राष्ट्रपति के अभिभाषण पर पेश धन्यवाद प्रस्ताव पर राज्यसभा में चर्चा के दौरान अपनी कही गई बातों के कुछ हिस्से को कार्यवाही से हटाए जाने पर आपत्ति जताते हुए नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने गुरुवार को कहा कि उन्हें नहीं लगता कि उन्होंने कुछ असंसदीय कहा था। उच्च सदन की बैठक शुरू होने पर यह मुद्दा उठाते हुए खड़गे ने कहा कि उन्होंने जो कुछ भी कहा था, उसमें से छह बिंदुओं को कार्यवाही से हटा दिया गया।
खड़गे ने कहा- शब्दों का चुनकर अर्थ निकाले जा रहे हैं
उन्होंने कहा ‘‘मुझे नहीं लगता कि मैंने कुछ भी असंसदीय कहा था।’’ नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि परंपराओं और नियमों का सदन में पूरी तरह पालन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यहां जो कुछ कहा जाता है, वह नियमों के दायरे में रह कर ही कहा जाता है। उन्होंने कहा ‘‘लेकिन फिर भी चुन चुन कर गलत अर्थ निकालें…. मैं यह तो नहीं कहूंगा लेकिन फिर भी… मुझसे इस बारे में बात की जा सकती थी।’’
सभापति ने कहा- सदस्यों से आग्रह है कि कार्यवाही का अध्ययन करें
इस पर सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि उन्होंने कार्यवाही का गहन अध्ययन कर कुछ हिस्से हटाए जाने का निर्णय किया। उन्होंने कहा ‘‘मैं सदस्यों से आग्रह करना चाहूंगा कि वे भी कार्यवाही का अध्ययन करें। सदन की गरिमा हर हाल में बनाए रखनी चाहिए।’’ खड़गे ने यह भी कहा कि आसन की ओर से बार-बार टोका जाता है जबकि यह ठीक नहीं हैं।
धनखड़ बोले ‘‘एलओपी का डिफेन्डर आसन ही होता है’’
इस पर धनखड़ ने जवाब दिया ‘‘एलओपी का डिफेन्डर आसन ही होता है।’’ तब खड़गे ने कहा कि ऐसा नहीं हो रहा है। इससे पहले, कार्यवाही से नेता प्रतिपक्ष के संबोधन के कुछ हिस्से हटाए जाने का मुद्दा उठाते हुए कांग्रेस के मुकुल वासनिक ने कहा कि आसन की ओर से कहा गया था कि ‘‘हमें राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान अपनी बात रखने का मौका मिलेगा।’’
वासनिक के अनुसार, विपक्ष के नेता ने अपनी बात रखी, लेकिन उनकी कही गई कुछ बातों को कार्यवाही से हटा दिया गया। वासनिक ने सवाल किया ‘‘नेता प्रतिपक्ष ने ऐसा क्या कहा जो उसे कार्यवाही से हटा दिया गया?’’ कांग्रेस के ही प्रमोद तिवारी ने कहा कि परंपराओं का ही पालन किया जा रहा है और विपक्ष के नेता के शब्दों को कार्यवाही का हिस्सा बने रहने दिया जाना चाहिए।
इससे पहले, सभापति ने सदन को सूचित किया कि उन्हें नियत कामकाज नियम 267 के तहत निलंबित कर, अपने अपने मुद्दों पर चर्चा करने के लिए आम आदमी पार्टी (आप) के संजय सिंह और भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) सदस्य डॉ के केशव राव के दो नोटिस मिले हैं। सभापति ने कहा कि उन्होंने व्यवस्था के अनुरूप न होने के कारण दोनों नोटिस स्वीकार नहीं किए। इस पर आप सदस्य संजय सिंह ने कहा कि वह देश हित से जुड़े एक अहम मुद्दे पर चर्चा करना चाहते हैं लेकिन उन्हें इसकी अनुमति नहीं दी जा रही है जिस पर विरोध जताते हुए उनकी पार्टी के सदस्य सदन से बहिर्गमन करेंगे। इसके बाद आप सदस्य सदन से उठ कर चले गए।