मोदी के मंत्री प्रदर्शनकारियों को बता रहे खालिस्तानी, पाकिस्तानी, चीनी एजेंट्स, चिदंबरम बोले- यदि किसान नहीं हैं तो बात क्यों कर रहे हो
अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा है कि किसान आंदोलन असलियत से काफी दूर है और इसे राजनीतिक ताकतों ने झूठे भरोसे के साथ खड़ा किया है।

कृषि कानून पर किसान संगठन और केंद्र सरकार आमने-सामने हैं। किसानों ने मांग की है कि किसी भी तरह की बातचीत के लिए पहले कानूनों को वापस लेना होगा। हालांकि, इस बीच भाजपा के कई नेताओं और मंत्रियों ने किसान आंदोलन पर सवाल खड़े करने शुरू कर दिए हैं। पहले कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर, रेल मंत्री पीयूष गोयल और फिर अल्पसंख्यक मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने प्रदर्शनकारियों को आसामाजिक तत्व करार दिया। हालांकि, इस पर पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने उन्हें आड़े हाथों लिया और पूछा कि अगर आंदोलन में किसान नहीं हैं, तो सरकार उनसे बात क्यों कर रही है?
क्या कहा था पीयूष गोयल और नरेंद्र सिंह तोमर ने: पीयूष गोयल ने कहा था कि मुखरता से आरोप लगाते हुए कहा कि ऐसा लगता है जैसे कुछ माओवादी और वामपंथी तत्वों ने आंदोलन का नियंत्रण संभाल लिया है और किसानों के मुद्दे पर चर्चा करने की जगह कुछ और एजेंडा चला रहे हैं। एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा था कि देश की जनता देख रही है, उसे पता है कि क्या चल रहा है, समझ रही है कि कैसे पूरे देश में वामपंथियों/माओवादियों को कोई समर्थन नहीं मिलने के बाद वे किसान आंदोलन को हाईजैक करके इस मंच का इस्तेमाल अपने एजेंडे के लिए करना चाहते हैं।
वहीं नरेंद्र तोमर ने कहा था कि असामाजिक तत्व किसानों का वेश धारण कर उनके आंदोलन का माहौल बिगाड़ने का षड्यंत्र कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों के प्रति संवेदनशील है और उनकी चिंताओं को दूर करने के लिए उनके और उनके प्रतिनिधियों के साथ बातचीत कर रही है। इसके बाद मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि किसान आंदोलन असलियत से काफी दूर है और इसे राजनीतिक ताकतों ने झूठे भरोसे के साथ खड़ा किया है। इसके अलावा केंद्र सरकार में मंत्री रावसाहब दानवे भी किसान आंदोलन के पीछे पाकिस्तान और चीन का हाथ होने की बात कह चुके हैं।
चिदंबरम ने केंद्र सरकार को घेरा: केंद्रीय मंत्रियों के इन बयानों पर कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने निशाना साधा। उन्होंने कहा, “मंत्रियों ने कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन करने वालों को खालिस्तानी, पाकिस्तानी और चीनी एजेंट, माओवादी और नवीनतम टुकड़े-टुकड़े गिरोह का बताया। यदि आप इन सभी श्रेणियों से थक चुके हैं, तो इसका मतलब है कि हजारों प्रदर्शनकारियों के बीच कोई किसान नहीं हैं! अगर किसान नहीं हैं, तो सरकार उनसे बात क्यों कर रही है?”