सुप्रीम कोर्ट प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 (Places of Worship Act) के कुछ प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के लिए राजी हो गया है। इन याचिकाओं पर 5 अप्रैल को सुनवाई की जाएगी। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने सोमवार को एक पीआईएल पर एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय की दलीलों को सुना। सीजेआई ने इससे पहले केंद्र सरकार से उसका पक्ष मांगा था।
9 जनवरी को केंद्र सरकार से पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 के कुछ प्रावधानों के खिलाफ दायर जनहित याचिकाओं पर अपना जवाब दाखिल करने को कहा था। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए फरवरी अंत तक का समय दिया था। बता दें सुप्रीम कोर्ट में इस कानून को लेकर पूर्व राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी समेत 6 याचिकाएं दाखिल की गई हैं।
केंद्र सरकार ने मांगा था समय
इस मामले में केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पिछले साल 14 नवंबर को कहा था कि इस मामले में विभिन्न पहलुओं से निपटने के लिए सरकार द्वारा एक व्यापक हलफनामा दायर किया जाएगा। इसके लिए केंद्र सरकार से कुछ समय मांगा गया था। तब सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को 4 सप्ताह का समय दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए 12 दिसंबर 2022 तक का समय दिया।
कानून को दी गई है चुनौती
अश्विनी उपाध्याय ने इस कानून की धारा 2, 3, 4 को लेकर चुनौती दी है। उन्होंने अपनी याचिका में कहा कि किसी व्यक्ति या धार्मिक समूह के पूजा स्थल पर पुनः दावा करने के लिए न्यायिक अधिकार है। पिछले साल 9 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस कानून के प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिका को फैसले के लिए 5 जजों की संविधान पीठ के पास भेजा जा सकता है।