CAA विरोध: ‘9 लोग 2 घंटे तक टॉयलेट में रहे बंद, पुलिस ने गालियां दी, घसीटा-पीटा, पानी भी नहीं दिया, अस्पताल में भर्ती छात्र ने 5 दिन बाद सुनाई आपबीती
citizenship act protest: तजीम खान ने बताया कि पुलिस गेस्टहाउस के हर कमरे में जा रही थी और लोगों को खींच-खींच कर बाहर निकाल रही थी।

citizenship act protest: ‘8 लोग 2 घंटे तक टॉयलेट में रहे बंद, पुलिस ने गालियां दी, घसीटा-पीटा, पानी भी नहीं दिया’…यह कहना है कि उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के उस छात्र का जो पुलिसिया बर्बरता का शिकार हुआ है। 20 साल के इस बीए के छात्र का नाम तज़ीम खान है और अभी उसका इलाज अस्पताल में चल रहा है। नागरिकता संशोधन बिल के खिलाफ अलीगढ़ यूनिवर्सिटी में बीते 15 दिसंबर को हुए प्रदर्शन के दौरान किस तरह पुलिस ने छात्रों के साथ व्यवहार किया? इसके बारे में चर्चा करते हुए तज़ीम खान ने बताया कि ‘जब पुलिस अंदर आई तब वो और कुछ अन्य छात्र उस दिन गेस्टहाउस नंबर-3 की तरफ भागे। तज़ीम खान के मुताबिक सभी 9 लोग बाथरूम में जाकर छिप गए। करीब 2 घंटे तक वो लोग बाथरूम में छिपे रहे। लेकिन इसके बाद पुलिस बाथरूम का दरवाजा तोड़ कर अंदर दाखिल हुई। पुलिस ने उन्हें और उनके साथियों को घसीट कर बाहर निकाला और उन्हें गालियां दीं। पुलिस उनपर चिल्ला रही थी और इसके बाद उनकी पिटाई की गई..वहां कोई कैमरा नहीं था।
इस पिटाई की वजह से तजीम खान के दोनों हाथों में कई फ्रैक्चर आए हैं। तजीम खान ने बताया कि पुलिस गेस्टहाउस के हर कमरे में जा रही थी और लोगों को खींच-खींच कर बाहर निकाल रही थी। तजीम खान ने बताया कि चोट लगने के बाद मुझे बिना मेडिकल एड के इधर से उधर अस्पताल में ले जाया गया। यहां तक कि मुझे पानी भी नहीं दिया गया।’
JNMC Residents’ Doctor Association के अध्यक्ष डॉक्टर हम्जा मलिक ने बताया है कि तजीम और अन्य छात्रों को गंभीर चोटें आई हैं। अनास नाम के एक छात्र के हाथों में भी कई फ्रैक्चर हुए हैं। कैम्पस में तैनात निजी सुरक्षा गार्ड ने बताया कि पुलिस Morison Court Hostel में रात करीब 10.30 बजे घुसी और पुलिस ने उसकी पिटाई भी की। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक पुलिस इसके बाद कॉरिडोर की तरफ भागी और हॉस्टल के कमरों में आंसू गैस के गोले दागे। एक गोला रूम नंबर 46 में गया जहां तीन छात्र मौजूद थे। छात्रों का आऱोप है कि इस कार्रवाई में बिस्तर जल गए, फर्नीचर भी जले और कुछ छात्रों के लैपटॉप भी जल गए। इसी समय पुलिस Sir Syed Hall में घुसी और लोगों के घसीट कर बाहर लाना शुरू कर दिया।
26 साल के मोहम्मद तारिक विश्वविद्यालय में रसायनशास्त्र से पीएचडी कर रहे हैं। उस दिन वो Bab-e-Syed Gate पर मौजूद थे। तारिक के मुताबिक ‘वो उस दिन अपने एक दोस्त को ड्रॉप कर वापस आ रहे थे और तब ही हंगामा शुरू हो गया। पुलिस ने जब प्रदर्शनकारियों को खदेड़ना शुरू किया तब वो भी भागे और कई बार गिरे भी लेकिन इसके बाद क्या हुआ उन्हें कुछ भी याद नहीं। उन्होंने बताया कि उनकी कलाई आंसू गैस के गोलों से जल गई और फिर चिकित्सकों ने उनकी प्लास्टिक सर्जरी भी की है।’
तारिक के अलावा तीन अन्य छात्र नदीम अख्तर, नासिर और तबरेज को भी गंभीर चोटें आई हैं और उनका इलाज अस्पताल में चल रहा है। छात्रों का यह भी आरोप है कि घायल छात्रों को अस्पताल ले जा रहे एंबुलेंस को भी पुलिस जाने नहीं दे रही थी और एंबुलेंस के ड्राइवरों को गाड़ी नहीं चलाने की धमकी दे रही थी।
छात्रों ने विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा अचानक दी गई 6 दिनों की छुट्टी पर भी सवाल उठाया है। प्रशासन ने यहां छात्रों को हॉस्टल खाली करने के निर्देश दिये हैं। छात्रों का कहना है कि इससे उनकी पढ़ाई का नुकसान होगा। एएमयू के पीआओ उमर पीरजादा ने कहा है कि ‘विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्रों को सुरक्षित घर तक पहुंचाने के लिए 4 बसों का इंतजाम किया है और उन्हें सुरक्षा भी दी जा रही है। इसके अलावा केंद्र सरकार से आग्रह कर कुछ ट्रेनों को अलीगढ़ में रोकने की इजाजत भी ली गई है ताकि छात्र अपने घर असम, बिहार और पश्चिम बंगाल जा सकें। बता दें कि एएमयू कैम्पस में पुलिस क्या वाकई परमिशन लेकर घुसी थी…? इसकी भी अंदरुनी जांच कराई जा रही है।’
हालांकि इधर तमाम आरोपों से अलग अलीगढ़ पुलिस ने कहा है कि उन्होंने उस दिन प्रदर्शन और हंगामे को रोकने के लिए कम से कम ताकत का इस्तेमाल किया है। अनिल समानिया, Circle Officer (Civil Lines), Aligarh, का दावा है कि ‘पुलिस पर छात्रों की पिटाई का आरोप गलत है। पुलिस का कहना है कि कोई भी पुलिस वाला हॉस्टल के अंदर नहीं घुसा था और आंसू गैस के गोले भी हॉस्टल से करीब 100 मीटर की दूरी पर छोड़े गए थे क्योंकि वहां काफी पत्थरबाजी हो रही थी। ऐसा हो सकता है कि कोई गोला उछल कर हॉस्टल के कमरे के अंदर चला गया हो।’
15 दिसंबर की रात अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में हुए इस बवाल के निशान अभी भी वहां मौजूद हैं। 6 घायल छात्रों का इलाज अभी भी अस्पताल में चल रहा है। पुलिस ने इस हंगामे के बाद 26 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है। जिसमें 7 छात्र भी शामिल हैं। इनपर हत्या के प्रयास के तहत केस दर्ज किया गया है। पुलिस का आरोप है कि इनके पास देसी कट्टा था जिससे इन्होंने गोलियां बरसाई। बीते शनिवार को एएमयू प्रशासन ने विश्वविद्यालय में हुई इस हिंसा की जांच के लिए पूर्व मुख्य न्यायाधीश वी के गुप्ता को इस पूरे मामले की जांच का जिम्मा जिसकी रिपोर्ट तीन महीने के अंदर आएगी।