वकीलों की आदत पर झल्लाए सीजेआई, बोले- 500 केस हैं, जज कहां हैं….
चीफ जस्टिस ने लगभग झल्लाते हुए वकीलों से कहा कि 'यदि यह किसी की जिन्दगी से जुड़ा हुआ मामला है तो हम समझ सकते हैं।'

मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने वकीलों की विभिन्न मामलों में Mentioning (उल्लेखित मामले) की प्रक्रिया से नाराजगी जतायी है। शुक्रवार को चीफ जस्टिस ने लगभग झल्लाते हुए वकीलों से कहा कि ‘यदि यह किसी की जिन्दगी से जुड़ा हुआ मामला है तो हम समझ सकते हैं।’ चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि “हम Mentioning Matters (उल्लेखित मामलों) पर सुनवाई नहीं कर सकते, हमें माफ करें।” मुख्य न्यायाधीश ने यह भी कहा कि “अदालत में 500 Mentioning केस सूचीबद्ध हैं, इन पर सुनवाई के लिए जज कहां हैं? और आप हैं कि लगातार मामले सूचीबद्ध कराते जा रहे हैं।”
क्या होती है Mentioning की प्रक्रिया?: बता दें कि कोर्ट में लंबित किसी मामले में शामिल वकीलों को कुछ कहना या फिर उक्त मामले में तत्काल सुनवाई की मांग करने की प्रक्रिया Mentioning कहलाती है। यह प्रक्रिया आमतौर पर अदालतों में सुबह के समय होती है, जो कि लिखित रुप से अदालत में देनी होती है। हालांकि कई न्यायाधीश इस प्रक्रिया के प्रति नाराजगी जता चुके हैं। बीते साल तत्कालीनी मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने अपने आदेश में कहा था कि जरुरी मामलों में Mention की प्रक्रिया सिर्फ सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार के समक्ष दर्ज करायी जा सकती है। हालांकि अहम मामलों में या जिन पर जल्द सुनवाई की जरुरत है, ऐसे मामलों में चीफ जस्टिस के सामने भी किसी केस में Mention किया जा सकता है।
CJI Gogoi asked lawyers, not to mention their matters.said if it is related to life then we can understand. “Sorry we won’t hear any mentioning matters,” CJI Ranjan Gogoi added.“500 cases are listed. Where are the judges? And you keep on mentioning.. ”
— ANI (@ANI) March 29, 2019
Mention की प्रक्रिया की कई मुख्य न्यायाधीशों द्वारा आलोचना की गई है। दरअसल इस प्रक्रिया से अदालत का काफी वक्त बर्बाद होता है और कई बार वकीलों द्वारा इस सुविधा का गलत फायदा उठाया जाता है और ऐसे मामलों खासकर कॉरपोरेट मामलों आदि में जल्द सुनवाई की अपील की जाती है, जिनमें अक्सर इसकी जरुरत नहीं होती। ऐसे समय में जब देश की अदालतों में करोड़ो मामले लंबित पड़े हैं, ऐसे में Mention करने की यह प्रक्रिया अदालती सुनवाई में अवरोध उत्पन्न करती है, जिसका असर अन्य मामलों की सुनवाई पर पड़ता है। मौजूदा चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने भी मुख्य न्यायाधीश का पद संभालने के बाद वकीलों को गैर-जरुरी मामलों में Mentioning ना करने की अपील की थी। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा था ‘Mentioning वकीलों को मिला एक विशेषाधिकार है। लेकिन गैर जरुरी मामलों में यह प्रक्रिया अपनाकर वकील इस विशेषाधिकार को खो सकते हैं।’