कांग्रेस पार्टी राहुल गांधी को लोकसभा सांसद के रूप में “जल्दबाजी” में अयोग्य ठहराए जाने के खिलाफ लगातार अपना विरोध दर्ज करा रही है। इस दौरान सांसद मनीष तिवारी ने पार्टी नेतृत्व को सुझाव दिया था कि स्पीकर ओम बिरला के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जाना चाहिए। उनके सुझाव पर पार्टी नेतृत्व ने उन्हें नोटिस का मसौदा तैयार करने को कहा था।
मनीष तिवारी ने मंगलवार को यह मसौदा पार्टी नेतृत्व को दे दिया है। लेकिन अब सूत्रों का कहना है कि पार्टी ने अभी तक इसे आगे बढ़ाने का ऐलान नहीं किया है, क्योंकि नेतृत्व निश्चित नहीं है कि अन्य विपक्षी दल साथ आएंगे या नहीं। सूत्रों के मुताबिक कुछ विपक्षी दलों के नेताओं ने इस तरह के कदम को लेकर दिलचस्पी नहीं दिखाई है, और कांग्रेस पार्टी अब ऐसा कुछ नहीं करना चाहती जिससे विपक्षी गठबंधन में किसी तरह की दरार आए।
क्या है तरीका और कब-कब आया है प्रस्ताव
अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए सदन के कम से कम 50 सदस्यों का समर्थन होना जरूरी है। प्रस्ताव कम से कम 14 दिन पहले सूचना देने के बाद ही पेश किया जा सकता है। इसके लिए जरूरी है कि जब प्रस्ताव लाया जा रहा है तब लोकसभा की कार्यवाही चल रही हो। अविश्वास प्रस्ताव पेश होने के बाद लोकसभा स्पीकर सदन की कार्यवाही के दौरान मौजूद तो रह सकता है लेकिन इसका संचालन नहीं कर सकता। चूंकि संसद का बजट सत्र एक सप्ताह में समाप्त होने वाला है ऐसे में बहुत मुश्किल है कि कांग्रेस पार्टी स्पीकर के खिलाफ प्रस्ताव लाएगी।
2020 में 12 विपक्षी दलों ने राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश को हटाने की मांग करते हुए अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था। लेकिन तत्कालीन सभापति एम वेंकैया नायडू ने इसे इस आधार पर खारिज कर दिया कि प्रस्ताव को 14 दिनों की नोटिस अवधि देनी चाहिए और यह “उचित प्रारूप” में नहीं था।
इससे पहले स्पीकर को हटाने की मांग करने वाले प्रस्तावों को कम से कम तीन बार लाया गया है। 1. 1951 में पहले लोकसभा अध्यक्ष जीवी मावलंकर, 2. 1966 में सरदार हुकम सिंह और 3. 1987 में बलराम जाखड़ के खिलाफ।