकि महंगाई पर काबू पाया जा सके। इस बीच कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने आमदनी को लेकर सरकार की नीतियों पर सवाल खड़े किए हैं।
उन्होंने कहा कि 84 फीसद लोगों की आमदनी कम हो गई और 142 लोगों की आमदनी 25 लाख करोड़ से बढ़कर 52 लाख करोड़ कैसे हो गई? उन्होंने कहा कि यह सरकार की नीतियों की कारण ही हुई है।
उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि यह सरकार की नाकामी है कि वह अर्थव्यवस्था को चलाने में विफल रही क्योंकि चीजों को बैलेंस नहीं कर पाई। उन्होंने कहा कि ना सरकार ने यूक्रेन युद्ध करवाया और ना ही कोरोना लाए, लेकिन इससे पहले ही हमारी जीडीपी 8.2 फीसद से घटकर 4.1 फीसद तक पहुंच गई थी।
वहीं, बेरोजगारी के मुद्दे पर भी उन्होंने केंद्र सरकार को घेरते हुए कहा कि कोरोना से पहली ही अनएंप्लॉमेंट 45 सालों की ऊंचाईयों पर था। तो सरकार कोरोना और यूक्रेन का सहारा ना ले। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा, “जब तक अपनी गलतियों को स्वीकारा नहीं जाएगा तो, उसका निवारण कैसे होगा। सच यह है कि मैक्रो इकोनॉमी पैरामीटर्स हर रूप में आज भी प्राइवेट कंजम्प्शन पहले के मुकाबले कम हुआ है और कहा जा रहा है कि मैक्रो इकोनॉमी पैरामीटर्स बहुत अच्छे हैं।”
क्या होता है रेपो रेट?
आरबीआई महंगाई पर लगाम लगाने के लिए रेपो रेट लगाता है। उस दर को रेपो रेट कहा जाता है, जिस पर आरबीआई बैंकों को कर्ज देता है। तो रेपो रेट बढ़ेगा तो बैंक भी ज्यादा दर पर कर्ज उपलब्ध करवाएंगे और जो लोन पहले से लिए गए हैं उनकी ईएमआई भी महंगी हो जाएगी। रेपो रेट में इजाफे का असर आने वाले दिनों में देश के सरकारी से लेकर निजी बैंक से मिलने वाले कार लोन, पर्सनल लोन, एजुकेशन लोन और कॉरपोरेट जगत को दिए जाने वाले लोन भी ज्यादा ब्याज दर्ज पर दिए जाएंगे।