Maharashtra News: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने मंगलवार को विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान असंबंधित मुद्दों पर चर्चा करते समय बार-बार मुख्यमंत्री मांझी लाड़की बहिन योजना का मुद्दा उठाने पर सत्तारूढ़ और विपक्षी दोनों विधायकों को चेतावनी दी। फड़नवीस ने विधानसभा में सख्त लहजे में कहा, “अगर ऐसा ही चलता रहा, तो आपको घर बैठना पड़ेगा।” सबसे बड़ी बात यह है कि उन्होंने साथी बीजेपी विधायक अभिमन्यु पवार को भी झिड़क दिया।
दो बार विधायक रहे अभिमन्यु पवार ने कथित अवैध शराब वितरण का मुद्दा उठाया और लाड़की बहिन योजना का जिक्र किया। मुख्यमंत्री ने तुरंत उन्हें टोकते हुए चेतावनी दी। उन्होंने कहा, “मैंने पहले ही सदस्यों से कहा है कि वे लाड़की बहिन योजना का जिक्र न करें, जबकि बेतरतीब ढंग से असंबंधित मुद्दे उठाए जाएं।” इस पर विधानसभा में से सन्नाटा छा गया।
मुख्यमंत्री ने विधायकों को दी सलाह
इससे पहले प्रश्नकाल के दौरान, कांग्रेस विधायक ज्योति गायकवाड़ ने फलटण में एक महिला डॉक्टर की मौत के मुद्दे पर बहस करते हुए इस योजना का जिक्र किया। इस पर मुख्यमंत्री फड़नवीस को विधायकों को सलाह देनी पड़ी कि वे इस योजना को हर चर्चा के मुद्दे से न जोड़ें। फड़नवीस ने जोर देकर कहा कि यह कार्यक्रम राज्य की एक बड़ी पहल है और इसे राजनीतिक उद्देश्यों के लिए असंबंधित विषयों में नहीं घसीटा जाना चाहिए। उन्होंने कहा, “यह योजना जारी रहेगी। इससे किसी अन्य कार्यक्रम से धन या संसाधन नहीं छिनेगा। लेकिन किसी को भी इसके बारे में अनावश्यक टिप्पणी नहीं करनी चाहिए।”
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कब शुरू की गई थी योजना?
बता दें कि यह योजना पिछले साल शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार के दौरान शुरू की गई थी। इसके तहत हर एक पात्र महिला को हर महीने 1500 रुपये दिए जाते हैं। हालांकि, इस योजना ने राज्य के खजाने पर ज्यादा वित्तीय बोझ डाला है।
विपक्ष और सहयोगियों की आलोचना
विपक्ष ने पहले भी इस योजना की आलोचना की है और इसे वोट खरीदने की योजना तक कह दिया था, लेकिन सत्तारूढ़ सहयोगियों की ओर से भी इसकी आलोचना की गई है। अक्टूबर में मंत्री छगन भुजबल ने कहा कि इस योजना की वजह से अन्य सरकारी योजनाओं पर असर पड़ा है।
भुजबल ने कहा, “मुझे लगता है कि माझी लाड़की बहिन योजना पर होने वाला खर्च इसके क्रियान्वयन को प्रभावित कर रहा है। चूंकि, इस योजना पर लगभग 40,000 से 45,000 करोड़ रुपये खर्च होते हैं, इसलिए इसके लिए आवंटन निश्चित रूप से अन्य जगहों पर भी असर डालेगा। इसके अलावा, बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों को मुआवजा पैकेज देने के लिए भी धन की जरूरत होगी। इसलिए, इस साल कुछ काम नहीं किए जा सकेंगे।” उन्होंने कहा कि वह इस योजना के भविष्य पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकते, “एक बात तो तय है कि सभी विभाग धन की कमी से जूझ रहे हैं।”
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